Thursday 5 January 2023

पूस पुन्नी

 पूस पुन्नी 

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    साल के बारहों पुन्नी के अलग अलग महत्व हे । पूस पुन्नी जब किसान के कोठी धान , कोदो , कुटकी ले भर जाथे , खुशी ल बांटना हे त कोठी के अन्न ल बांटना , दान पुण्य करना भी तो जरुरी हे इही हर तो अन्न महालक्ष्मी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन आय , दूसर बात जिनमन तीर खेत डोली नइये ओहू मन तक नवा अन्न पहुंचाना हे तीसर अउ जरुरी बात समाज मं समरसता के भाव ल बंचाये भी तो रखना हे । 

 श्रेयः श्रेयः माने कल्याण होय , श्री समृद्धि बढ़य ए शुभकामना हर लोक भाषा मं छेर छेरा होगिस एला प्रयत्न लाघव कहिथें । 

छत्तीसगढ़ कृषि संस्कृति अउ ऋषि संस्कृति के मनइया आय इही देखव न अन्न दान ये दूनों संस्कृति के मेल तो आय अन्न कृषि संस्कृति के त दान ऋषि संस्कृति के  रुप आय । 

    ए दिन शाकम्भरी देवी के पूजा के विधान हे , अन्न , साग भाजी , फल फूल के देवइया तो उही हर आय न ? ऋषि संस्कृति तो निरामिष भोजन के बात कहिथे । लइका मन छेर छेरा मांगे टोली बना के निकलथे काबर ? लइकन ल सिखोये जाथे के गरब गुमान ल छोड़ के जियव , सहयोग , समरसता सीखव , देना पावना दूनों जरुरी हे । धन्य छत्तीसगढ़ जिहां जांगर टोर कमाना जिये बर जरुरी हे त मेहनत के कमाई ल चिरई -चुरगुन , हितू -पीरितू , देवता - धामी , गरीब गुरबा सब ल बांटे के रिवाज हे बड़ सुग्घर ढंग से तिहार के ओढ़र दान पुण्य के महत्ता सिखोवत पर्व के आप सब ला बधाई ।

   सरला शर्मा

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