Thursday 5 January 2023

छत्तीसगढ़ म अंग्रेजी माध्यम के स्कूल : मोर विचार

 छत्तीसगढ़ म अंग्रेजी माध्यम के स्कूल : मोर विचार 

       फूट डालो अउ राज करो म बंटाये ये देश-राज ह अइसे बंटाइस कि  आजादी के अतिक बछर बाद भी एक ठन भाषा, ल हमन अपन राष्ट्र भाषा नइ बना पावत हन , उपरहा कार्यकारी भाषा के रूप म अंग्रेजी के अधिकारिक आदेश  कि जनमानस म एकर सहज स्वीकार्यता आज सबो तरफ देखे जा सकत हे । छत्तीसगढ़ म अंग्रेजी माध्यम के स्कूल एकर उदाहरण आय ।

        शिक्षित बेरोजगार मन के बाढ़त संख्या म  अंग्रेजी जानकार ल रोजगार जल्दी मिल जात हे ,अइसन धारणा आज सब के हवे । इही पाय के  गरीब मनखे भी अपन पेट काट के लइका ल अंग्रेजी माध्यम के स्कूल म पढ़ावत हे ।

        वैश्विक सबो गतिविधि जइसे साहित्य से ले के व्यापार तक ,ज्ञान से ले के विज्ञान तक म समाय अंग्रेजी भाषा के पहचान अंतर्राष्ट्रीय हवे , तेकर सति एकर बाढ़े महत्ता  म सबे येला सीखना चाहत हे । त  छत्तीसगढ़ येकर से दुरिहां कइसे हो सकत हे ।

          ये सब बात ह छत्तीसगढ़ म अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खुलना चाहिए के जोर शोर से समर्थन करत हे । छ.ग.के निजी क्षेत्र म तो बहुत पहिली से अंग्रेजी माध्यम के स्कूल हवे फेर सरकारी क्षेत्र म अंग्रेजी माध्यम के स्कूल नवा बात आय।  हिंदी माध्यम सरकारी स्कूल ल ही अब अंग्रेजी माध्यम स्कूल  बनाय जात हे । एकर से विद्यार्थी,अब शिक्षा के अधिकार संग शिक्षा में समानता के अधिकार ल भी पावत हे ,तब ,जब समानता के सिद्धांत पर आधारित शिक्षा आज खुद असमानता के शिकार हवे ।

          आठवीं अनुसूची म शामिल भाषा मन अपन-अपन राज्य के राजभाषा आय संग ऐकर हिंदी के ज्ञान कि इंहां हर मनखे कम से कम दो भाषा के जानकार हे। भले ही येमन हिंदी ल राष्ट्र भाषा के रूप म सार्वजनिक समर्थन नइ दे पाय पर बात रोजगार या हिंदी भाषी क्षेत्र म रहे के होय त इही मन अघवा जथे।

       हमर राजभाषा छत्तीसगढ़ी ल भारतीय भाषा के मान्यता बर अभी समय हे त हमन सिर्फ एक भाषा के जानकार हवन उपर ले अंग्रेजी म सब ले भी पीछू हवन ,त अइसे में इहां अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खुलना उचित हे ।

       अब अंग्रेजी माध्यम स्कूल ल एक विद्यार्थी  के नजर से सोचन विद्यार्थी के महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी , स्कूली शिक्षा के माध्यम हिंदी  । दोनों के लिपि एक होय के बाद भी विद्यार्थी अपन पूर्व ज्ञान अउ वर्तमान ज्ञान म सामंजस्य बिठाय म कठिनाई महसूस करथे जेकर से भावनात्मक बुद्धिमता संग सीखें के प्रतिफल प्रभावित होथे ,जेन लइका  के सर्वांगीण विकास म बाधक हे । जबकि अंग्रेजी के लिपि भी अलग हे अउ लइका के वातावरण म भी नइ हे त अइसे म मिले शिक्षा आरुग रटंत होही जेन ह लइका के विकास ल ही नहीं देश ल भी प्रभावित करही । इही पाय के नई शिक्षा नीति ह प्रारम्भिक शिक्षा ल मातृभाषा म लागू करे बर जोर देवत  हे । 

       अंग्रेजी माध्यम के शिक्षक भी अध्यापन के बेरा मूल बिंदु ल अंग्रेजी म पढ़ाथे पर, पर समझाय अउ बोल-चाल म  वोला मातृभाषा ल ही बउरे ल पड़थे । यानि आई मतलब आई नहीं,आई मतलब मैं , ये पढ़ाये ल पड़थे । अइसे स्थिती म लइका  न हिंदी के रहे,अउ न अंग्रेजी के होय । 

       अंग्रेजी माध्यम के स्कूल म भर्ती कराय लइका मन के पालक के हाल और खराब रहिथे। आज पालक शिक्षित हे , लइका ल पढ़ाना भी चाहत हे  पर वोकर ज्ञान के माध्यम हिंदी हे  , परिणाम लइका के पढ़ई लिखई म मदद नइ कर पाय ,अउ ट्यूशन जरुरी हो जथे  । लइका धीरे धीरे पालक से दूरिहां होय ल लगथे , जे आगे चल के सामाजिक दूरी या नैतिक पतन के कारण बनत हे ।

       प्रायः हर राज के अपन राजभाषा हे अउ उंहा के अधिकांश रहवासी के मातृभाषा भी हे ।अपन देश राज के भाषा बोली ल जीवित रखे के शिक्षा एक आधार आय । यदि आधार  ही बदल जही त ये भाषा बोली मन लुप्तप्राय होय के संभावना बढ़ जाही । मातृभाषा म शिक्षा लागू करे से हमर हर राज भाषा तो जीवित रही । 

       अंग्रेजी माध्यम स्कूल म नई शिक्षा नीति  लागू करे से मातृभाषा म शिक्षा  दिये  जाही त अंग्रेजी इंहां के मातृभाषा नोहे त अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्राथमिक स्तर म कइसे चलाय जाही ? कक्षा दसवीं तक त्रिभाषा फार्मूला लागू हे वोमा संस्कृत संग अंग्रेजी भी एक भाषा हे। अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा संग कार्यकारी भाषा भी हे, ज्ञान होना चाहिए पर येला माध्यम बनाना अपन सभ्यता अउ संस्कृति ल छोड़ के अपन मन मस्तिष्क ल दूसर के अनुसार बनाना हे , 

       रोजगार के दुहाई दे के अपनाय ये माध्यम ह यदि सब ल रोजगार दे म सक्षम हे त येमा कोई दोष नइ हे पर ये कपोल कल्पना आय काबर एक भाषा के रुप म सबे शिक्षित बेरोजगार ल अंग्रेजी भाषा के जरुरी ज्ञान तो हे, नइ हे त रोजगार  मिले के बाद सीख जाही । उच्च शिक्षा अउ विदेश जवइया बर ये माध्यम बन सकत हे पर कोई देश सीमित संख्या म ही रोजगार दे सकत हे । कोई भी देश दूसर देश के प्रतिभा ल अपन  हित तक ही महत्ता दिही फिर युद्ध,अशांति हो या महामारी हो अपन देश ही काम आही । 

        

      हर भाषा अपन देश राज के सभ्यता अउ  संस्कृति के आधार आय ,येमा पर परिवर्तन गुलामी के अदृश्य  रूप ये , येमा हार यानी देर-सबेर आर्थिक गुलामी बर तैयार जमीं हे।

       कोस म पानी बदले,बीस कोस म बानी ।सब बानी  ल शिक्षा  के माध्यम नइ बनाय जा सके ,पर बहुतायत लोगन के भाषा ल   राजभाषा बना के वो  राज्य म शिक्षा दिये जा सकत हे। मातृभाषा - राजभाषा   के आधार पे राष्ट्रभाषा के चयन कर द्वितीय भाषा के रूप म लागू किये जा सकत हे ।  संस्कृत परीक्षा तक ,पर अंग्रेजी आज माध्यम बनत हे ,हमर शिक्षा व्यवस्था के यानि हमर देश के। हमन अपन वेद मन ल पढ़े बर संस्कृत नइ पढ़ सकत हन पर  उकर साहित्य बर बाईस ठन भाषा अउ बोली मन के बलि चढ़ाय बर तैयार हन ।अंग्रेजी एक भाषा के रूप म जरूर होना चाही पर माध्यम रूप म होय से हमर सोचे समझे के शक्ति ह प्रभावित होही । अतिक साल से इंहां अंग्रेजी पढ़त-पढ़ात आये हे ,प्रतिभा के कोंहो कमी नइ हे ,तब तो  अपन भाषा म समृद्ध अंग्रेजी साहित्य के अनुवाद  होना रहिस हे अउ सब पढ़ैया मन ल अपन भाषा म  शिक्षा के अधिकार मिलना रहिस हे।

                       श्रीमती गीता साहू

                          30.12.22

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