Sunday 17 July 2022

छत्तीसगढ़ म कांदा के महत्व*



*छत्तीसगढ़ म कांदा के महत्व*


- *दुर्गा प्रसाद पारकर* 

                        

      जऊन समे मनखे मन धान कोदो कुटकी ल नइ चिन्हत रिहिन होही ओ समे काला खा के जियत रिहिन होही। कुछू काही ल तो खावत पीयत रिहिन होही। ओ बखत जर बुखार बन कोनो क्रोसिन रिहिस होही न विक्स। तभो ले जिनगी ल काटिन होही कांदा - कुसा खा के। आजो घलो छत्तीसगढ़ म आनी बानी खनिज ले कतको जादा कांदा कुसा ह जघा जघा मिलथे। लगभग इहां सबो किसम के कांदा मिलथे

 जइसे-डांग कांदा के नार ह ढेखरा म बने फून्नाए रथे। डांग कांदा के सागो रांध ले अऊ पलपला म उसन के हकन के खा ले। बने सुहाथे। जंगलिहा मन तो सेवारी ल घलो खवाथे जल्दी सम्हलही कही के। केऊ कांदा ह बस्तर कोती जादा मिलथे। केऊ कांदा खाए ले पेट ह खलखल ले साफ हो जथे। सादा दिखते केऊ कांदा ह। बखत परे म सागो रांध ले जी। ढुलेना कांदा तरिया म करिया रंग के मिलथे। ओकर नान-नान कांदा ह छेरी लेड़ी कस दिखते। डोटो कांदा के नार ह बंगला पान के नार कस होथे। डोटो कांदा ल मरार मन जादा लगाथे। तरिया के पैठू म बुचरूवा कांदा ल देख ले। ए कांदा म बूच रहिथे तिही पाए के एला बुचरूवा कांदा केहे जाथे।

बुचरूवा कांदा ल कुकरी कांदा के नाव से घलो जाने जाथे। बुचरूवा ह भुरवा दिखथे। केसरूवा कांदा ह खान खान भाथे। सियान मन कहिथे बुचरूवा अऊ केसरूवा कांदा दूनो भाई बंद हरे। सेम्हर कांदा ललहूं रहिथे जउन अघात मीठ रहिथे। शकर कांदा ल केंवट कांदा के नाव ले जादा जाने जाते। जऊन ह लाल अऊ सादा रंग के होथे। केवट कांदा ह केवट मन कस सबो डाहर मिलथे। केवट कांदा ह मांदा म भारी भोगाथे। घुपकाला के मौसम म नदिया के रेती म केवट कांदा लगाथे फेर पाला के कांदा कस मोठ नइ राहे तभे तो पचर्रा रथे। बाजार हाट ह तो बिना केवट कांदा के शोभा नइ देवय। कांदा भाजी गजब मिठाथे | लालच म जादा खाबे त झार घलो देथे पेट ल।

नांगर कांदा जीमीकांदा कस होथे। लम्हरी घलो होथे। चना कस नांगर कांदा ह जमीन ल उर्वरक देथे। जतेक जादा करिया माटी ओतके जादा मीठ नांगर कांदा। कोचई कांदा तीन किसम के होथे। लाल रंग के कोचई ह बड़े-बड़े तो होथे फेर जीभ ह खजुवाथे। जीमी कांदा ल मही म रांधबे त तो बने नही ते मुंह के बूता बना देथे। अटके बीर्रे म कोचई खुला तारथे। जात कोचई फरहरी के काम आथे। जात कोचई ह भुंजवा म गंज सुहाथे। अइसने किसम के छूइहा कोचई ल साग बनाथे। कोचई के पाना ल बेसन म लपेट के उसने के बाद काट के कटकट से अम्मट मही म रांधबे ते रांधते-रांधत मुंहू ह पंछा जथे। राम कांदा ह बड़े-बड़े होथे। ए कांदा ल कच्चा खाए जाथे। एला उसने के जरूरत नई परय। भंइस ढेठी कांदा ह भइस के ढेठी कस होथे। अइसने किसम के ढेस कांदा अउ रतालु कांदा होथे जऊन ह तरिया म मिलथे। रतालू कांदा ह घलो होथे । अइसने किसम के अऊ कतनो कांदा छत्तीसगढ़ म मिलथे।

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