Saturday 9 July 2022

छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरवा, घुरूवा, बारी छत्तीसगढ़ी नाटक

 




छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरवा, घुरूवा, बारी

छत्तीसगढ़ी नाटक

सुराजी गाँव

- दुर्गा प्रसाद पारकर-













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 आप मन देखत हव नरवा-गरवा-घुरवा-बारी ल बचाए बर हमर महाअभियान सुरू हो गे हे। हम्मन हर गाँव म गउ अउ खेती- संकृति ल संरक्षण दे बर गौठान मन ल बहुआयामी केन्द्र के रूप म विकसित करत हवन। सुराजी गाँव योजना ह महात्मा गाँधी, पं. जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शाó, डाॅ. बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जइसन महान नेता मन के सपना ल साकार करे के योजना आय। किसान समृद्ध होही त गाँव समृद्ध होही, पंचायत राज सषक्त होही तहान पूरा देष समृद्ध अउ खुषहाल होही।

- भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़

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भूमिका कृषक हृदय के भावों की अभिव्यक्ति है नाटकसुराजी गाँवछत्तीसगढ़ के जनजीवन के सघन अनुभवों से जो सहज लय उत्पन्न होती है, वही अंततः नाटक सुराजी गाँव बन जाती है। छत्तीसगढ़ के किसानों के दुःख दर्द, प्रेम और मानवीय प्रसंग का संगम है सुराजी गाँव नाटककार प्रेम साइमन ने एक बार दुर्गा प्रसाद पारकर (दुरगा प्रसाद पारकर) से कहा था कि मेरा यह मानना है कि किसी किताब की भूमिका लिखने का अधिकार वही होता है जिसकी दक्षता कुछ तो उसके समकक्ष हो जिसके उपर वह लिख रहा है। चूंकि एक नाटककार अपने परिवेष की उत्पत्ति होता है। वह जीवन भर जनमानस के धरातल पर ही रहता है। समय और समाज को लक्षित करता है। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना है छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी अउ गाँव ल बचाना हे संगवारीछत्तीसगढ़ी नाटक सुराजी गाँवके लेखक दुर्गा प्रसाद पारकर ने नाटक के माध्यम से समाज को जागृत करने का संकल्प लिया। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण किसानों को जगाने में सुराजी गाँवनाटक सबसे प्रबल सिद्ध हुआ है। दुर्गा प्रसाद पारकर की विषेषता यह भी है कि उन्होनें उसमें छत्तीसगढ़ी वातावरण एवं पात्रों का समावेष किया है।सुराजी गाँवनाटक कृषक हृदय के भावों की अभिव्यक्ति है। रासायनिक विकृतियों से उपर उठकर जैविक खेती की आगे बढ़ाने एवं आर्थिक उपार्जन के लिए अनुप्राणित होने का आव्हान किया है। छत्तीसगढ़ में जनजीवन

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की विसंगति अवष्य स्पष्ट होती है लेकिन लेखक सुराजी गाँव नाटक के प्रति बड़े सजग दिखाई पड़ते हैं। ग्रामीण जीवन को उन्नत बनाने के अनेक संकेतिक उपाय किये हैं और गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ की परिकल्पना को अनेक आकांक्षाओं के स्वर को प्रतिध्वनित किया है। छत्तीसगढ़ शासन के यषस्वी मुख्यमंत्री भूपेष बघेल ने नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी योजना के तहत संस्कृति के उदात्त और मानवीय रूप पर अपनी भावी संस्कृति के निर्माण की चेतना प्रदान करने का साहस किया। पर यह समझना भी भूल होगी कि उन्होंने केवल छत्तीसगढ़ के गौरव गान के लिए नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी योजना का क्रियान्वयन किया है नरवा कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य में उपलब्ध जल óोतों का संरक्षण करने से ग्रामीण अंचलों में किसानों को पानी उपलब्धता सुनिष्चित होगी और पशु-पक्षियों का जीवन सुरक्षित होगा। आज के रासायनिक खाद के युग में घुरूवासे जैविक खाद का उत्पादन को बढ़ावा देना अत्यंत आवष्यक है ताकि किसानों को कम लागत से जैविक खाद उपलब्ध हो और भूमि की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाया जा सके। ग्रामीण अंचलों में पशुओं के रखरखाव तथा देखभाल हेतु सामूहिक व्यवस्था नही होने से फसल को नुकसान होता है। फसलों को नुकसान से बचाने तथा पशुओं की देखरेख सुधार हेतु गरवा” (पशुधन विकास) कार्यक्रम उद्देषित है। प्रत्येक गाँव में ग्रामीणों के घरों के पीछे भूमि पर साग-सब्जी, फलों का उत्पादन किया जाता है, परन्तु संसाधनों की कमी के कारण ग्रामीणों की बाड़ी विकास कार्यक्रम को प्राथमिकता दी है। जिसके अंतर्गत बाड़ी कार्यक्रमों की क्रियान्वयन हेतु विभिन्न विभागों द्वारा संचालित योजनाओं के अभिसरण से साग

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सब्जी, फलों के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जायेगा। यह योजना समसामयिक जीवन के प्रति उदासीन नहीं है, वह प्रत्यक्ष को लेकर मुखर है और लोक संग्रह का प्रयत्न है। छत्तीसगढ़ के उद्बोधन की आकांक्षा है। सुराजी गाँवके लिए दुर्गा प्रसाद पारकर संस्कृति के जागरूक समर्थक हंै। जीवन दृष्टि के अनुरूप अपने नाटक स्वच्छंतावादी नाट्य प्रणाली को आधार बनाकर कल्पना, भावुकता, अतीत के प्रति अनुराग तथा शैली षिल्प के स्वच्छंदता को ग्रहण किया है। लेखक दुर्गा प्रसाद पारकर सुराजी गाँवके माध्यम से पूरे छत्तीसगढ़ वासियों के जीवन स्तर में सकारात्मक बदलाव कर नई दृष्टि देंगे। लेखक एवं सुराजी गाँव के लिए शुभकामनाएं। - डुमन लाल ध्रुव प्रचार-प्रसार अधिकारी जिला पंचायत-धमतरी (छत्तीसगढ़)

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दृष्य एक राजगीत - डाॅ. नरेन्द्र देव वर्मा अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार इंदिरावती ह पखारय तोर पइँया महूँ पाँवे परँव तोरे भूइँया जय हो, जय हो, छत्तीसगढ़ मइया... सोहय बिंदिया सहीं, घाटे डोंगरी पहार चंदा सुरूज बनय तोर नैना सोनहा धाने के अंग, लुगरा हरियर के रंग तोर बोली हवय सुघ्घर मैना अँचरा तोर डोलावय पुरवहिया महूँ पाँवे परँव तोर भुइँया जय हो, जय हो, छत्तीसगढ़ मइया... रयगढ़ हवय सुघ्घर, तोरे मँउरे मुकुट सरगुजा अउ बिलासपुर हे बइँहा रइपुर कनिहा सहीं, घात सुघ्घर फभय दुरूग बस्तर सोहय पैजनिया नांदगांवे नवा करधनिया महँू पाँवे परँव तोरे भुइँया जय हो, जय हो, छत्तीसगढ़ मइया...

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(राधा अउ किसन के मंच म प्रवेष। दूनों झिन पंचायत के मुखिया सरपंच करा पहंुचथे। सरपंच करा पहुंच के दूनांे झिन अभिवादन करथे।) राधा किसन - जै जोहार सरपंच जी ! सरपंच - जै जोहार! तुमन कोन अव ? किसन - मँय किसन अँव। राधा - मय राधा अँव। सरपंच - तुमन कहां ले आय हौ ? किसन - हम्मन इंदिरा गांधी कृषि विष्वविद्यालय रायपुर ले छत्तीसगढ़ भ्रमण बर निकले हवन। सरपंच - काबर ? राधा - नवा छत्तीसगढ़ गढ़े बर। सरपंच - नवा छत्तीसगढ़ कइसे गढ़ाही ? किसन - नरवा, गरवा, घुरूवा, अऊ बारी उपर केन्द्रित सुराजी गाँवयोजना ल सफल करके नवा छत्तीसगढ़ गढ़बोन। गीत गढ़बोन नवा छत्तीसगढ़ राज होरि, होरि, होरि, हो रेऽऽऽऽ छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरवा, घुरूवा, बारी एला बचाना हे संगवारी आज गढ़बोन नवा छत्तीसगढ़ राज गढ़बोन नवा छत्तीसगढ़ राज ( नरवा, गरवा, घुरूवा अउ बारी के तख्ती मन ल धर-धर के मंच म चारो डाहर कलाकार मन किंजरथे।)

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दृष्य - दू नरवा (थूकेल के बेटा के अरथी मंच म निकलथे। राम नाम सत हे सबके इही गत हे, काहत परदा के अन्दर लहूट जथे।) (बैक ग्राउंड ले लक्ष्मण मस्तुरिया के लिखे गीत बजत रहिथे) जीनगी ए दियना देवारी के बर-बर के बुताय-जोति जलै अँधियार हरै जी मनखे जोति समान, जब तक जियै उजियार करै जी लोभी के मन रमे अन्न धन प्रेमी मया दुलार, बीर रमे रन रंग भूमा रे भगती साधु सुजान, कायर के मन धुंधरा ए मनखे के जिनगी खड़ग चढ़े पल म पार वो पार, खतरा म खेलै बहादुरा रे सपटे कपटी सियार, सुविधा खोजै चोर बाटुरा रे कपटी के जिनगी कलह भरे हे सुछिंदा सुजान, लोभिया के जिनगी सजे सजा हरहा हाय-हाय, संत के जिनगी मजे मजा मानुस के मन स्वारथी लोभी कपटी बइमान, माने न बिना लगाम के जी धक्का बिन दुई चार, ये मन बइरी बेकाम के जी किसिम-किसिम रंग मनखे के भला बुरा दुई रूप-दुख दुई संगी साथिया रे अन्न धन पांव के धूल-करम-धरम दूनो बांटिया ए लागे लगन जीव नइ छूटे करो कसनो जतन, लोहा पाथर टूटे छिन छिना जी मया टोरे न जाय, बाढ़े दना दन-दिन दिना जी।।

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(मंच म थूकेल ह मुड़ी धर के बइठे रथे। इंदिरा गांधी कृषि विष्वविद्यालय के राधा अउ किसन मंच म प्रवेष करथे। किसन थूकेल करा जाके -) किसन - काबर मुड़ी ल धर के बइठे हर कका? थूकेल - काला बताबे बेटा। किसन - बता कका, बता। थूकेल - मोल एकलौटा बेटा ह गर म फांसी अरो लिस बेटा। राधा - काबर कका ? थूकेल - एसो पानी के बिना धनहा डोली ह सुखागे हे बेटी। बैंक ले करजा ले रेहेन वहू नइ पटिस। साहूकार मन घलो तगादा करत रिहिन। तगादा ले तंग आ के बेटा ह फांसी अरो लिस राधा। (थूकेल ह फफक-फफक के रोए बर धरथे) राधा अउ किसन ह थूकेल ल सम्हालथे) किसन - चुप राह कका, चुप राह। थूकेल - कइसे चुप रहौं रे ? किसन - काबर ? थूकेल - मोला भारी फिकर होगे हे। राधा - का के फिकर होगे हे कका ? थूकेल - बहू ह कइसे करही कहिके। राधा - काबर ? थूकेल - नतनीन ह सज्ञान होगे हे, नाती ह अभिन पढ़त हे। आधा उमर म बहू खाली हाथ होगे हे। बहू के हाथ ह का खाली होइस, हमर जिनगी ह खाली होगे राधा। जिनगी ह अँधियार होगे, अँधियार। लइका मन के जिनगी ल गढ़े बर पइसा नइ हे। हमर मन बर तो दुख के पहाड़ टूटगे बेटी, दुख के पहाड़ टूटगे। (गमछा ले आँखी ल पोंछथे) (9) किसन - मत रो कका, मत रो। थूकेल - त का करौं बेटा ? किसन - त खेत म बोर नइ करा लेतेव कका ? थूकेल - बोर करा के का करबे किसन, पानी निकलही त तो। राधा - त का पानी नइ निकले ? थूकेल - हमर आँसू ह निकल जथे फेर पानी नइ निकले बेटी। किसन - अब आँसू नही पानी निकलही कका, पानी। थूकेल - वो कइसे बेटा ? किसन - हमर सरकार ह गाँव-गाँव नरवा मन ल बांधे के योजना बनाय हे। थूकेल - एकर ले का होही ? किसन - एकर ले बरसात के पानी ह नरवा म भराही तहान भुइँया के जल स्तर बाढ़ही। ओकर बाद जिही करा कोड़बे उसी करा पानी निकल जही। अब आँसू नइ निकले बल्कि सब किसान के चेहरा म हाँसी दिखही हाँसी। चल हाँस कका, खलखल-खलखल हाँस। राधा - बोनस तो घलो बाँटिस हे सरकार ह, तोर खता म आहे कि नहीं? थूकेल - कहां ले आही राधा? धान होएच नइहे त बेचबो काला। किसन - अब नरवा के बंधाय ले पानी के समसिया ह खतम हो जही। सोला आना धान होही, ओकर बाद अपन धान ल जादा कीमत म बेचबे, उपराहा म बोनस घलो पाबे। थूकेल - कतेक बढ़िया हे हमर सरकार ह। राधा - हव कका। किसन - चलव अब एसो के देवारी ल बड़ धूम-धाम ले मनाबोन।

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गीत भाग जागे रे आगे देवारी - दुर्गा प्रसाद पारकर भाग जागे रे आगे देवारी गउरा चँवरा म कुचरागे अँधियारी जगमगावत हे दिया घर दुवारी भाग जागे रे आगे देवारी.... लक्ष्मी ह देवत हे आज वरदान पिंवरागे आज हमर डोली के धान देवी-देवता मन आगे दइहान बली चघाबो दुरमत के नर-नारी भाग जागे रे आगे देवारी.... रिगबिग-रिगबिग दिया बरत हे दुखियारिन मन के दुख हरत हे दोहा म मया पीरा झरत हे मड़ई हलाबो जुरमिल के नर-नारी भाग जागे रे आगे देवारी.... किसन - बस इच्छा है भगवान कसम तेरे ही कोख में मिले जनम जो स्वेद खेत में छलकाए माथे का चंदन बन जाए राधा - तेरा इतिहास चमकता हो पावन गुलाब का रूप खिला तुफानों में भी खड़ा रहे तेरे सपनों का लाल किला

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किसन - तेरे शहर स्वर्ग बन जाए, नंदन वन हो ग्राम मेरे छत्तीसगढ़ की माटी, सौ-सौ बार प्रणाम हमर मयारूक मुख्यमंत्री भूपेष बघेल जी के कहना हे - हमर सरकार प्रत्येक नागरिक के स्वावलंबन, स्वाभिमान अउ गरिमा खातिर हर संभव उपाय करे बर कटिबद्ध हे। हमला ग्राम स्वराज बर महात्मा गांधी के परिकल्पना घलो सुरता हे अउ ओकर ए वचन घलो सुरता हे-कोनो भी निर्णय ले के पहिली सबले गरीब मनखे के सुरता करौ अउ खुद ले ए पुछो कि आप जउन कदम उठाववत हव ओह गरीब मनखे बर उपयोगी होही।हमर सरकार सबो फैसला ल महात्मा गांधी के वचन के भावना के मुताबिक ले हे। राधा - तभे तो ग्राम स्वराज के सपना ल साकार करे बर हमर मुख्यमंत्री ह नरवा, गरवा, घुरूवा अउ बारी उपर केन्द्रित सुराजी गाँव योजना के सुरूआत करे हे। किसन - नरवा योजना के अन्तर्गत जल श्रोत ल नरवा मन के उद्गम स्थल ले सुरूआत करत जरूरत के मुताबिक जल संचयन, कच्चा अउ पक्का संरचना के निर्माण होही। राधा - वैज्ञानिक ढंग ले सेटेलाईट इमेज अउ जी.आई.एस मैप के उपयोग होही। छोटे स्ट्रक्चर, बोल्डर, चेक मन ल बढ़ावा मिलही। तरिया ल सोलर पंप अउ पाईप लाईन ले भरे जाही। किसन - तरिया मन के संधारण, जीर्णोद्धार अउ गाद ल हटाए जाही। नदिया नरवा के पुनरोद्धार होए ले जल स्तर मे बढ़ोतरी होही। राधा - जल स्तर के बढ़ोतरी होय ले दू-तीन फसल के पैदावारी भरपूर होही। जल श्रोत बाढ़े ले साल भर पर्याप्त मात्रा म पानी मिलही। पर्याप्त मात्रा म पानी मिल ले हरियर छत्तीसगढ़ के सपना पूरा होही। तहान धान के कटोरा छत्तीसगढ़ ह विकास म सबो प्रदेष ले अगुवाही।

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गीत गढ़बोन नवा छत्तीसगढ़ राज होरि, होरि, होरि, हो रेऽऽऽऽ छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरवा, घुरूवा, बारी एला बचाना हे संगवारी आज गढ़बोन नवा छत्तीसगढ़ राज गढ़बोन नवा छत्तीसगढ़ राज (नरवा, गरवा, घुरूवा अउ बारी के तख्ती मन ल धर-धर के मंच म चारो डाहर कलाकार मन किंजरथे।) दृष्य - तीन गरवा (गौंतरिहा ह एती ओती झांखत अपन गरवा ल खोजत आथे। गौंतरिहा संग फगुवा के भेंट।) फगुवा - तें कहां जाथस जी गौंतरिहा ? गौंतरिहा - गाय गंवागे हे जी, ओला खोजत हौं। बछरू ह दूध के बिना सुररत हे। देखे हस का ? फगुवा - वाह, ओला तो काली पंचराम ह कांजी भूस म ओइलाय बर गे रिहिसे जी। गौंतरिहा - अच्छा त का ओला मोरे गाय ह दिखीस जी ? फगुवा - एला तो पंचराम ह बताही रे भई। (गौंतरिहा ह तरमीर-तरमीर पंचराम करा गिस। पंचराम ह कांवर म कांदी बोह के घर आतव रिहिसे।) गौंतरिहा - अरे, वाह पंचराम। पंचराम - का होगे गौंतरिहा ? गौंतरिहा - का होगे कहिथस, मोर गाय ल कांजी भूस म काबर ओइलाए हस

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पंचराम - त का तोर घर म ओइलातेंव। गौंतरिहा - मोर घर म नइ ओइला के कांजी भूस म ओइला देस। पंचराम - त काबर नइ ओइलातेंव। गौंतरिहा - काबर ओइलाए हस ? पंचराम - मोर सब्बो धान ल चर डरे हे त का करतेंव ? गौंतरिहा - का करतेंव नही, तोला करे बर परही। पंचराम - का करे बर परही ? गौंतरिहा - तँय ह मोर गाय ल कांजी भूस म ओइलाए हस ? अब तिंही ह निकाल के लान। पंचराम - मँय नइ निकलावौं, तोला जऊन करना हे कर लें। गौंतरिहा - (धमकावत) तोला देख लुहूं। पंचराम - तँय मोला का देखबे, अभी देख। गौंतरिहा - अइसे। (दूनो झिन मार-पीट सुरू कर देथे। चैतू ह दूनो झिन ल छोड़ाथे।) चैतू - पहिली तो तुमन छोड़ो यार, झगरा मता दे हौ। गौंतरिहा - झगरा मँय नइ मताये हौं, झगरा पंचराम मताए हे। पंचराम - झगरा काकर सेती माते हे तेला तो बइठक तय करही। गौंतरिहा - एक गाँव के का, पचगैंहा सकेल डर, पचगैंहा। बइठक के दृष्य सरपंच - हँ बता पंचराम, बइठक काबर सकेले हस ? पंचराम - गौंतरिहा ह मोर संग मारपीट करे हे। सरपंच - कइसे गौंतरिहा पंचराम ल काबर मारे हस ? गौंतरिहा - नइ मारहूं त का आरती उतारहूं। सरपंच - का होगे, कुछु बताबे।




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गौंतरिहा - मोर दुहानू गाय ल कांजी भूस म काली के ओइला देहे, एती बछरू भूख मरत हे, ओती पहाटिया ह बरवाही बर तरसत हे। सरपंच - कइसे पंचराम एकर गाय ल कांजी भूस म काबर ओइलाए हस ? पंचराम - एकर गाय ह मोर धान के बिंदरा बिनास कर देहे तेह। सरपंच - कइसे गौंतरिहा गाय ल बरदी म नइ मिलाय रेहे का ? गौंतरिहा - मिलाव रेहेंव सरपंच - त फेर बरदी ले कइसे छटक दिस ? गौंतरिहा - एला पहाटिया ल पुछौ। सरपंच - कइसे पहाटिया ? पहाटिया - हुकुम करौ सरपंच जी। सरपंच - कइसे एकर गाय ल बरदी म छेंक के काबर नइ राखे ? पहाटिया - काकर-काकर गाय-गरवा ल छेंक के राखबे सरपंच जी। सरपंच - काबर ? पहाटिया - गाँव म अब तो चरागन नइ हे। त गाय गरवा मन तो हराही करबे करही। सरपंच - अब काकरो गरवा ह न कांजी भूस जावै न हराही करै। पहाटिया - वो कइसे ? सरपंच - अब हमर सरकार ह गाँव-गाँव म तीन एकड़ भुइँया के चयन करके गौठान निर्माण करही। गौठान अइसे जघा बनाय जाही जउन जघा बड़े-बड़े रूख राई होवय। पहाटिया - त गरवा तो भाग जही। सरपंच - नइ भागे पहाटिया - वो कइसे ? सरपंच - भुइँया के आरक्षण के संगे-संग ओतका जघा म फेंसिंग अउ सी.पी.टी. कार्य होही। गौठान के चारों मुड़ा वृक्षारोपरण घलो होही।

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पहाटिया - त खइरखा डाढ़ म तो चिखना मात जही। सरपंच - नइ मातै। पहाटिया - वो कइसे ? सरपंच - गरवा मन के बइठे बर पक्का प्लेट फार्म बनाय के योजना हे। पहाटिया - त गरवा मन पानी पीए बर कइसे करही ? सरपंच - गौठान म पानी टंकी, नलकूप खनन अउ सोलर पंप के स्थापना घलो करे जाही। पंचराम - एकर ले का फायदा होही ? सरपंच - गौठान के बने ले सबो गाय-गरवा एके जघा सकलाय रिही जेकर ले बधियाकरण अउ नस्ल सुधार ल बढ़ावा मिलही। गौंतरिहा - अऊ का फायदा होही ? सरपंच - आज कस कइठक सकेले के जरूरत नइ परै। गौंतरिहा - काबर ? सरपंच - जब तोर गाय-गरवा गौठान ले बाहिर जाबे नइ करही तब हराही कहां ले करही ? जब हराही इन करही त कांजी भूस कहां ले जाही, जब फसल के नुकसान नइ होही त उत्पादन म बढ़ोतरी होही। गौंतरिहा - ठउँका केहे सरपंच जी। सरपंच - ठउँका तो कहिथौं फेर मानथौं कहां ले ? सामूहिक गौठान ले पशु मन के सुरक्षा घलो होही। पंचराम - बने काहत हस सरपंच जी। हमर सरकार के ए योजना ले उन्नत नस्ल के गाय-गरवा पाबोन तहान दूध के उत्पादन म बढ़ोतरी होही। गौंतरिहा - अइसन म तो बढ़िया नवा छत्तीसगढ़ गढ़ा जही। सरपंच - नवा छत्तीसगढ़ गढ़ा तो जही फेर तँय, पंचराम सन जुन्ना दुस्मनी ल मेटा के दूनो झिन गला मिलव। (पंचराम अऊ गौंतरिहा दूनो झिन गला मिलथे।)

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गीत गांधी बबा के सपना सुराज - दुर्गा प्रसाद पारकर गांधी बबा के सपना सुराज जी चँवरा म आगे, अँगना म आगे मउँरे आमा महके मउँहा सेमर सब ल भागे दावना दाम देवत-देवत बीरो छुए बर आगे आगे पंच परमेष्वर के राज जी चँवरा म आगे गांधी बबा के सपना सुराज जी, चँवरा म आगे... जागे जाँगर संग पाँघर बइला अउ नाँगर हरियाही भर्री भांठा डोली अउ टाँगर हमर भुइँया म आगे राम राज जी चँवरा म आगे गांधी बबा के सपना सुराज जी, चँवरा म आगे... नीत नियाव चैपाल के पुरतीन करही बलराम सियानी अन्न धन भण्डार भरही सुन लव करन दानी आगे सजे सुम्मत के साज जी चँवरा म आगे गांधी बबा के सपना सुराज जी, चँवरा म आगे...

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राधा - महात्मा गांधी के ग्राम स्वराजके सपना ल सिरतोन करे बर पं. जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी अउ राजीव गांधी अपन जीवन खपा दिन। किसन - अब छत्तीसगढ़ के दुलरूवा मुख्यमंत्री भूपेष बघेल ह महात्मा गांधी के सपना ग्राम स्वराजल सिरतोन करे बर किरिया खाय हे। राधा - भारत माता के करेजा छत्तीसगढ़ महतारी सब ल अपन मया दुलार देथे। किसन - तभे तो छत्तीसगढ़ के स्वप्न दृष्टा डाॅ. खूबचंद बघेल ह कथे-छत्तीसगढ़ के मान सम्मान ल अपन मान-सम्मान, छत्तीसगढ़ के अपमान ल अपन अपमान समझथे अउ छत्तीसगढ़ के मान सम्मान अउ स्वाभिमान ल बचाय खातिर अपन जिनगी खपा देथे उही सिरतोन के छत्तीसगढ़िया आय। चाहे वोह कोनो भी धर्म के हो, कोनो भी भाषा के बोलइया हो चाहे कोनो करा ले आ के बसे हो। राधा - कौषल्या के मइके छत्तीसगढ़ म अन्न भण्डार ल कौषिल्या अउ अन्नपूर्णा भण्डार के नाव ले जाने जाथे। आज कौषिल्या भण्डार ल सम्हाल के रखे खातिर अपन जिम्मेदारी निभावत हमर मुख्यमंत्री भूपेष बघेल जी हा नरवा, गरवा, घुरूवा अउ बारी के संरक्षण अउ संवर्धन बर सुघ्घर कार्य योजना बनाय हे। हमर मुख्यमंत्री ह नवा छत्तीसगढ़ बर किरिया खाय हे। किसन - जिन्हंे दुनिया बनाती है, मकाम उनका नही बनता। जमाना उनका है, जो खुद बनाते हैं मकान अपना। 



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गीत गढ़बोन नवा छत्तीसगढ़ राज होरि, होरि, होरि हो रेऽऽऽऽ छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरवा, घुरूवा, बारी एला बचाना हे संगवारी आज गढ़बोन नवा छत्तीसगढ़ राज गढ़बोन नवा छत्तीसगढ़ राज (नरवा, गरवा, घुरूवा अउ बारी के तख्ती मन ल धर-धर के मंच म चारो डाहर कलाकार मन किंजरथे।) दृष्य - चार घुरूवा (पाँचो ह खाँसत-खाँसत स्टेज म आथे अउ गीर जथे। ओला सुकवारो उठाथे। पाँचो ह हफरत रथे। तुरते अस्पताल लेगथे। सुकवारो - का होगे डाॅक्टर साहेब दीदी ल ? डाॅक्टर - एला साँस के बीमारी होगे हे। सुकवारो - सांस के बीमारी काबर होथे ? डाॅक्टर - कचरा के बदबू ले सांस के बीमारी होथे, संगे-संगे इन्सफेंक्षन घलो होथे। सुकवारो - अउ का-का बीमारी होथे डाॅक्टर साहेब ? डाॅक्टर - काला-काला कबे, सर्दी, खाँसी, एलर्जी के संगे-संग पेट के बीमारी घलो होथे। सुकवारो - तभे तो काहँव कइसे मोरो पेट ह कुटकुट-कुटकुट रही-रही के पिरावत कहि के।

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डाॅक्टर - कहूँ तीर तखार म कचरा तो नइहे ? सुकवारो - वो तो हमर घरे करा कचरा के भरमार हे। डाॅक्टर - काबर ? सुकवारो - हम्मन तो घर के आघु म कचरा ल फेंकथन, भारी बस्साथे घलो। डाॅक्टर - त कचरा ल घुरूवा म नइ फेंकतेव। सुकवारो - गाँव म घुरूवा कहां हे डाॅक्टर साहेब। डाॅक्टर - त गाँव के घुरूवा मन कहां गे ? सुकवारो - सबो घुरूवा म तो घर बन गे हे त कचरा ल कहां फेकबे ? डाॅक्टर - अब कचरा ल अपन घर के तीर म फेंक के जरूरत नइ परही। सुकवारो - वो कइसे ? डाॅक्टर - अब कचरा बर हमर सरकार ह गौठान के तीरे-तीरे घुरूवा बनाय बर सोचे हे। सुकवारो - त एकर ले का होही ? डाॅक्टर - गाँव घर के कचरा के संगे-संग गौठान के गोबर ल घलो घुरूवा म फेकिंगे। ताहन उहें बायो गैस प्लांट के निर्माण होही। जेकर ले हम्मन गैस म खाना पकइँगे। एकर ले धूल धुआँ ले बांचबो धूल धुआँ ले बांचे ले कतनो बीमारी ले बाँचिंगे। पाँचो - (थुथुर थाम्हर करत) त अउ का-का फायदा होही डाॅक्टर साहब ? डाॅक्टर - रासायनिक खातू ले बड़े-बड़े बीमारी होथे। अब जब हम्मन घुरूवा म जैविक खातू बनाबोन तहान धान ह घलो अच्छा होही अउ फसल के उत्पादन म बढ़ोतरी घलो होही। संगे-संग पौष्टिकता घलो बाढ़ही। फल अउ साग भाजी के उत्पादन म बढ़ोतरी होही तहान बीमारी मन ले मुक्ति पाबोन।



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सुकवारो - बने काहत हस डाॅक्टर साहब। अब हम्मन कचरा ल घर के आघु म नइ फेंक के गौठान करा बने घुरूवा म फेंक के अपन सेहत के रक्षा करबोन। गीत घुरूव के दिन ह दइहान म बहुरगे... दुर्गा प्रसाद पारकर घुरूवा के दिन दइहान म बहुरगे सुख के छइँहा ह आज बगरगे हरियर-हरियर दिखत हे भुइँया अब रूख-राई मन फर म लहसगे मइया बरोबर रूख-राई के मया महतारी के सपना सँवरगे घुरूवा के दिन दइहान म बहुरगे... रूख राई संग लइका सियान झुमरत हे खेत म ददरिया के सोर उड़त हे खांेधरा म चिरई चिरगुन चिहुकत हे घरो-घरो सुख के अमरित बरसगे घुरूवा के दिन दइहान म बहुरगे...

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गीत गढ़बोन नवा छत्तीसगढ़ राज होरि, होरि, होरि हो रेऽऽऽऽ छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा, गरवा, घुरूवा, बारी एला बचाना हे संगवारी आज गढ़बोन नवा छत्तीसगढ़ राज.. गढ़बोन नवा छत्तीसगढ़ राज (नरवा, गरवा, घुरूवा अउ बारी के तख्ती मन ल धर-धर के मंच म चारो डाहर कलाकार मन किंजरथे।) राधा - चन्दूलाल चंद्राकर असुविधा अउ साधन हिनता ले कभू विचलित नइ होइस। गुरूबाबा घासीदास, वीरनारायण सिंह, मीनीमाता, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, पं. सुन्दरलाल शर्मा अउ डाॅ. खूबचंद बघेल के पृथक छत्तीसगढ़ राज के सपना ल पूरा करे बर गांधीवादी पत्रकार चन्दूलाल चंद्राकर ह शांतिपूर्वक छत्तीसगढ़ म जन जागरण चलइस। किसन - चन्दूलाल चंद्राकर अउ दाऊ वासुदेव चंद्राकर के संस्कार हमर माटी पुत्र मुख्यमंत्री भूपेष बघेल ल मिले हे। कतनो मन ल राजनीति विरासत म मिल जथे फेर भूपेष बघेल ले मुख्यमंत्री भूपेष बघेल बनाय म ओकर पिता श्री नदं कुमार बघेल जी के मार्गदर्षन रेहे हे। तब कहूँ जा के छत्तीसगढ़ ल साहसी अउ संघर्षषील मुख्यमंत्री मिलिसे। जउन आज हर छत्तीसगढ़िया के आसा अउ विष्वास आय।

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दृष्य - पाँच बारी (चैतू ह ढेरा आँटत मंच म बइठे हे, ओतके बेरा ओकर समधी रमेसर ह पहुंचथे।) चैतू - जोहार ले समधी। रमेसर - जोहार ले समधी महराज, जोहार ले। चैतू - कइसे निच्चट भांटा खुला कस खड़खड़ ले सुखाय कस दिखत हस समधी महराज ? रमेसर - काला बताबे समधी, मिही नही हमर गाँव भर के मन सुखावत हे। चैतू - कइसे जी ? रमेसर - खेत ह पानी बिना सुखावत हे, गरवा मन चरागन के बिना सुखावत हे। घुरूवा के बिना कचरा के बदबू के मारे गाँव भर के मन बीमारी म गरती आमा कस टपकत जावत हे। चैतू - त का तुँहर जिला म नरवा, गरवा, घुरूवा अउ बारी के योजना ह लागू नइ होय हे का ? रमेसर - ए नरवा, गरवा, घुरूवा, बारी ह का होथे समधी महराज ? चैतू - नरवा म स्टाप डेम बने ले जल स्तर उप्पर आ जथे तहान बोर म जल्दी पानी निकलथे। इही स्टाप डेम ले निस्तारी बर गाँव के तरिया ल भरथन तभे तो सूसी के बूतावत ले दफोर-दफोर के नाहथन। रमेसर - गरवा के योजना काए जी ? चैतू - गरवा बर हमर गाँव म तीन एकड़ म गौठान बने हे। अब गाय गरवा बर सबो के बेवस्था कोठा कस गौठान म रथे। अब तो गोबर गैस संयंत्र घलो बनगे हे। इही गोबर गैस संयंत्र ले घरो घर गैस पहुंचथे अउ इही गैस ले चुल्हा म भाग साग रांधथन।

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रमेसर - त ए घुरूवा योजना का ए ? चैतू - गौठान के तीरे-तीर घुरूवा बने हे। जेमा गौठान के गोबर ला फेंकथन। घुरूवा म गाँव भर के कुड़ा करकट ल डारथन। तहान इही घुरूवा ले जैविक खातु बनथे। रमेसर - त ए जैविक खातु ल का करथौ जी ? चैतू - इही जैविक खातू ल तो बारी म डारथन जी। तभे तो हमर गाँव भर के मन स्वस्थ अउ हिस्ट पुस्ट हन। रासायनिक खातू अउ अंग्रेजी दवई छिंचे ले फसल ह घलो रासायनिक हो जथे। जेकर उपयोग ले बड़े-बड़े जी लेवा बीमारी होथे। एकर ले हम्मन बाँच गे हन। अब तो पूरा छत्तीसगढ़ ल बचाना हे। रमेसर - बारी बखरी बर सरकार के अउ का योजना हे समधी महराज ? चैतू - सरकार ह उद्यानिकी अउ कृषि विभाग के योजना के मुताबिक साग-भाजी अउ फलदार पेड़ मन के वृक्षारोपण, साग सब्जी के उत्पादन बर जैविक खातू अउ बीजा के वितरण। संगे-संग हमर गाँव म तो नदिया-नरवा के तीरे-तीर फलदार वृक्ष मन के वृक्षारोपण होय हे। रमेसर - एकर ले का फायदा होही ? चैतू - तहूँ ह समधी महराज, चल हमर बारी ल देखावत हवँ। हमर साग भाजी के उत्पादन म बढ़ोतरी होगे हे, हमर मन के आमदनी म बढ़ोतरी होगे हे, अउ सब झिन ल पौष्टिक आहार मिलत हे। तभे तो हम्मन स्वस्थ, मस्त अउ तंदरूस्त हन। रमेसर - भइगे समधी महराज काली महँू गाँव म जाहूँ तहान सरपंच ल जल्दी से जल्दी गाँव म नरवा, गरवा, घुरूवा अउ बारी के योजना ल लागू करे बर कहूँ।

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चैतू - काली नही अभी जा अउ तुरते नरवा, गरवा, घुरूवा, बारी के योजना ल लागू करे खातिर तैयारी करे बर काह। रमेसर - हव समधी महराज, जाथौं। जै जोहार! चैतू - जै जोहार! गीत गढ़बोन नवा छत्तीसगढ़ राज होरि, होरि, होरि हो रेऽऽऽऽ छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा, गरवा, घुरूवा, बारी एला बचाना हे संगवारी आज गढ़बोन नवा छत्तीसगढ़ राज गढ़बोन नवा छत्तीसगढ़ राज (नरवा, गरवा, घुरूवा अउ बारी के तख्ती मन ल धर-धर के मंच म चारो डाहर कलाकार मन किंजरथे।) 

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दुर्गा प्रसाद पारकर जन्म 11 मई 1961 षिक्षा एम.काॅम., एम.ए. (हिन्दी) प्रवर्तक एम. ए. (छत्तीसगढ़ी) पं. रविषंकर शुक्ल वि. वि. रायपुर (छ.ग.) प्रकाषित कृति चिन्हारी (लोक संस्कृति) 2001 जस जँवारा षोध” 2002 मया पीरा के संगवारी सुवागद्य 2011 मया पीरा के संगवारी सुवापद्य 2013 छत्तीसगढ़ी नाटक षिवनाथ” 2015 छत्तीसगढ़ी नाटक सुकवा” 2018 छत्तीसगढ़ी नाटक चंदा” 2018 छत्तीसगढ़ी नाटक संग्रह सोनचिरई” 2018 छत्तीसगढ़ी उपन्यास केंवट कुंदरा” 2020 छत्तीसगढ़ी स्तंभ : चिन्हारी (दैनिक भास्कर, रायपुर) 1995 - 2000 आनी बानी के गोठ (दैनिक रौद्रमुखी स्वर) 1992 - 1993 संपादन : लोक मंजरी (छत्तीसगढ़ी) 1995 छत्तीसलोक (छत्तीसगढ़ी) 1995 अपन कद काठी ले बड़का साहित्यकार डुमन लाल ध्रुव (व्यक्तित्व - कृतित्व) सम्मान : राजभाषा आयोग, छत्तीसगढ़ शासन प्रेम साइमन सम्मान बिसम्भर यादव मरहासम्मान पता : केंवट कंुदरा, प्लाट - 03, सड़क - 11, आषीष नगर (पष्चिम) रिसाली, भिलाई, छत्तीसगढ़ -490006 मोबाइल नं. : 9827470653, 7999516642 (26) 



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