Thursday 5 January 2023

छत्तीसगढ़ी भाषा नँदा जाही का

 छत्तीसगढ़ी भाषा नँदा जाही का


छत्तीसगढ़ हर चारो तरफ ले घेराय हे तव आने आने भाषा मन के प्रभाव तो होबे करही, रहीबे करही| सियान मन कहे हें

 *कोस कोस म पानी बदले चार कोस म बानी बदले* |


पर केंद्रीय भाग के गुरतुर छत्तीसगढ़ी हर मन ल मोह लेथे|

भाषा के आज अतेक संसो करत हवन या संसो करइया हवँय,बहुत बढ़िया बात आय| छत्तीसगढ़ी भाषा तो मनखे के संस्कृति ले, समाज ले, लोक व्यवहार ले, माटी के सेवा ले,खेती किसानी ले, तीज - तिहार -परब ले जुड़े हवय अउ लोक व्यवहार ले उपजे हे,अउ हमर सबो के तन मन मा रचे बसे हे,भाषा हर लोक व्यापार ले समृद्ध होथे| गाँव हर छत्तीसगढ़ के आत्मा हरय| जिहाँ छत्तीसगढ़ी बोली- भाखा म मदरस घोराय कस मीठ मीठ सुर साज आजो सुन के तृप्ति मिलथे| कभू नँगरिहा  मन के ददरिया, खेतहारिन मन के कर्मा,नव दिन नवरात म देवी जसगीत, तव कभू  मातर मड़ई देवारी म राउत मन के दोहा, तव गौरा गौरी जोहरनी गीत, सुवा गीत, दिसंबर गुरु परब म पंथी, सावन म सवनाही गीत, छेर छेरा पुन्नी म छेर छेरा गीत, तव बारो मासी गीत -गाथा भजन आजो चलन म हवय|

आज नवधा मंडली, रमायन के टीका घलो छत्तीसगढ़ी म होय लगे हे| भगवत कथा ल घलो छत्तीसगढ़ी म सुनाय लगे हें|

भाषा के मानकी करण बर काम होवत हे,छत्तीसगढ़ी व्याकरण समीति के गठन होय हे उम्मीद हे जरुर बढ़िया समाधान मिलही|


अभी अतेक समकेरहा छत्तीसगढ़ी हर नइ नँदावय| 

एकर तो अभी समृद्धि के शिखर नइ आए हे तव ढलान कइसे आ जही| अभी तो नवा नवा राज बने हे बरोबर 22_23 चलत हे तव इहाँ के भाषा हर बाल्यावस्था म हे| विकास के आधुनिक परिवेश मा ए हर किशोर होही अउ युवावस्था बीताही| 

अभी तो महतारी भाषा म इसकूल के शुरुआती दौर चलही | फेर 

कइ पीढ़ी ल सुपोषित करही| 

कुछ कक्षा मन म एक विषय तव कुछ कक्षा म शोध अउ पुनर्विचार के विषय रइही| स्वतंत्र विधा के रुप म पूरा साज सिंगार बाचे हे|

जरुर आने भाषा म अध्ययन करत हें पल घर म सबो छत्तीसगढ़ी म ही गोठ बात करथें|

ककरो घर म शुद्ध अंग्रेजी म बात नइ होवत हे| विदेश ले डाक्टर इंजिनियर के कोर्स पढ़ के अवइया मन अपन घर म छत्तीसगढ़ी म ही बात करथें काबर के वो कर घर वाले मन अंग्रेजी नइ जानय |


   कुछ बरस पहली ले प्रतियोगी परीक्षा मन म छत्तीसगढ़ी भाषा के अनिवार्य प्रश्न पुछे जावत हे| जेकर ले परीक्षार्थी मन ल छत्तीसगढ़ी सीखे बर परे हे|

अधिकारी कर्मचारी मन जन हितैषी योजना मन के प्रचार ल घलो छत्तीसगढ़ी म करथे|

सरकार के योजना मन बर घलो छत्तीसगढ़ी भाषा के उपयोग व पत्रचार होय लगे हे |अब युवामन बर रोजगार के व्यवस्था अ उ करनॎ होही| ताकि छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रतिभा मन ल रोजगार मिलय| श्रम साधन के निर्माण होवय| 

          कालेज स्तर म एम ए म एक पेपर हे| 9-12 म कुछ पाठ कहानी कविता रखे हे| ए सब उदिम हर नवा पीढ़ी मन ले जुड़े के काम करत हे| आज कल सबो शासकीय इसकूल ,संस्था म आरपा पैरी राज गीत के गायन करे जावत हे| ए हर छत्तीसगढ़ी अस्मिता ल न केवल जिंदा रखही बल्कि मील के पथरा बनही| अइसन उदिम मन छत्तीसगढ़ी ल जन जन तक पहुँचावत हें| छत्तीसगढ़ म शिक्षा के संस्थान हें वाचनालय, पुस्तकालय हें, विश्व विद्यालय हें इहाँ भले ही छत्तीसगढ़ी बर पोठ कारज नइ करे हें फेर अवइया समय बर मिशाल बनही| अइसे भरोसा हे|

समाचार पत्र पत्रिका , दूरदर्शन हर छत्तीसगढ़ी म सूचना व समाचार देवत हे| मोबाईल अउ सोसल मिडिया ल बदलाव लाना हे छत्तीसगढ़ी बर|

     छत्तीसगढ़ के लगभग सबो जिला म छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति हें, संगठन हें|इन मन ल काम सौपे के जरुरत हे|  कवि लेखक मन ज उन प्रयास करे हे उनमन ल सम्मान दे के जरुरत हे|साहित्य दबाव समूह के तरह आघू आही तव शासन ल घलो छत्तीसगढ़ी के समृद्धि बर योजना बनाय च ल परही| राज भाषा आयोग जइसन संस्थान मन ल अपन जिम्मेदारी निभाय ल परही च तव छत्तीसगढ़ी काबर नँदाही |साहित्यसाधना खातिर,सृजन ल प्रोत्साहित करइया अग्रणी बहुत से संस्था हें ए मन ल जुरियाय के जरुरत हे| छत्तीसगढ़ी के साहित्यकार मन ल भी बढ़िया साहित्य सृजन करना हे जेन साहित्य म ज्ञान पीठ ,नोबल जीत सकय| या मूल्यांकन के अभाव हे|

फिल्म जगत म घलो मूल छत्तीसगढ़ी बर काम करे के जरुरत हे|

      जब एकर वाहक हर नइ रइही तव भाषा के रहे अउ नइ रहे ले का फरक परथे| सबले पहली तो भाषा के बोलइमया मन के चेत होय,फिकर होय| उनकर सबो समस्या के समाधान होवय,निदान होवय| फेर उनकर संस्कृति,अउ भाषा बर बढ़वार के उदिम होवय| 


   जब छत्तीसगढ़ी भाषा के बोलइया मन के अस्तित्व रइही तव उनकर भाषा घलो रइही|

 *छत्तीसगढ़ी भाषा हर कब नँदा सकथे* 

  1) जब वो कर कोनो बउरइया एको झन नइ रइही तव |


2) जब वो कर व्यापार ल सिमित 

कर दे जाही तब|


3) जब भाषा के व्याकरण बहुत कठिन हो जाही तब या बना दे जाही तव |


4) जब कोनो भाषा ला, महतारी भाषा के रुप म बउरइया मन आने भाषा

डहन आकर्षित हो के अपन महतारी भाषा ल हीनता बोध मा छोड़ दिही तव|


5) जब वो क्षेत्र के भाषा भाषी मन संग जबरन कोनो दूसर भाषा ल थोप दे जाही तव|


6) जब वो भाषा क्षेत्र, राज म शासन सत्ता म बैठे मनखे मन अपन राज- काज के भाषा म परिणित नइ करही तव|


7) जब छत्तीसगढ़ी भाषा बोली म लिखाए साहित्य ल नष्ट कर दे जाही तव|


8) जब दूसर आने भाषा के शब्द के संग स्वयं के भाषा ल नइ बउरही तव|


9) अशुद्ध उच्चारण अउ अपभ्रंश लेखन ले घलो भाषा हर नँदावत जाही|


10) नवा साहित्य के लेखन यदि महतारी भाषा म नइ होही तभो नदा सकत हे|

अपन महतारी भाखा म व्यवहार करइया मन ल प्रोत्साहित नइ करे ले नदा सकत हे!


    का कभू मजदूर मन खतम हो जहीं? का कभू किसान मन ए भुइँया म नइ रइहीं| ए मन अइसन ही प्रश्न आवयँ जउन कभू भी उत्तर ल परिणाम तक नइ जावन देवँय| तव कही सकत हवन

महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी हर कभू नइ नँदावय जब तक छत्तीसगढ़िया बेटा बेटी मन हवँय तब तक अपन महतारी भाषा अउ छत्तीसगढ़ महतारी के सेवा करत रइहीं|

🙏🙏

अश्वनी कोसरे

रहँगिया

कवर्धा कबीरधाम

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