Thursday 5 January 2023

छत्तीसगढ़ी भाषा नँदा जही का

 छत्तीसगढ़ी भाषा नँदा जही का

विकास के साथ सामाजिक परिवर्तन होबे करथे।

विज्ञान के उन्नति होवत गीस। दीया के जगह.बिजली आगे।

येखर ले बहुत प्रभाव पड़िस।

मैं ज्यादा नई लिखंव। येला सब जानत हावंय। अनुभव करे हावंय।

बात भाषा के नंदाय के होवत हावय।

भाषा नंदावय नहीं काबर के बहुत.झन मन अभी भी छत्तीसगढ़ी बोलत हावंय।

नवा शिक्षा प्रणाली म पांचवी तक मातृभाषा में.शिक्षा होही लिखाये हावय। कई राज्य के मन 2022 में ही येला लागू कर दे हावंय। छत्तीसगढ़ म तैयारी होगे हावय 2023.ले लागू होही।

इंहा तो आंदोलन करना शुरु कर देथे के दूसर भाषा काबर पढ़ावत हावंय?. 


दू भाषा दूसर राज्य के पढ़ाना जरुरी कर दे हावंय। येला अभी कोई कोई जगह लागू करे हावंय। येखर स्वागत भी होय हावय के हमन अपन ड़ोसी राज्य के भाषा ल जानबो कहिके। फेर छत्तीसगढ़ म बहुत विरोध करिन। विरोध विरोध लिखत हावंय त ये भी बता देथंव के पहिली विरोध नंदकिशोर शुक्ल जी करथें।

 मोर परिवार ले कुछ मन परिचित होहीं तेन मन जानत होहीं के हमर घर म हिंदी में ही बोलत रहेन। जब हमन गाँव जावन त हमर परिवार वाले मन भी हमर मन संग हिंदी म बोलंय। फेर हमन तीनों भाई बहिनी मन बढ़ियख छत्तीसगढ़ी बोलथन भी अउ लिखथन भी। हमन कहाँ ले सीखेन? 

वातावरण ले।आस पास जेन मन छत्तीसगढ़ी बोलथे उंखर संग थोरबहुत बोल बोल के अभ्यास होगे।

अचरज के बात के मोर बैटा अंग्रेजी माध्यम म पढ़े हावय फेर बढ़िया छत्थीसगढ़ी बोलथे। अपन ससुराल वाला मन संग बोलिस तब मैं सुनेंव। मैं स्वयं नहीं जानत रहेंव के मोर 28 बछर के बेटा छत्तीसगढ़ी जानथे।

मैं पूछेंव के मोर अलावा तो कोई छत्तीसगढ़ी नइ बोलय ,हमर थो गाँव भी नइये तब तैं छत्तीसगढ़ी कइसे बोलथस।

तब बतइस के हमारा छतँतीसगढ़ पुस्तक म कुछ पाठ छत्तीसगढ़ी के रहिस हे ओखरे ले सीखे रहेन। बाद म बाजार म सुन सुन के सीख गेन।

अब बतावव के हमन छत्तीसगढ़ी कइसे नंदा जही।1933-34 में ही हमर माँ पिताजी गाँव ले बाहिर चल दिन। हिंदी के माहौल म ढल गीन। माँ काका आपस म हिंदी में ही बोलत.रहिन.हैं। गाँव जावंय तब छत्तीसगढ़ी बोलंय। फेर हमर घर हमन कइसे छत्तीसगढ़ी लिखथन।

आज भाषा मन नंदावत हावंय तब ये अरूण भाई के.चिंता सही हावय। फेर जब तक हमन आस म.छत्तीसगढ़ी बोलबो, लेखन मन लिखहीं तब तक छत्तीसगढ़ी नइ नंदावय।

आज गाँव ले बाहिर.निकलने वाला लड़का लड़की, बाजार म घूमने वाला मनखे हिंदी डाहर जात हावय। फेर पढ़े लिढ़े मनखे मन छत्तीसगढ़ी बोलना अपन.गौरव समझथें। हम तो जब भी छत्तीसगढ़ी बोलने वाला मिलगे त छत्तीसगढ़ी म बोलना शुरु कर देथनः

सबले बढ़े बात अभी रविवार के वृंदावन हॉल म छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य सम्मेलन.के कार्यक्रम रहिस हे। बिहनियाँ मिटिंग रहिस हे। रवि श्रीवास्तव ह जीवन यदु संग छत्तीसगढ़ी म बोलना शुरु करिस त हमन भी सब छत्तीसगढ़ी म बोले.ले.लड गेन। पी सी लाल घलो रहिस है। ओखर सम्मान भी होईस।

हिंदी भाषख ल राष्ट्रभाषा बनाये के प्रयास चलत हावय। मैं स्वयं दू समूह चलावत हावंव हिंदी के। फेर जब कार्रक्रम म सकलाथन त सब छत्तीसगढ़ी बोलथन। हिंदी के बात छत्तीसगढ़ी म होथे। ये अनुभव करे के बात आये। पढ़े म शायद समझ म नइ आही।

मोर तो मानना हे के छत्तीसगढ़ी भाषा ल नंदाये म हजार बछर घलो कमती परही।

सुधा वर्मा

[1/3, 6:26 PM] +91 94063 51566: एक सवाल उठे हावय नौकरी के त ये बात तो सही आये के हमला विदेश जाना हे या दूसर देश जाना हे त थोर बहुत अंग्रेजी तो जानना ही है।  अंग्रेजी स्कूल ले काबर.डरना, हमर.भाषा छत्तीसगढ़ी हावय, एक विषय सब जगह पढाना चाही। नहीं त हिंदी के संग म चार आठ चलत हावय येखर डाहर ज्यादा ध्यान देना चाही।

सुधा वर्मा

[1/3, 6:32 PM] +91 94063 51566: एक बात अउ हावय के बिना सोचे समझे छत्तीसगढ़ी म एम ए खोले गीस। सब ल सपना देखाये गीस के स्कूल म छत्तीसगढ़ी शुरु होहे वाला हे त तूमन ल नौकरी मिल जही। आज के युवा नौकरी के लालच म छत्तीसगढ़ी म एम ए करिन। आज तक बेकारी ल झेलत हावंय। 

ये गलत होइस।ये मन आंदोलन करत हावंय। काबर? आज के समय म जेन विषय म एम ए करे हावंय तेन शिक्षक मन भी बी ए के विषय मन ल स्कूल म पढ़ावत हावंय।

प्राथमिक सँतर के छत्तीसगढ़ी तो सरल रहिही।  ओखर संग म  हिंदी में भी पआठ ल छापत हावंय तब नवा शिक्षक के भर्ती काबर होही। 

आज तक छत्तीसगढ़ी खुलही त हमन ल नौकरी मिलही ये सोचना एक सपना आये।

दूसर नौकरी करना चाही।.जब खुलही तब देखना।


                   तैड़ के फैला के छत्तीसगढ़ी बोलत देख के या पढ़ के समझे लइका मन हांसथे। अइसना छत्तीसगढ़ी ल देखके तो आज के युवा मन भागहीं तब जरुर ये.नंदा जही।

हमन छत्तीसगढ़ी नंदावय मत येखर बर हमन ल 52.अक्षर के प्रयोग करना चाही। हिंदी ले लेय गे शब्द ल जस के तस रखना चाही। अक्षित मनखे सरिख ओखर उच्चारण ल बिगाड़ना नइ चाही।

एक बात के जानकारी मोला भी नइ रहिस हे के सरकार ह 52 अक्षर के छत्तीसगढ़ी लेखन ल स्वीकृति देय हावय।

मोरा काली बर विनोद वर्मा जी के प

" छत्तीसगढ़ी का मानकीकरण " पुस्तक मिलिस ओमा अपन.लेख म पेज 111 म लिखे हावंय....


               वर्तमान परिस्थितियों में यह असंभव है। ऐसा परिवर्तन 'शुद्ध छत्तीसगढ़ी' के स्थान

में 'अपभ्रंश छत्तीसगढ़ी' पैदा कर रहा है, जो छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास के लिए

घातक है।


भारत शासन ने हिन्दी भाषा के लिए देवनागरी लिपि व उसके 52 वर्णों को

अंगीकृत किया है, जिसका उपयोग समस्त शासकीय अभिलेखों में हो रहा है। इसी

तरह छत्तीसगढ़ शासन ने छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए देवनागरी लिपि को अंगीकृत

किया है। छत्तीसगढ़ राजभाषा (संशोधन) अधिनियम 2007, धारा 2 का संशोधन

(क) 'हिन्दी' से अभिप्रेत है देवनागरी लिपि में हिन्दी ।


(ख) 'छत्तीसगढ़ी' से अभिप्रेत है देवनागरी लिपि में छत्तीसगढ़ी।


से स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ी भाषा में देवनागरी के समस्त लिपि अंगीकृत किए

जाएंगे। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल द्वारा यह अधिसूचना 11 जुलाई 2008 को जारी

किया गया।


अस्तु वर्तमान में यदि देवनागरी लिपि के कुछ वर्णों को छत्तीसगढ़ी भाषा से

बहिष्कृत करना ही हो तो उसके लिए छत्तीसगढ़ शासन को विधानसभा में संशोधन

के लिए पुनः अधिनियम लाना पड़ेगा।


सुधा वर्मा

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