Friday 1 July 2022

भूलन कांदा


 

भूलन कांदा  


                खेत के मेड़ म रेंगत रेंगत एक जगा हपट पारेंव । इही तिर म भूलन कांदा अबड़ बगरे हे ... एक पइत हमर बबादई हा बताये रिहिस उही सुरता आगिस .. । बेरा ढरकत रहय । लकर धकर रेंगे लगेंव । अतेक रेंगे के पाछू घला गाँव तिर म पहुँचबेच नइ करेंव । मोला समझ म आगे के .. मेंहा भूलन कांदा उपर गोड़ मढ़ा पारेंव । अब कइसे करँव भगवान .. । कोन्हो दिखत घला नइ रहय । उही तिर बइठ गेंव । थोकिन अलग किसिम के कांदा म नजर परगे । ओकर चेचरा धरके उखाने के प्रयास करेंव । कांदा टस ले मस नइ होइस । पछीना पछीना होगेंव .. फेर कांदा ला एक इंच हला नइ सकेंव । टोंटा सुखागे । पानी पी डरेंव । बांचे खोंचे पानी ला भलभल ले कांदा उपर रिको देंव अऊ ओला हेरे के फेर उदिम करेंव । का मजाल ... गऊकिन .. कांदा टस ले मस नइ होइस । एड़ी के रिस तरुवा म चघगे .. उचेंव अऊ एक लात जमायेंव । मोर गोड़ के आरो पाके कांदा हा अपन जगह ले घुचगे । मोला समझ नइ अइस के काये होवत हे । एक पइत अऊ लात जमायेंव । कांदा एती ले ओती होगिस । मोला बड़ अचरज लागिस । अपन गोड़ ला एक दू बेर अऊ ओकर उपर लहरायेंव फेर कांदा हा अपन जगा ले घुचिच जाय । मोर पोटा काँपगे । भूत परेत मरी मसान के डर हमागे । पल्ला भागे के सोंचेंव । गोड़ उचिस निही । चमचम ले आँखी मुंद फेर बइठ गेंव । 

                      बोले के आवाज सुनइस । तैं कोन अस बाबू अऊ काबर मोला उखानत रेहे ? डर के मारे बक्का नइ फुटत रहय । फेर उहीच सवाल सुनइस । में जवाब नइ दे सकेंव । नावा सवाल सुनइस – तैं मोला लतियाये के उदिम काबर करेस ? का तोला जनाकारी हे के मोला खुंदइया के का हाल होथे ? डर्रा झन .. आँखी उघार अऊ मोर तनि देख । में भूलन कांदा अँव । मोला खुंदे के अधिकार तोला नइहे । अपन नाव ला भूलन कांदा किहिस तहन मोर देंहें म जान लहुँट दिस । में केहेंव – मेहा भूलन कांदा खुंद के आये हँव .. तेकर सेती अपन गाँव के रद्दा भुलागे हँव । तूमन काबर सरी जगा म पसरगे हव । ओ किथे – जेला खुंदे हस तेहा भूलन कांदा नोहय । ओला खुंदे रहितेस त अपन गाँव के सही रद्दा म नइ जातेस । संझाती के बेरा लकठियागे रहय । एक झन भऊजी दिख गिस । ओला पूछ पारेंव – कहाँ जावत हस या भउजी ? भउजी किथे – मई लोगिन मन के दिशा मैदान जाये के ठउर म तैं काये करत हस छोकरा .. ? में कलेचुप ओ तिर ले उचेंव अऊ रेंगे लगेंव । मोर संगे संग भूलन कांदा घला रेंगे लगिस अऊ रेंगत रेंगत किहिस - तैं भूलन कांदा ला खुंदे रहितेस त गाँव के भउजी ला कइसे चिन्हतेस ? मोला गाँव के अऊ कतको महतारी मन उही रद्दा म लोटा धरे दिख गिन .. मोर मुड़ी हा शरम के मारे बोजाये लगिस .. एती भूलन कांदा ला उसमान छुटे रहय ... ओकर मुहुँ अतरत नइ रहय । 

                     में असकटा गेंव अऊ ओला केहेंव - मोर गाँव आ चुके हे तैं वापिस हो जा । भूलन कांदा किथे – वापिस तो मेहा चलिच देहूं .. फेर मोला इही जवाब दे के तैं मोला खुंदे के प्रयास काबर करे ? ओकर ले पीछा छोंड़ाये बर ओकर सो हाथ जोर के माफी मांगेंव अऊ तरियापार म गुड़ाखू घँसरइया संगवारी मन तिर पहुँच गेंव । मोर संगवारी मन मोला देख के बड़ खुश होइन । मय गुड़ाखु नइ घँसरँव तभो ले .. अपन अपन खींसा ले गुड़ाखु निकाल के आफर करिन । महतारी बाप ले मिले के लकर्री रहय .. दूसर दिन संघरे के आश्वासन के साथ बिदा ले डरेंव । कांदा हा मोर आगू म आगे अऊ मोर रद्दा छेंके लगिस । में केहेंव – घुच न यार हमर रद्दा ला काबर छेंकथस । हमर दई हा चहा डबकाके अगोरत होही । ओ किथे – चल अभू तोला छोंड़त हँव .. रथिया आहूँ । 

                सुते दसना म भूलन कांदा अमरगे । में केहेंव – मोर ले बहुत बड़े गलती होगे के मेहा तुमला खुंदे के प्रयास करेंव । मोला माफी देवव । भूलन कांदा किहिस – तोला माफी मंगवाये बर तोर संगे संग नइ किंजरत हँव । अपन दई ददा ला अतेक प्रेम करथस .. अपन ननपन के संगवारी मनला अभू तक नइ भुलाये हस .. अपन गाँव ला नइ भुलाये हस ... मेंहा अतेक छोटे मनखे के खुंदे बर नइ बने हँव । तैं खुदे कतको के गोड़ म खुंदावत रउँदावात हस .. तोला कोन्हो ला खुंदे के अधिकार नइहे । मोला खुंदे बर बड़े मनखे बने बर परथे । मोला खुंद तहन ... दई ददा भाई बहिनी नता रिश्ता संगी जहुँरिया गाँव गोढ़ा ला भुला जा । अऊ मोर नाव लेके बाँच जा । 

               में पूछेंव – तूमन काकरो रद्दा म काबर आथव ? ओ किथे – हम अभू तक कोन्हो मनखे के रद्दा म नइ आये हाबन । दुनिया के कुछ मनखे के गोड़ अतका शापित हे के ओकर तरी म आये ले हमर तन मन म मनखियत हमा जथे तहन हमू ओकरे कस गुनहगरा .. भुलसुधहा .. लबरा हो जथन । हम भुला जथन के .. हम काबर जनम धरे हन .. । में केहेंव – हमर गाँव के मेंड़ म तुमला नइ रहना चाही .. उही रद्दा म हमर दई बहिनी भऊजी मन दिशा मैदान जाथे .. खुंद पारही ... ? भूलन कांदा केहे लगिस – जे दई अऊ बहिनी के बात करत हस तेमन मोला रोज खुंदथे फेर ऊँकर चरण पवित्र हे तेकर सेती .. न मोला नकसान होइस न उनला ... हाँ गाँव के कुछ बहुरिया मन के गोड़ तरी आये बर डर लागथे .. । में पूछेंव – काबर ? भूलन कांदा हा बतइस – ओमन घर के सरी संस्कार संस्कृति ला फुला म टांगके अपन महतारी बरोबर सास के .. बाप बरोबर ससुर के अऊ बहिनी बरोबर ननंद के .. घेरी बेरी अपमान करथे अऊ घरवाला ला .. माफी देहू .. भुलागेंव या .. कहि देथे । मोरे नाव झन लेवय सोंच डर्राथँव .. । 

               में केहेंव – काली पटवारी तिर मोला बुता हे .. । सुतन दे .. मुंधरहा के उचना हे । ओ किहिस – मुंधरहा ले उच जबे तभो काये कर डरबे । पटवारी के आफिस म .. बैक खुले के बाद बुता शुरू होथे । में हाँसेंव अऊ केहेंव – मोर संगवारी आय ओहा । मोला ओकर बर बैक नइ जाये बर परय । ओ किथे – रिहिस होही तोर ननपन के संगवारी .. अब वो केवल पटवारी आय ... अऊ मोला हरेक दिन खुंदे बर आथे ... । सरी बात बेवहार ला भुला चुके हे । जे दिन धराही .. बैरी हा मोरे नाव लिही । में केहेंव – अइसन म महूँ संगवारी वंगवारी नइ गुनव .. उपर डहर शिकायत कर देहूँ .. । ओ किथे – तोर बात ला कोन सुनही । इहाँ ले उहाँ .. तरी ले उपर तक मोला खुंद के अपन भविष्य बनइया मन बइठे हे । सब अपन कर्तव्य भुला चुके हे .. कोन तोर बात ला पतियाही ।   

               मेंहा ओला केहेंव – फलाना ला जानथस निही ... । हमन एके बटकी म बासी झड़के हन । एके संग तरिया म नंगरा डफोरे हन । ओला बताहूँ ... मोर बुता तुरते हो जहि । भूलन कांदा हा खलखलाके हाँसिस – जेकर तैं बात करत हस बाबू ... तेहा मोला खुंदे बर संसद जाथे .. ओ तोर का बुता करही .... बल्कि बुता जरूर बना देही ... । अब हाँसे के पारी मोर रिहिस .. में हाँसत केहेंव – तैं बात अइसे करत हस .. जानो मानो संसद के सिंग दरवाजा म तिंही बइठे हस । भूलन कांदा किहिस – हव .. सहींच कहत हस । उहाँ के चौखट म मोला कबके गड़िया के राखे हाबे ... महू ला खबर नइहे । में केहेंव – तैं संसद म रहिथस तेकर काये सबूत ... ? ओ बतइस – तुँहर घर बिजली नइहे , पानी नइहे , गाँव म सड़क ... तरिया स्कूल कालेज नइहे .. में चुन के आहूँ तहन .. पाँच बछर के भितर सरी हो जहि .. अइसे कहवइया मन … जब उहाँ खुसरथे तहन जम्मो बात भुला जथे । मोला नइ खुंदतिन त कइसे भुलातिन ... तिंही बता भलुक .. । में केहेंव – भुला जतिन त उहाँ ले आके फेर काबर हमर समस्या के सुरता करतिन .. । ओ बतइस – वापिस आये के बेर मोला फेर खुंदथे .. तहन फेर सुरता आ आथे । में केहेंव – त तोला उहाँ नइ रहना चाही ... तोरे सेती हमर समस्या के समाधान नइ हो पावत हे । ओ किथे – मय घला अइसने सोंचथँव .. फेर मोर बर सुरक्षित जगा संसद भवन ले जादा बने अऊ कहूँ तिर नइहे .. ओमन मोर बहुत मान करथे ... तोर कस लतियाये के कोशिस नइ करय । मोला खुंदे के अतके शौंक चर्राये हे त आजा उँहे अऊ आती जाती मोला अपन गोड़ म रऊँदले । में पूछ पारेंव – तैं थोकिन बेर पहिली बताये रेहे के कुछ मनखे के गोड़ शापित हे .. ओकर पाँव तरी म आके भुला जथस .. के काबर जनम धरे हस । तैंहा तो रात दिन उँहे खुंदावत हस .. सरी ला भुलागे होबे ... फेर अतेक गोठ बात कइसे बता डरेस । ओ किहीस – मेहा तोर कस जनता ला देखथँव तब मोला सुरता आ जथे । तोर कस मरहा खुरहा चपकाये रौंदाये खुंदाये ला देख .. अपन संगवारी समझ सुरता आ गिस । तोला बताये बर आये हँव के .. अतका खुंदाये के बावजूद .. तोला अपन असतित्व के अहसास नइ होइस ... अभू तक दऊँचावत हस । पाँच बछर तुँही ला खुंद के .. तोरे ले इज्जत पवइया मनला पहिचान के अलगिया .. तब तहूँ मोर कस काकरो हिरदे म बसके इज्जत पा जबे । 

               में केहेंव – तोरे सेती मोर गाँव के विकास नइ होवत हे .. तोला संसद के सिंग दरवाजा म नइ रहना चाही । तैं उहाँ ले निकल ... निही ते तोला निकलवा देहूँ । ओहा हाँसत किहिस – मोला कहाँ कहाँ ले निकलवाबे ? उहाँ हरेक कुर्सी के आगू म हँव । उहाँ जवइया हरेक हिरदे मोर निवास स्थान आय । में ओकर ले हार गेंव अऊ हाथ जोरत केहेंव – हमर गाँव ले चल देतेव .. तुँहर बड़ कृपा होतिस । इहाँ काकरो घर अऊ हिरदे म झन बसतेव । ओ किहीस – तूमन नान नान जनता अव बाबू .. तुँहर हिरदे म गरीबी अऊ लाचारी के अतेक बिपदा भरे परे हे के .. मोर कस बड़े बर जगा नइहे । तुँहर पेट खुदे पोट पोट करत हे .. मोला का पोस सकहू । अपन आप ला बड़े समझइया .. जेकर तिर बड़का बड़का अबड़ अकन पेट हे तिही मन .. मोला पोस सकत हे । मोला खुंदइया मन बड़े बन जथे .. तेकरे सेती .. तोर गोड़ तरी नइ आयेंव ... । गलती ले तहूँ बड़े आदमी बन जतेस तहन .... तोर नता गोता संस्कार कर्तव्य के का होतिस । कलेचुप सुत .. काली पटवारी तिर नइ ओधँव ... तोर बुता हो जही । में भूलन कांदा ला मने मन धन्यवाद देवत .. छोटे मनखे होय के खुशी के एहसास करत .. आँखी चपकके सुत गेंव । 


 हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

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