Friday 1 July 2022

सास के लाम लाम तिंहा बहू के का काम

 सास के लाम लाम तिंहा बहू के का काम 


                बात बहुतेच तइहा तइहा के आय । राजिम म एक झिन रामकिसुन नाव के किसान रहय । ओकर दू झिन बेटा रिहीस । एक के नाव नारद अऊ दूसर के नाव टीकम । लइका मनला बाढ़हे म कतेक टेम लागथे गा । नारद हा देखते देखत जवान होगे । कमाये धमाये ला धरिस तहन नारद के बिहाव कर दिन । नारद घर के बहू हा सुखियारिन रिहीस । ओला खेती खार के किसानी बूता नइ आय । ओहा अपन सास संग कमाये धमाये ला नइ जाय । ओकर सास हा बहू के इही चाल ला देखके अबड़ फटफटाये । ओहा बहू ला रात दिन इही बात म अबड़ खिसियाये । एक दिन सास बहू बिहिनिया ले रखिया बरी बनइन अऊ छानी म सुखो दिन । दू दिन पाछू बिहिनिया ले सास हा बहू ला किसानी बूता सिखोये के बहाना खेत लेगे । टीकम हा घर रखवार रहय । टीकम के बड़े दई हा उही तिर रहय । ओहा थोकिन चोट्टी सुभाव के रिहीस । झिम झाम देख रामकिसुन घर खुसरगे । पर्रा के बरी म ओकर नजर रहय । ओहा टीकम संग बाते बात म छानी के खपरा ला कोचक दिस । पर्रा खसलगे । बरी टपाटप भुंइया म गिरगे । बरी ला उचाये के बहाना आधा ला पर्रा म अऊ आधा ला ओली म डार लिस । 

               सांझकुन सास बहू खेत ले वापिस अइस । पर्रा ला उतारिस तब बरी आधा दिखिस । सास हा टीकम ला पूछिस । टीकम किथे – सफरा बड़े दई हा आये रिहिस । बरी हा ओतके बेर को जनी कइसे भिंया म गिर गिस । बड़े दई हा आधा ला अपन ओली म धरके लकर धकर चल दिस । सास के दिमाग खराब होगे । ओहा ओतेके बेर अपन जेठानी ला बलवाये ला भेज दिस । अपन बहू ला किथे – तहूँ कहन लागबे ? मिहींच अकेल्ला ठेका नइ लेहँव । जेठानी अइस तहन देरानी हा ओला अबड़ झर्रइस । बपरी सफरा हा नइ चोराहों या कहत कतको सफई दिस फेर झर झर झर झर के मारे कुछ नइ चलिस । जेठानी हा मुहुँ उतारके चल दिस । जेठानी जइसे गिस तहन सास हा अपन बहू उपर भड़कगे अऊ केहे लगिस – चुपे चाप देखत खड़े रेहे ....... तहूँ केहे के लइक नइ रेहे तेमा ....... । बहू सुटुर सुटुर अपन कुरिया म खुसरगे । 

               किसानी के दिन नहाकगे । बहू खोसकिस खोसकिस करे लगिस । अब सास अऊ बहू दुनों झिन खेत नइ जाय । कुछ हफता ले एक झिन गरीब मनखे हा ओकर घर मांगे बर आय । ओकर सास हा ओला देवय कुछू निही बलकी रोज सुनावय - दिखत तो हिस्ट पुस्ट हस ..... । तोला सरम नइ लागे । रोज आ जथस मांगे बर । जा दूसर घर देख । ओ भिखारी हा घला अइसे जिद्दी के ओकर घर ले ओला अभू तक कुछ नइ मिलिस ……. फेर मिले के आस म रोज पहुँच जाय । रोज सास ले सुनय तभो ले जाये बर नइ छोंड़े । एक दिन सास हा घर म नइ रिहीस । मंदिर गे रिहीस । उहाँ ले लहुँटत रिहीस तब उही भिखारी ले मंदिर के बाहिर मुलाखात होगे । सास हा भिखारी ला पूछिस – आज हमर घर गे रेहे का बबा ? भिखारी किथे – हव गे रेहेंव महतारी । सास पूछथे – बहू घर म रिहीस ? तोला कहीं दिस ? भिखारी किथे – बहू घरेच म रिहीस फेर कहींच नइ दिस । सास किथे – कहीं किहीस का ? भिखारी किथे – का कहि दई । जइसन तैं कहिथस - दिखत तो हिस्ट पुस्ट हस , तोला सरम नइ लागे रोज आ जथस मांगे बर , जा दूसर घर देख .... । भिखारी के मुहुँ ले बात सुनके सास के पारा चइघगे । ओहा भिखारी ला किथे – चल मोर संग में देखथँव । बहू कइसे अइसने किहीस ? भिखारी सोंचिस – सास बहू के झगरा म आज पहिली बेर फायदा होने वाला हे । वाजिम म भगवान के घर देर हे अंधेर निये । सबर के फर मिठ होथे । 

               घर पहुँचके सास हा अपन बहू उपर भड़कगे अऊ केहे लगिस - तैं कोन होथस मना करइया ? मना करना रिहिस त में करतेंव । तोला कोन अधिकार दिस । बहू ला खिसियाये के पाछू बाहिर निकलके , मोटरी खोलत भिखारी ला किथे – दिखत तो हिस्ट पुस्ट हस । तोला सरम नइ लागे । रोज आ जथस मांगे बर । जा दूसर घर देख । भिखारी हा अपन मोटरी ला लकर धकर बांधिस अऊ समेट के ..... सुटुर सुटुर मंदिर कोती चल दिस । 

               मंदिर के पुजारी हा सब जानत सुनत रिहीस । भिखारी ला वापिस मंदिर आवत देख पुजारी हा ओला पूछिस – कहीं मिलीस जी ...... ? भिखारी किथे – नइ मिलीस महराज । केवल सुने बर मिलिस । महराज किथे – सुन तो पहिली डरे रेहे , दुबारा सुने बर काबर गे रेहे तेमा ........ ? भिखारी किथे – पहिली ओकर बहू हा भले कुछ नइ दे रिहीस , फेर बपरी हा सुनाये नइ रिहीस महराज । हां ..... एक बात जरूर हे ....... जब ओकर घर मांगे बर जाबे तहन ओकर घर के एकेक ईंटा तको ले इहीच बोली निकलथे , उही ला बहू किहिस कहि पारेंव ..... महराज । बपरी बहू हा राम राम नइ केहे रिहिस ओला फोकट .... मोर सेती सुने ला परगे । महराज किथे – ओकर बहू हा सास कस निये जी । ओहा वइसन कहिच नइ सकय । बपरी ला फोकट दोसी बना दे । वइसे भी बहू का करही अऊ कायेच कहि बिचारी हा ...... । जिंहा सास के लाम लाम तिंहा बहू के का काम ......... ? 


हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

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