Saturday 21 January 2023

खाँड़ा गिरे कोहँड़ा म त कोंहँड़ा जाय , कोंहँड़ा गिरे खाँड़ा म त कोंहँड़ा जाय

 खाँड़ा गिरे कोहँड़ा म त कोंहँड़ा जाय , कोंहँड़ा गिरे खाँड़ा म त कोंहँड़ा जाय

 

           बहुत बछर पहिली के बात आय । अकबर के राज म चारों कोती सुख शांति के वातावरण रहय । एक दिन अकबर अऊ बीरबल हा राज के कामकाज ला देखे बर गाँव गाँव म किंजरे के योजना बनइन । अकबर के दरोगा मन कइसे काम काज करत हे । कन्हो कर्मचारी मन आम जनता ला सतावत पदोवत तो निये ...... इही सब बात ला अपन आँखी म देखे बर अकबर हा बीरबल संग हुलिया बदलके बिगन काकरो जानकारी के निकलगे । 

          एक ठिन गाँव के बाहिर म पहिली पड़ाव परिस । सांझकुन दुनों झिन गाँव किंदरे बर निकल गिन । गाँव के चौपाल म चौसर चलत रहय । सियान मन तास म माते रहय । ओमन अकबर बीरबल ला न बइठ किहीन न उठ ....... । दुनों झन गाँव के मनला निहारत रहय ...... तइसना म ....... क्षेत्र के दरोगा हा खड़दक खड़दक करत घोड़ा म अइस । उदुपले दरोगा ला देखके जम्मो झन सुकुरदुम होगे । दरोगा हा फड़ म गोड़ मढ़हा दिस । जम्मो खेलइया के खींसा ले एकेक पइसा गिन गिन के निकलवा लिस । अऊ तो अऊ जेमन खेल ला सिर्फ देखे बर खड़े रहय ....... तहू मनखे के पइसा म हांथ मार दिस । बहुत अनुनय बिनय हाथ पाँव जोरे के बाद भी गरीब के पइसा ला वापिस नइ करिस । येला देख अकबर अऊ बीरबल चुपके से निकले बर धरिस ...... । दरोगा के नजर परगे । ओकरो मन के खानातलासी होइस । थोर बहुत ओकरो मनके खींसा ले निकलगे । बीरबल पूछ पारिस – काबर अइसन वसूली करत हव ...... हमन जुँवा चित्ती थोरेन खेलत हन तेमा ....... कम से कम गरीब के पइसा ला वापिस कर देतेव दरोगा साहेब । बपरा मन दुवा देतिन । दरोगा हा बीरबल उपर भड़कगे अऊ एक सोंटा मारत किथे – तोर बाप के लागत हँव ...... तेमा अतेक मेहनत के कमाये पइसा ला वापिस करहूँ साले ......... । अकबर हा कुछ कहना चाहत रिहिस फेर बीरबल हा ओला चुप करा दिस ...... । 

          दूसर दिन ...... अकबर अऊ बीरबल हा दूसर गाँव गिस । मुंधियार कुन गाँव म एक झन बड़का दाऊ हा अपन परछी म हुक्का गुड़गुड़ावत बइठे रहय । बीड़ी पियत नौकर चाकर संग ऊँकर चरबत्ता चलत रहय । अकबर अऊ बीरबल घला ओकरे मन के पाछू म बइठगे । चार झिन मनखे संग उही क्षेत्र के दीवान हा पहुंचगे । दाउ हा दीवान साहेब के अबड़ आवभगत करिस । दाऊ हा धीरे से दीवान साहेब ला पूछथे – भितरि डहर जाबो का दीवान साहेब ...... ? दीवान किथे – का दाऊ ........ । तैं मोला छोटे मोटे आदमी समझथस का ..... ? लान इही तिर ...... कतका मोर हिस्सा बनत हे तेला ....... मेंहा बेर उज्जर मांगहूँ अऊ लेगहूँ घला ...... कोन्हो मना कर सकत हे का ...... ? कन्हो मोर बिगाड़ सकत हे का ....... ? बेरा होगे जल्दी जाना हे ...... दूसर जगा अऊ वसूली करना हे । काली परन दिन ले सरकारी वसूली के अभियान घला शुरू करना हे तेकर सेती समे निये ....... । दाऊ के हाथ ले हिस्सा पाके दीवान साहेब चुपचाप निकलगे । 

          अपन डेरा म पहुँचके अकबर किथे – बीरबल में सोंचे नइ रेहे हँव के , मोर कर्मचारी मन जनता के बीच अतेक आतंक मताके राखे हे । मेंहा अइसन मनला जरूर सजा देहूँ । वइसे बीरबल ..... तोला नइ लगे के दरोगा के निपटारा तो जनता खुदे कर सकत रिहिस हे ...... । आपस म मनोरंजन के नाव म चौसर तास खेलना कन्हो जुरुम थोरेन आय । ओमन काबर दरोगा ला पइसा ले से मना नइ करिस .... अऊ तो अऊ साले दरोगा हा गरीब तको के पइसा ला खींसा ले हेर के लेगे । कम से कम ओला तो रोक सकत रिहिन । बीरबल किथे – एकर उत्तर अऊ कभू देतेंव त नइ बनतिस राजा साहेब ...... ? अकबर किथे – ठीक हे भई समे के अगोरा रइहि ..... । फेर बड़े जिनीस दाऊ जे खुदे चार झिन दीवान पाल सकत हे तेहा काबर दीवान ला पइसा दिस होही ? ओ चाहतिस त अइसन अइसन कतको दीवान ला सत्ता से हटवा सकत हे ........ । बीरबल किथे – अभू सिर्फ देखत रहव राजा साहेब के , तुँहर राज म काये काये होवत हे ...... समे आही त येकरो उत्तर देहूँ ..... । 

          दू चार दिन घूमत किंजरत अकबर ला अपन कर्मचारी मनके असलियत पता चलगे । एक दिन अकबर अऊ बीरबल हा एक ठिन गाँव के बखरी के तिर म मुनगा रुख के तरी म कोहँड़ा बेंचत मनखे संग गोठियावत रहय । कोहँड़ा बेंचइया हा कोहँड़ा ला खचाखच काटके चानी चानी करके राखत रहय । कुछ बेर म अकबर हा खड़े खड़े थकगे । भुँइया म बइठ घला नइ सकत रहय । ओहा मुनगा रुख के डारा ला सहारा बर धर पारिस । रटहा डारा टुटगे । डारा उपर लटके नानुक कोंहँड़ा हा सीधा मरार के खाँड़ा म गिरके खच ले कटा के दू फाँकी चनागे । दुनों झन उहाँ ले चुपचाप खिसकना उचित समझिन । 

          जावत जावत अकबर किथे – अच्छा होइस । मरार ला घुस्सा नइ अइस । निही ते अपन खाँड़ा ला फेंक के हमी मनला मार देतिस तो उही तिर राम नाम सत हो जतिस बीरबल ....... । बीरबल किथे – हव सही बात आय राजा साहेब । तब तुँहर दुनों प्रश्न के उत्तर कोन सुनतिस राजा साहेब ... ? अकबर पूछथे - कोन से प्रश्न ? बीरबल किथे – ओ दिन के दुनों प्रश्न के उत्तर कोंहँड़ा हा दे दिस राजा साहेब । गाँव के मनखे मन दरोगा ला अवैध वसूली बर मना कर देतिस तब , मना करइया मन बहुत जादा नकसान म रहितिन । ओमन ला सार्वजनिक जुँवा खेले के जुरूम म जेल म डरवा देतिस ....... तेकर ले अच्छा चिटिक अकन देके बाँचगे । रिहीस बात दाऊ के ...... त वोहा जरूर वइसन कतको दीवान ला बांध के किंजर सकत हे फेर सत्ता हा सत्ता होथे ....... । ओहा तुँहर दीवान के बिरोध करही त कहूँ न कहूँ नकसान म दाऊ रइहि ....... दीवान निही ....... । दीवान हा तुँहर ले शिकायत करके दाऊ के टेक्स ला बढ़वा देतिस ...... तुँहर जांच अधिकारी मन येकर ले कतको जादा वसूल लेतिन । टेक्स चोरी के आरोप म बदनामी अलग अऊ सजा अलग पातिस दाऊ हा .... ।       

          बीरबल हा अकबर ला समझाये लगिस - जेकर हाथ म सत्ता के धार अऊ ताकत के मूठ होथे न राजा साहेब तेकर संग बिरोध करके का करही ...... खुदे नकसान म रइहि । सत्ता के धार हा काकरो उपर गिरके टुकड़ा टुकड़ा कर सकत हे ....... अऊ अपन उपर गिरइया के चानी चानी घला कर सकत हे ......... । मुनगा रुख तरी खड़े होके तहूँमन खुदे देख डरेव राजा साहेब - खाँड़ा गिरे कोहँड़ा म त कोंहँड़ा जाय , कोंहँड़ा गिरे खाँड़ा म त कोंहँड़ा जाय । 


          हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

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