Friday 29 July 2022

हरेली पहिली तिहार


 

हरेली पहिली तिहार

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 हमर पहिली तिहार हरेली ल माने जाथे। आज तो शिक्षा के विकास के संग जागृति आगे हावय।  अब अंधविश्वास ल लोगन मन समझे ले लगगे हावंय। पिलिया ल फूक के ठीक करना, साँप के काटे ल फूकना, बिच्छू के काटे ल फूकना, कठिया वात ल ठीक करना ये सब मन के विकार आये। विश्वास अउ अंधविश्वास के बीच म मनखे ह डोलत हावय। शिक्षा के साथ  येला बंद हो जाना रहिस हे फेर नहीं होये हावय।

कार म नीबू मिर्च टाँगे जाथे, घर म नारियल अउ बगनखा टाँगे जाथे। श्रीर के नाखुन ल गला म पहिरे जाथे । अइसे विश्वास हे के आदमी ह शेर सरिख ताकतवर हो जथे। ये सब अंधविश्वास के चरम दिखाई देथे हरेली के दिन। 


गाँव ल बांधे जाथे, ये दिन गाँव ले कोनो भी आना जाना नइ करय। गाँ म रात के मनखे मन पहरा देथें। कई झन टोनही ल पकड़थे। रात के जेन भी बाहिर निकलिस तेन ह बइगा के चपेट म आ जथे। टोनही के नाव रखा के ओखर बारह हाल करे जाथे। अधिकतर गरीब, विधवा या अकेला महिला ल ही बइगा मन अपन.शिकार बनाथें। शमशान घाट म पकड़ंय या फेर खेत म पकड़ंय। कहूं बीमार परगे त इही महिला मन के नाव लगा के प्रताड़ित करंय। आज भी ये सब गाँव म होथे। कखरो भी तबीयत खराब होइस त इही महिला मन ल पकड़े जाथे।


आज के दिन किसानी म काम आने वाला सब औजार ल धो के पूजा करथें।अगले बछर बर तेल लगा के रख देथें। पहिली जब लकड़ी के चौखट राहय त ओमा सिक्का  ल ठोक देवंय. असल म लोहा ह ध्वनि ल सोख लेथे।तंत्र मंत्र के प्रभाव घर के अंदर नइ पड़य। ये सिक्का के कारण कोइ भी मनखे ऊपर एखर प्रभाव नइ परय। ये ओ समय के बात रहिस हे जब पूरा घर म लकड़ी अउ माटी ही राहय।आज तो सब जगह लोहा मिलथे। हर घर म लोहा के फाटक लगे रहिथे।

 यह एक वैज्ञानिक कारण हो सकथे। आज मो. इही सोच के संग काम करथे। हरेली के रात के भयानकता अब नइ दिखय। ओ सब डर अब खतम होवत हावय काबर के हर घटना के कारण ल सबके आगू म उजागर करत हावंय। या समझ लन के सबके कारण ह पता चलत हे। पिलिया वाययस से होथे न कि जादू टोना से।  गठिया वात ल फूक के चावल के दाना या कंकड़ निकालंय से सब कहां ले आथे येखर जानकारी होगे हावय।नीबू ले खून निकलना भी एक वैज्ञानिक कारण आये। अब जादू टोना ऊपर.विश्वास खतम होवत हावय तब हरेली के तिहार ह तिहार असन लागथे। चीला बोबरा खा के अपन मस्त होके पूजा पाठ कर के तिहार ल मनाथें।

 सुधा वर्मा, मड़ई, 11/8/2021

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