छत्तीसगढ़ी भाषा नँदा जाही का
छत्तीसगढ़ हर चारो तरफ ले घेराय हे तव आने आने भाषा मन के प्रभाव तो होबे करही, रहीबे करही| सियान मन कहे हें
*कोस कोस म पानी बदले चार कोस म बानी बदले* |
पर केंद्रीय भाग के गुरतुर छत्तीसगढ़ी हर मन ल मोह लेथे|
भाषा के आज अतेक संसो करत हवन या संसो करइया हवँय,बहुत बढ़िया बात आय| छत्तीसगढ़ी भाषा तो मनखे के संस्कृति ले, समाज ले, लोक व्यवहार ले, माटी के सेवा ले,खेती किसानी ले, तीज - तिहार -परब ले जुड़े हवय अउ लोक व्यवहार ले उपजे हे,अउ हमर सबो के तन मन मा रचे बसे हे,भाषा हर लोक व्यापार ले समृद्ध होथे| गाँव हर छत्तीसगढ़ के आत्मा हरय| जिहाँ छत्तीसगढ़ी बोली- भाखा म मदरस घोराय कस मीठ मीठ सुर साज आजो सुन के तृप्ति मिलथे| कभू नँगरिहा मन के ददरिया, खेतहारिन मन के कर्मा,नव दिन नवरात म देवी जसगीत, तव कभू मातर मड़ई देवारी म राउत मन के दोहा, तव गौरा गौरी जोहरनी गीत, सुवा गीत, दिसंबर गुरु परब म पंथी, सावन म सवनाही गीत, छेर छेरा पुन्नी म छेर छेरा गीत, तव बारो मासी गीत -गाथा भजन आजो चलन म हवय|
आज नवधा मंडली, रमायन के टीका घलो छत्तीसगढ़ी म होय लगे हे| भगवत कथा ल घलो छत्तीसगढ़ी म सुनाय लगे हें|
भाषा के मानकी करण बर काम होवत हे,छत्तीसगढ़ी व्याकरण समीति के गठन होय हे उम्मीद हे जरुर बढ़िया समाधान मिलही|
अभी अतेक समकेरहा छत्तीसगढ़ी हर नइ नँदावय|
एकर तो अभी समृद्धि के शिखर नइ आए हे तव ढलान कइसे आ जही| अभी तो नवा नवा राज बने हे बरोबर 22_23 चलत हे तव इहाँ के भाषा हर बाल्यावस्था म हे| विकास के आधुनिक परिवेश मा ए हर किशोर होही अउ युवावस्था बीताही|
अभी तो महतारी भाषा म इसकूल के शुरुआती दौर चलही | फेर
कइ पीढ़ी ल सुपोषित करही|
कुछ कक्षा मन म एक विषय तव कुछ कक्षा म शोध अउ पुनर्विचार के विषय रइही| स्वतंत्र विधा के रुप म पूरा साज सिंगार बाचे हे|
जरुर आने भाषा म अध्ययन करत हें पल घर म सबो छत्तीसगढ़ी म ही गोठ बात करथें|
ककरो घर म शुद्ध अंग्रेजी म बात नइ होवत हे| विदेश ले डाक्टर इंजिनियर के कोर्स पढ़ के अवइया मन अपन घर म छत्तीसगढ़ी म ही बात करथें काबर के वो कर घर वाले मन अंग्रेजी नइ जानय |
कुछ बरस पहली ले प्रतियोगी परीक्षा मन म छत्तीसगढ़ी भाषा के अनिवार्य प्रश्न पुछे जावत हे| जेकर ले परीक्षार्थी मन ल छत्तीसगढ़ी सीखे बर परे हे|
अधिकारी कर्मचारी मन जन हितैषी योजना मन के प्रचार ल घलो छत्तीसगढ़ी म करथे|
सरकार के योजना मन बर घलो छत्तीसगढ़ी भाषा के उपयोग व पत्रचार होय लगे हे |अब युवामन बर रोजगार के व्यवस्था अ उ करनॎ होही| ताकि छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रतिभा मन ल रोजगार मिलय| श्रम साधन के निर्माण होवय|
कालेज स्तर म एम ए म एक पेपर हे| 9-12 म कुछ पाठ कहानी कविता रखे हे| ए सब उदिम हर नवा पीढ़ी मन ले जुड़े के काम करत हे| आज कल सबो शासकीय इसकूल ,संस्था म आरपा पैरी राज गीत के गायन करे जावत हे| ए हर छत्तीसगढ़ी अस्मिता ल न केवल जिंदा रखही बल्कि मील के पथरा बनही| अइसन उदिम मन छत्तीसगढ़ी ल जन जन तक पहुँचावत हें| छत्तीसगढ़ म शिक्षा के संस्थान हें वाचनालय, पुस्तकालय हें, विश्व विद्यालय हें इहाँ भले ही छत्तीसगढ़ी बर पोठ कारज नइ करे हें फेर अवइया समय बर मिशाल बनही| अइसे भरोसा हे|
समाचार पत्र पत्रिका , दूरदर्शन हर छत्तीसगढ़ी म सूचना व समाचार देवत हे| मोबाईल अउ सोसल मिडिया ल बदलाव लाना हे छत्तीसगढ़ी बर|
छत्तीसगढ़ के लगभग सबो जिला म छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति हें, संगठन हें|इन मन ल काम सौपे के जरुरत हे| कवि लेखक मन ज उन प्रयास करे हे उनमन ल सम्मान दे के जरुरत हे|साहित्य दबाव समूह के तरह आघू आही तव शासन ल घलो छत्तीसगढ़ी के समृद्धि बर योजना बनाय च ल परही| राज भाषा आयोग जइसन संस्थान मन ल अपन जिम्मेदारी निभाय ल परही च तव छत्तीसगढ़ी काबर नँदाही |साहित्यसाधना खातिर,सृजन ल प्रोत्साहित करइया अग्रणी बहुत से संस्था हें ए मन ल जुरियाय के जरुरत हे| छत्तीसगढ़ी के साहित्यकार मन ल भी बढ़िया साहित्य सृजन करना हे जेन साहित्य म ज्ञान पीठ ,नोबल जीत सकय| या मूल्यांकन के अभाव हे|
फिल्म जगत म घलो मूल छत्तीसगढ़ी बर काम करे के जरुरत हे|
जब एकर वाहक हर नइ रइही तव भाषा के रहे अउ नइ रहे ले का फरक परथे| सबले पहली तो भाषा के बोलइमया मन के चेत होय,फिकर होय| उनकर सबो समस्या के समाधान होवय,निदान होवय| फेर उनकर संस्कृति,अउ भाषा बर बढ़वार के उदिम होवय|
जब छत्तीसगढ़ी भाषा के बोलइया मन के अस्तित्व रइही तव उनकर भाषा घलो रइही|
*छत्तीसगढ़ी भाषा हर कब नँदा सकथे*
1) जब वो कर कोनो बउरइया एको झन नइ रइही तव |
2) जब वो कर व्यापार ल सिमित
कर दे जाही तब|
3) जब भाषा के व्याकरण बहुत कठिन हो जाही तब या बना दे जाही तव |
4) जब कोनो भाषा ला, महतारी भाषा के रुप म बउरइया मन आने भाषा
डहन आकर्षित हो के अपन महतारी भाषा ल हीनता बोध मा छोड़ दिही तव|
5) जब वो क्षेत्र के भाषा भाषी मन संग जबरन कोनो दूसर भाषा ल थोप दे जाही तव|
6) जब वो भाषा क्षेत्र, राज म शासन सत्ता म बैठे मनखे मन अपन राज- काज के भाषा म परिणित नइ करही तव|
7) जब छत्तीसगढ़ी भाषा बोली म लिखाए साहित्य ल नष्ट कर दे जाही तव|
8) जब दूसर आने भाषा के शब्द के संग स्वयं के भाषा ल नइ बउरही तव|
9) अशुद्ध उच्चारण अउ अपभ्रंश लेखन ले घलो भाषा हर नँदावत जाही|
10) नवा साहित्य के लेखन यदि महतारी भाषा म नइ होही तभो नदा सकत हे|
अपन महतारी भाखा म व्यवहार करइया मन ल प्रोत्साहित नइ करे ले नदा सकत हे!
का कभू मजदूर मन खतम हो जहीं? का कभू किसान मन ए भुइँया म नइ रइहीं| ए मन अइसन ही प्रश्न आवयँ जउन कभू भी उत्तर ल परिणाम तक नइ जावन देवँय| तव कही सकत हवन
महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी हर कभू नइ नँदावय जब तक छत्तीसगढ़िया बेटा बेटी मन हवँय तब तक अपन महतारी भाषा अउ छत्तीसगढ़ महतारी के सेवा करत रइहीं|
🙏🙏
अश्वनी कोसरे
रहँगिया
कवर्धा कबीरधाम
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