ग्रामीण भूखण्ड भूखण्ड के नाम अउ विवरण
हमर छत्तीसगढ ह कृषि प्रधान प्रदेश हरे. इहां धान जादा बोय जाथे. एकर
सेति येला धान के कटोरा कहे जाथे. खेती- किसानी इहां के रहवासी मन के रग- रग म समाय हे.खेती इहां के किसान -बनिहार के जिनगानी हरे.इही जीवन के आधार हरे.खेती अपन सेती , नइ ते नदियां के रेती कहे गे हवय. खेती म अब्बड़ मिहनत हे.खेती म कांटा -खूंटी बिनइई -सोलई से लेके धान मिंजई अउ कोठी म धान धरई तक कतको अकन प्रक्रिया ले गुजरे ल पड़थे.
अइसने भूखण्ड के नांव घलो अलग अलग रहिथे.
खार- किसान मन माटी के प्रकार अउ क्षेत्र विशेष के नांव ल आधार बना के खार के नांव रखथे. कतको अकन खेत
ल मिला के खार कहे जाथे. जैसे - कन्हार खार, भर्री खार, नदियां खार , मटासी खार, चुहरी खार, कछार खार,बाहरा खार, तुलसी खार. गांव के आधार म घलो खार ल कहे जाथे.
डोली - जउन प्रकार के फसल बोय जाथे वोकर आधार म या कोनो नांव या घटना विशेष, रुख रई ल आधार बना के डोली मन के नांव रख देथे. हाड़ा डोली,मुसवा मरा, बाई रुख डोली , कुवां डोली,सांप डोली , नीम डोली,बोहार डोली.
धनहा डोली- जे खेत म धान बोय जाथे वोला धनहा डोली कहे जाथे.
भर्री डोली - येमा धान के उत्पादन कम होथे. येमा जादा कोदो, सोयाबीन,चना, सरसो बोय जाथे जेकर बर कम पानी के जरुरत होथे.
भांठा जमीन - गांव के पास लगे जमीन
जेमा तिली, कोदो बोय जाथे. भांठा जमीन म पानी ठहर नइ पाय.
परिया- गांव म खेत -खार , बारी -बखरी बियारा, मैदान के संगे संग परिया के गजब महत्व हे. परिया म मवेशी मन के घूमे फिरे अउ थोरकुन चारा मिल जाथे.
बियारा - खेत म फसल कटई के बाद बियारा म रखे जाथे. धान,गहूं, सोयाबीन,चना, लाखड़ी,उरिद,मूंग,सरसो,तिली जइसे फसल ल खरही के रुप म गांज के या बगरा के राखे जाथे. फेर वोकर सुखे के बाद मिंजई करे जाथे.
कोठी - फसल के मिंजई के बाद वोला बने सहेज के राखे बर घर के पठउवां म या खाल्हे म माटी या ईंटा ले दीवार बनाय जाथे वोला कोठी कहिथे. वोमा सबो प्रकार के फसल ल अलग अलग रख के सुरक्षित राखे जाथे.
अंगना - घर के शुरू म बईठे के जगह.
बारी - गांव म बारी के अब्बड़ महत्व हे. येमा किसम- किसम के सब्जी उगाय जाथे. बखरी म तुमा, तोरई,कुम्हड़ा, रमकलिया, बरबट्टी, परवर,कुंदरु,करेला अउ तरह -तरह के भाजी -पाला ले बारी म बहार आ जाथे. येकर ले पैसा बचत होथे काबर कि घर म ही सब्जी मिल जाथे.येकर ले
आर्थिक संबल घलो मिलथे.
सरकार ह घलो नारा दे हवय-
छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी .
नरवा,गरुवा,घुरवा अउ बारी.
ओमप्रकाश साहू अंकुर
सुरगी, राजनांदगांव
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