विवेकानंद जी के पावन चरण ले पबरित हे छत्तीसगढ़ भुइयाँ-
युवा सन्यासी स्वामी विवेकानंद जी हमर बर आदर्श व्यक्ति अउ व्यक्तित्व के प्रतीक आय। स्वामी जी के चरित्र अतका विशाल हवय की सारी दुनिया उँखर बताये रद्दा में चले के उदाहरण देथे। उँखर देशभक्ति, त्याग, सदाचरण, मानव-प्रेम, समाज-सुधारक उपाय आज घलो समाज ल दिशा देय के काम करथे। अईसन युवा सन्यासी स्वामी विवेकानंद जी के पावन चरण के धुर्रा ले हमर छत्तीसगढ़ के भुइयाँ घलो पबरित हो गेहे।
स्वामी विवेकानंद जी के जन्म 12 जनवरी 1863 के कलकत्ता में होय रिहिस। पिताजी विश्वनाथ दत्त वकील रिहिस। सन 1877 मा जरूरी बुता ले रायपुर आय के नम्बर लगिस तब स्वामी जी 13-14 साल के रिहिस। ओमन अपन परिवार सहित पिताजी संग आईस। तब रायपुर म रेलगाड़ी नई चलत रिहिस। नागपुर ले रायपुर बैलागाड़ी मा बइठके स्वामी जी आय रिहिस। देबाशीष चितरंजन राय के किताब " जर्नी ऑफ स्वामी विवेकानंद टू रायपुर एंड हिज फर्स्ट ट्रांस" ये बात के वर्णन हवय कि पहली बार रायपुर ले 130 किलोमीटर दुरिहा दर्रेकसा के गुफा मा मधुमक्खी के छत्ता देखके उँखर मन मा आध्यात्मिक अनुभूति होईस। मधुमक्खी मन के साम्राज्य के शुरुआत अउ अंत के बारे में सोचे बर लगिस।
बाद में स्वामी जी के रद्दा रेंगईया छत्तीसगढ़ के संत स्वामी आत्मानंद जी ह सोचिस कि हमर छत्तीसगढ़ मा विश्व प्रसिद्ध संत स्वामी विवेकानंद जी ह रायपुर के बूढ़ापारा मा दू-तीन बरस ले रेहे हे। उँखर नाव ले मोला कुछु कही करना चाही। येकर संकल्प विवेकानंद के शताब्दी बरस मा ले गीस। अउ अइसे सोच के रायपुर मा स्वामी आत्मानंद ह स्वामी विवेकानंद आश्रम के स्थापना करीस। आश्रम मा कतको लइका मन पढ़के बड़े-बड़े पद मा काम करीन।
छत्तीसगढ़ ले स्वामी जी के विशेष लगाव रिहिस। उँखर सुरता मा स्वामी विवेकानंद जी के ध्यानमग्न बड़का प्रतिमा बूढ़ा तालाब के बीच मा बनाये गेहे। जेकर नजदीक ले दर्शन करे ले आत्मिक शांति के अनुभूति होथे। जेहर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड मा दर्ज हवय। राजधानी के माना एयरपोर्ट के नाम घलो स्वामी विवेकानंद के नाम म हवय।
हेमलाल सहारे
मोहगॉंव(छुरिया) राजनांदगाँव
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