Saturday 7 January 2023

नान्हें कहिनी सहर के लोगनमन

 नान्हें कहिनी

                सहर के लोगनमन

                सुरुजा दाई ल जर आवत रहिस ।गांव के डॉक्टर ल देखाइस त डॉक्टर ह रइपुर के बड़े अस्पताल म दिखाए बर कहिस।आज सुरुजा दाई ह अपन  गोसई संग  रइपुर के अस्पताल म आये रहे। अस्पताल के लम्बा -लम्बा लाइन म खड़े-खड़े कब दिन बुढ़गे पता नी चलिस। जैसे-तैसे डॉक्टर ह ओला देखिस अऊ पर्ची म दवाई लिखिस।

          ओमन अस्पताल ले निकीलीन त रतिहा होगे रहय। उखर गांव के आखिरी बस निकल गे रहिस।"अब कईसे करबो?"सुरुजा दाई ह चिता म परे पूछिस।

        सुरुजा दाई के गोसई  कहिस-"तैं चिंता झन कर। हमर छोटका भाई के बड़का बेटा कब काम आही।इहिं रइपुर म ओहा बड़े साहब हे।अरे  हमर बल्लू ह। बस ओखरे घर आज रतिहा रुक जाबो ।बिहिनिया के पहली बस ले हमर गांव निकल जाबो।रात भर के बात ताय।"

      सुरुजा दाई कहिस-"बने कहत हंव।बल्लू ह पर बछर हमर घर आये रहिस त बने पन्दरा दिन ले रुके रहिस। मोर हाथ के चीला ,फरा अऊ अंगार रोटी ल बने खुस होके खाये।" अइसन कहत दुनो झन  डोकरी-डोकरा बल्लू के घर पहुँचीन ।त का देखथे दुवार म एक ठिंन बड़का जनिक करिया कुकुर बंधाये रहय।ओमन देख के कुकुर ह भुकेल लागिस। सुरुजा दाई डरा गे। तभे  दुवार  म एक झिन  नोनी झाँकत कहिस-"कौन हैं आप लोग?किससे मिलना है?"

       सुरुजा दाई ह कहिस-"हमन ओ बेटी, बल्लू बलराम के बड़े दाई अऊ बड़े ददा।"

       तभे बल्लू उर्फ बलराम आइस।ओमन ल देखिस अऊ कहिस-"कईसे आये हो बड़े दाई?"

         सुरुजा दाई ह जम्मो हाल ल बताइस। त बल्लू कहिस-"का बतावव दाई,तोर बहु ल गांव वाला मन सन एडजस्ट करे म दिक्कत होथे।त तुमन ल एकोदिन  मैं अपन घर म नी राखय सँकव।

                   डॉ. शैल चन्द्रा

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