Saturday 28 January 2023

नाचा

 नाचा 

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      मनसे के मन मं मूल रूप से दस ठन भाव जनमजात रहिथे इही दसो भाव के आधार मं कला साधना करे जाथे चाहे वो कला साहित्य होय , संगीत होय या होवय नृत्य त आज हमन नृत्य माने नाच जेकर एक रूप नाचा कहाथे तेकर सुरता करिन । 

   नृत्य के उद्गाता भगवान शंकर माने जाथें , माता पार्वती संग उंकर नाच सुख सनात के बरसा करइया , सृजन के प्रतीक आय जेला लास्य नृत्य कहे गए हे दूसर संसार के अनीति अनाचार ल देख के विनाश बर जेन नृत्य उन अकेल्ला करथें ओला तांडव कहे जाथे जेहर प्रलयंकर शंकर के रौद्र रूप आय । 

  हमर छत्तीसगढ़ मं नाचा के अधार भी भारतीय संस्कृति के सृजन अउ विध्वंस हर आय फेर तइहा दिन मं शिक्षा के अभाव रहिस ते पाय के नाचा के माध्यम से थोरिक मनोरंजन उही हांसी ठट्ठा त कभू सामाजिक विसंगति मन के चरचा करे बर गांव के चौपाल मं त कभू पंडाल बना के नाचा प्रस्तुत होवत रहिस । 

  नाचा हर छत्तीसगढ़ी लोकनाट्य कला के उदाहरण आय जेमा पारम्परिक अउ लोक संगीत दूनों मिंझरे रहिथे । चार प्रकार के नाचा मिलथे पहिली ल खड़े साज के नाचा कहिथें एहर सबले जुन्ना रूप आय । 

दूसर गंड़वा नाचा ...बर बिहाव असन सुख सनात के मौक़ा मं देखे बर मिलय । 

तीसर हे देवार नाचा एकर विशेषता रहिस के ये नाचा मं महिला मन भी भाग लेवत रहिन फेर उनमन के मान सनमान के बरोबर ध्यान रखे जावत रहिस । 

चौथइया हे बइठे साज के नाचा एकर रूप हर गम्मत कहे जाथे ...जेमा जोक्कड़ के भूमिका महत्वपूर्ण होथे । 

     विशेष ध्यान देहे लाइक बात  एहर आय के नाचा हर सिर्फ मनोरंजन नोहय बल्कि समाज मं बगरे छुआ छूत , दहेज प्रथा , नशाखोरी , जुआ सट्टा , अशिक्षा , सूदखोरी असन विसंगति मन ल उजागर करना , सुधार के उपाय बताना घलाय आय । 

सुरता राखे बर परही के तइहा दिन मं गांव गंवई मं शिक्षा के साधन कम रहिस । 

    सबो नाचा मं भाव भंगिमा महत्वपूर्ण रहिस । देवार नाचा लोक नाट्य प्रमुख रहिस , लौकिक प्रेम प्रमुख रहय । चौमास सिराती मं मनसे खेती किसानी ले थोरकुन सुभित्था होवत रहिन त देवारी के संगे संग राउत नाचा शुरू होवय । राऊत नाचा हर वीरता प्रदर्शन आय त आश्वासन घलाय तो आय के गांव के भाई बहिनी मन निसाखतिर रहव हमर हाथ के तेल पियाये लाठी आप सबो के रक्षा करे बर तियार हे । घरोघर जा के इनमन दोहा पारथें , असीस देथें सब झन बर मंगलकामना करथें । रीति नीति के बात समझाने वाला दोहा पारथें ...। 

   गम्मत के जोक्कड़ आशुकवि होथे जेहर हांसी ठठ्ठा के ओढ़र मं गहन गम्भीर सामाजिक विसंगति ऊपर घन के चोट मारथे , मनसे तिलमिला जाथे फेर उजर आपत्ति तो करत बनय नहीं । 

 " मेहतरीन " नाचा ओ समय के बड़का सामाजिक रोग छुआ छूत ऊपर जोरहा प्रहार रहिस । आजकल तो बहुत अकन नाचा पार्टी के गठन हो गए हे । मंदरा जी ल नाचा के पुरोधा माने जाथे उंकर योगदान ल छत्तीसगढ़िया मन कभू भुलाए नइ सकयं । 

समाज के विकास मं लोकसंस्कृति , लोकगीत , लोकनाट्य ,लोकगाथा मन के योगदान रहिबे करथे त छत्तीसगढ़ के संस्कृति ल जाने समझे बर हमन ल ये सबो के अध्ययन करना परही । 

   लोकाक्षर के बुधियार लिखइया मन के विचार के अगोरा मं 

      सरला शर्मा 

        दुर्ग

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