Saturday 21 January 2023

खाँसी (नानकुन कहिनी)*

 *खाँसी (नानकुन कहिनी)* 


प्रोफेसर शर्मा आज प्रेक्टिकल परीक्षा लेहे बर हबर हें बगल के कॉलेज में। जइसे ही हबरीन गेट म त, बुढ़वा चौकीदार हाथ के इसारा करत किहिस-

"ओ..डहर साहब!.. .ओती मोटर खड़ा करे बर छाइहा (शेड) बने हे ...उहें लगा देवा" 

अतकेच गोठियाय म घलव चौकीदार खोख..खोख करत खांस दारिस।

प्रोफेसर शर्मा मनेमन  सोचिन -कि "आज तो स्वागत खाँसी ले होत हे..कोन  जानी.. दिन कईसे निकलही?"

      पूछत- पूछात प्रोफेसर शर्मा डिपार्टमेंट म पहुँचिन।

"अरे ! आव- आव सर ...आपेमन के डहर देखत बइठे हन।"

विभागाध्यक्ष प्रोफेसर टण्डन किहिन।

  "अरे मोला पहिली वाशरूम के जगा बताव सर..जल्दी- जल्दी म घर म मौका ए नी मिलिस।" प्रोफेसर शर्मा टण्डन सर मेर हलो- हाय करत किहिन।

प्रोफेसर टण्डन प्रोफेसर शर्मा ल समझा दिन -

"पहिली डेरी हाथ जाना हे सर ..फेर उहाँ ले सिद्धा दिख जाहि ...दीवार म लिखाय घलव हे - 'केवल स्टाफ हेतु'।"

    प्रोफेसर शर्मा वाशरूम डहर पहुँच के अकचका गे। उहाँ ले हाथ ल सुखात एकठन मेडम निकलत रहय। सोच म परगे.. कि अंदर जाय कि निहि ?

उहिं समे एक्ट स्टाफ के कोनो करमचारी खाँसत- खाँसत अंदर हमा गे। एकझन अउ आगे.... उहू खाँसत- खाँसत अंदर हमा गे।

  प्रोफेसर शर्मा विभाग म लहुट गे।समझे नी अइस ओला कि का करे?

"कईसे पांडे  जी ! ..आपमन के कॉलेज म जेन  देख त उही खाँसत हे भई!..सब ठीक तो हे...।" 

प्रोफेसर पांडे पहिली तो समझे नी पइन। फेर ...जब समझ म अइस त ठठा के हाँसत- हाँसत किहिन -

"अरे ..! डरावव झन सर....कहूँ ल कोरोना - वोरोना नी होय हे । एकठन वाशरूम हे न स्टाफ बर... एकरे कारण जेन भी अंदर जाथे ...वो सचेत करे बर खांस देथे....जइसे पहिली घर म नावा बोहासिन आय त सियान मन खाँस - खंखार के भीतर हमांय न .. बस ओइसने।"

   प्रोफेसर शर्मा घलव ठठा के हांस दारिस । 

      उहू हबरे हे वाशरूम के मुहटा म एदे ...अउ अभिनय करत हें खांसे के -

"खोख ..खोख..खँव....!


डॉ. सी.एल. साहू

शिवा रेसिडेंसी, रायपुर

No comments:

Post a Comment