Sunday 29 January 2023

चढ़व निसयनी

 चढ़व निसयनी

-------------------


             रददा रेंगत रेंगत बनथे। पहिली कोनो नइ रेंगे तेन रददा म कभू न कभू कोनो ल रेंगे ल परथे। नइ रेंगबे त का जानबे? आगू ओला काय मिलही? फेर हमर कोनो पुरखा इही रददा म रेंगे त झन रेंगे, मेंहर त , रेंगबे करहुं। मोला दाई तेहर, इस्कूल भेज दे। बिरादरी के गोठ ल झन सुन दाई, मेंहर पढ़हुं।  मोला पढ़ई -लिखई ,अब्बड़ बने लागथे। तोर काम बूता ल घलो करहुं दाई,आठवी कच्छा ल पढा़ये, तईसने आगू मोला पढ़न दे दाई। अईसना गोठ ल गोठियात गीता हर अपन दाई फूलमति तीर रोम  दिस।

                 फूलमति गीता ले किहिस-"नोनी हमर बिरादरी मा जादा कोनो पढ़े -लिखे नइये।  जादा पढ़ाबों त बिहाव  बर मुस्किल हो जाही।  हमर गोतियार म मनखेमन पढ़े-लिखे नई हवय। फेर पढ़ई -लिखई इही करा थोरकुन हवय। पढ़ई -लिखई म खर्चा तको लागथे।  हमर मन के बस के गोठ नईये इही पढ़ई -लिखई नोनी। अभी कुन त कच्छा पहली ले कच्छा आठवी तक सरकार डहार ले मुफत म सिक्छा रिहिस। जेमा खाय पिये के कोनो फिकर नई रिहिस।  मुफत म मध्यान भोजन रिहिस। पढ़ई-लिखई-खवई के कोनो चिन्ता -फिकर नई रिहिस। अब आगू तोर पढ़ई-लिखई  के खरचा ल कोन उठाही। तोर ददा ल देखत हस जतका बढ़ई के काम बूता म कमाथे त सफ्फा दारू पियई म सिरा जथे। नोनी तुंहर चारो लइका के पोसेबर मेंहर अब्बड़ उदिम करे हवव, त तुमन अतका बड़ बाढ़े हवव। फेर गोतियार सगा संबंधी  के कोनो परवाह नई करहुं, अउ तोला पढ़ाहूंत तोर पढ़ई के फीस ल कहां ले लानहुं अउ कहां ले पाहु"। गीता किहिस -"दाई तेंहर फीस के कोनो चिन्ता -फिकर झन कर,मेंहर तोर संग म घर के बुता ल करहुं। बिहिनिया मुधहरहा चरबजी उठ के तोर सरी काम बूता ल करहुं, तोर संगे- संग बूता म जाहुं अउ दाई तयं जानथस नवमी क्छा म इस्कूल म साइकिल तको नोनी मन ल सरकार हर देवत हवय।  पुस्तक तको फोकट म मिलही अउ स्कालरशिप तको पढ़े बर मिलही,दाई तेहर मोला इस्कूल पढ़े बर भेज दे।  अभेकुन तेहर दु घर काम बूता करत हस।  अब पांच घर बूता करबों। मोर फीस बर अब संसों झन कर ,मेंहर बूता ल खोज डरे हौंव। बिहिनिया टाइम  म अपन स्कूल जाके, अपन पढ़ई-लिखई ल कर डारहुं। मेंहर पढ़ई बर सब्बो दुख ल झेल लेहुं, फेर पढ़े ल नइ छोड़व, दाई तेंहर भइगे हाहो कहि दे"। फूलमति अपन नोनी के गोठ ल सुन के ओखर लगन अउ मेहनत ल देख के पढ़ाये बर तियार होगे अउ कहिस - "नोनी तोला मोर संगे काम-बूता म जाय के कोनो जरुरत नइ हवय, मैंहर तोर पढ़ई बर अतका त करे सकत हवव ,जा नोनी तैंहर इस्कूल म भर्ती हो जा"। गीता हर खुस होके दाई ल पोटार लिस।

      

           पहाती सुकुवा ल देख के मुधरहा ले गीता ह उठ के पढ़ई ल करे, विसय ल सुरता राखे बर लिख -लिख के पढ़ई ल करे अउ बने सुरता रहे बिचार के भगवान ल सुमिरन तको करे। बिहिनिया पांच बजे घर काम बूता ल कर डरे। बिहिनिया एके घंटा म अपन बूता ल करके नहा -खोर के थोरकुन पढ़ई-लिखई ल करय अउ इस्कूल बर तियार हो के बासी खा के इस्कूल डहार रेंग दे।

     

         गीता अपन कच्छा म अब्बड़ हुसियार रहाय.  सब्बो बहन जी मन ओला मया करे।  एक घाव कच्छा बहन जी सब्बोझन लइका मन तीर प्रस्न पूछिस-"तुमन पढ़ लिख के का बनना चाहू?" लइकामन अपन-अपन बिचार ल राखिन। कोनो डॉक्टर त कोनो नरस त कोनो वकील, त कोनो दुकानदार, त कोनो पुलिस कहिन।  त गीता हर किहिस-"बहन जी मेंहर पढ़ लिख के बहन जी, मेडम बनहू, काबर टीचर मन सब्बो लइकामन के हिदय म रहिथे। जइसे मोला आपमन बने लागथो,  आपमन के गोठ हर मोला नीक लागथे। आपमन के ग्यान ले मोर अग्यान हर मिट जथे। तइसने महू टीचर  बनके सब्बो लइकामन के अउ  समाज के अग्यान ल दूर करहूं"। गीता के गोठ ल सुन के बहन जी हर अब्बड़खुस होगे,कहिस-"गीता तेहर सिरतोन मेडम बनबे, तोर गोठ म अब्बड़ सच्चई हवय"।


          इही सब्बो गोठ हर गीता के आंखी म झूलत रहाय।  इही गोठ ल गुनत बिचार करत खुरसी म बइठे अपन पढ़ई-लिखई बर भोगे अतका दुख के दिन ल सुरता करत,अपन इस्कूल के कच्छा के लइका मन  ल देखत रहाय अउ मन म गुनत रहाय।  आज के समे म सिकच्छा बर चारों डहार सुघ्घर बेवस्था हवय।  आज समाज हर कतका उन्नति कर डरे हवय.  गांव, सहर ,जंगल, आदिवासी छेतर म तको पढ़ई -लिखई के गोठ हर गूंजत हवय।  कछु दिखे त झन दिखे, पराथमिक स्कूल हर सिरतोन सब्बो डहार दिख जथे। आज जम्मो बबा, ददा, महतारी मन अपन लइका ल पढ़ाये बर तइयार हवय। फेर लइका मन बने पढ़त नइये। आज त कच्छा पहली ले आठवी तक जम्मो पुस्तक, कापी, बस्ता, इस्कूल डिरेस, दार भात खाय बर तको फोकट म मिलथे इस्कूल म।  हाई इस्कूल तको गांव-गांव म खुलगे हे। थोरकुन पोठ गांव होगे त हायर सेकेन्डरी इस्कूल तको खुलगे।  इहीचो पुस्तक हर फोकट म मिलथे, फीस तको बहुत कम हवय। आज सिकच्छा के चारो कोती पुछारी  बाढ़गे हे, फेर आज नोनीमन पढ़ई म जादा धियान देवत हवय।  वोमन त आगू बढ़े के ठान ले हवय,काबर माई लोगन मन तको अब अपन नोनी  के पढ़ई म धियान देवत हवय।


         मैंहर त अपन गरीब मजूरी करइया दाई-ददा के बड़की नोनी रहेव,फेर मोर सिकच्छा के बड़ उदिम अउ मंसूबा ले मोर भाई बहिनी मन तको सोझ रददा म रेंगना सीख गिन। मेंहर आज पढ़-लिख के सिक्छिका बन गे हवव। मोर आगू पढ़े अउ बढ़े के अब्बड़ जिद रिहिस, आगू बढ़के जिनगी अउ समाज म कछु कर दिखाय के, नवा अंजोर लाये के जिद रिहिस। अबला ल सबला बनाय के जिद रिहिस. तेन हर आज पूरा होगे।  आज मेंहर अपन छोटे भाई -बहिनिमन के आगू-आगू रददा बतइया बन गे हवव। पढ़ई लिखई ले आज मोर दुनों भाई मन पुलिस म आरछक बन के देस अउ समाज के सेवा करत हवय।  बहिनीहर टेलरिंग के बूता म लग गे हवय,आनी बानी के, रंग-रंग के बिलाउज अउ सलवार, कुरता ल सिलथे। वोहर आज ससक्त होगे हे,काखरो आगू हाथ फैलाये के जरूरत नइये।  अपन खरचा- पानी पूरा करके घर म तको खरचा बर देथे। हमर घर म अब जम्मो सुख -सुभिता होगे हवय। परोसी मन तको जरत-भुंनत हवय.के पढ़ई -लिखई ले अतका उन्नति कर डारे हवय।


               आज मेंहर अपन आप म गरब करत हवव के मोर जिनगी म सिकच्छा के अतना उदिम ले , पढ़ई ले सिरतोन नियाव होगे जेखर सेती मोर जिनगी सवंरगे।


            आज मेंहर अपन गांव के इस्कूल म एक ठन आदर्स सिकछिका कहावत हवव।  मोर कच्छा के लइकामन  मोला अपन आदर्स मानथे। वोमन कहिथे मेडम हमन तको आपमन जइसन बहन जी बनबों । इही लइका मन के गोठ म मेंहर मोहाय अपन मंजिल ल पा डरे हव अउ अब्बड़ खुस हव। सिकच्छा ले मोर जिनगी म उजियारा आगे।  मोर दाई-ददा के जिनगी म तको सुरूज के किरन बनगे हव।  अपन दाई -ददा के सबले दुलारी नोनी बन गेव हवव। बाबू मोला अपन बड़का बेटा कहिथे ।  मोर घर परिवार म खुसहाली आगे। इही हाना हर सिरतोन होगे-

"स्कूल आ पढ़े बर, जिनगी ल गढ़े बर ।

 चढ़व निसयनी सिकच्छा के,  जिनगी संवरही सिकच्छा ले"।


            इही सफ्फा गोठ ल गुनत गीता हर सिरतोन चमक गिस। इस्कूल के घंटी हर जोर ले बाजिस। बड़े रिसेस खतम होगे। पांचवा पिरियेड सुरू होगे, कच्छा पांचवी म हिन्दी विसय लिहेबर कच्छा के भीतरी नींगगे।  लइका मन के सुघ्घर जिनगी ल गढ़े बर ।


----------------------------*-------------------------

                    लेखिका

           डॉ. जयभारती चन्द्राकर

                  

       मोबाइल न. 9424234098

No comments:

Post a Comment