Saturday 7 January 2023

एक पुस्तक समीक्षा के बहाने छत्तीसगढी लेखन के पड़ताल* :




 *एक पुस्तक समीक्षा के बहाने छत्तीसगढी लेखन के पड़ताल* :     

  

    *का छत्तीसगढी भाषा नंदा जाही ?*   


    छत्तीसगढ राजभाषा आयोग द्वारा 28 नवंबर 2018 के कई  ठिन पुस्तक के विमोचन करे गइस जेमा के एक ठिन पुस्तक रिहिस- 


*छत्तीसगढ़ी का  मानकीकरण : मार्गदर्शिका*। 


ये पुस्तक के मुख्य संपादक व्याकरणविद् डाॅ विनोद कुमार वर्मा हें। एही पुस्तक प्रकाशन के तथा-कथा अउ पुस्तक समीक्षा के बहाना छत्तीसगढ़ी लेखन के उपर संक्षिप्त गोठ-बात करत हौं- जेन प्रश्न आज खड़े हे ...... कि *का छत्तीसगढी भाषा नंदा जाही?*


        छत्तीसगढी के मानकीकरण  बर 22 जुलाई 2018 के बिलासपुर मा आयोजित राज्यस्तरीय संगोष्ठी म राज्य के विभिन्न जिला ले पधारे एक सौ ले आगर साहित्यकार मन भाग लिन। छत्तीसगढ राजभाषा आयोग के अध्यक्ष डाॅ विनय कुमार पाठक के मुख्य आतिथ्य अउ पद्मश्री डाॅ सुरेन्द्र दुबे ( सचिव, छत्तीसगढ राजभाषा आयोग ) के अध्यक्षता मा आयोजित ये संगोष्ठी म छत्तीसगढी के मानकीकरण बर  अत्यन्त महत्वपूर्ण गोठ-बात अउ निर्णय होइस। ये संगोष्ठी मुख्य रूप ले ' *छत्तीसगढी भाषा अउ देवनागरी लिपि* ' के संगे-संग *छत्तीसगढी गद्य साहित्य म अपभ्रंश लेखन के दुष्प्रभाव* ' उपर घलो केन्द्रित रहिस।


        संगोष्ठी मा विद्वान विषय- विशेषज्ञ वक्तामन के छत्तीसगढ़ी भाषा अउ देवनागरी लिपि ऊपर गहन विचार-विमर्श के बाद भाषाविद् डाॅ चित्तरंजन कर द्वारा  छत्तीसगढ़ी भाषा के मानकीकरण बर देवनागरी लिपि ( ओखर 52 वर्ण ) के स्वीकार्यता बाबत् प्रस्तुत प्रस्ताव ला सर्वसम्मति ले पारित किये गइस। 

 *प्रस्ताव के प्रारूप* -


      छत्तीसगढी के मानकीकरण बर छत्तीसगढ राजभाषा आयोग द्वारा 22 जुलाई 2018 के बिलासपुर मा आयोजित राज्य-स्तरीय संगोष्ठी मा ये प्रस्ताव पारित किये जावत हे-


     *छत्तीसगढ के राज्यपाल द्वारा 11 जुलाई 2008 के अधिसूचित छत्तीसगढ राजभाषा ( संशोधन ) अधिनियम 2007  ( धारा 2 ) के संशोधन के अनुरूप छत्तीसगढी भाषा के मानकीकरण बर देवनागरी लिपि ( ओखर 52 वर्ण मन ) ला यथा-रूप अंगीकृत किये जाही जेला केन्द्र शासन ह हिन्दी भाषा बर अंगीकृत करे हे।*


      संगोष्ठी के प्रस्ताव, अभिमत पत्र, व्याख्यान आदि के संकलन अउ संपादन के दायित्व संगोष्ठी के संयोजक डाॅ. विनोद कुमार वर्मा ला सौंपे गइस। केवल डेढ़ माह के अंतराल मा डाॅ. विनोद कुमार वर्मा ( मुख्य संपादक ) अउ ओखर सहयोगी नरेन्द्र कौशिक अमसेनवी ( सह-संपादक ) द्वारा संपादित पाण्डुलिपि ला छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग मा प्रकाशन बर सौंप दिन। एखर बाद 05 अक्टूबर 2018 के छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के अध्यक्ष डाॅ. विनय कुमार पाठक के कार्यकाल के अन्तिम बैठक मा एखर प्रकाशन अउ 28 नवंबर के विमोचन के निर्णय लिये गइस। अनेकानेक कारण ले ओ-समय एखर प्रकाशन अउ विमोचन नइ हो पाइस। अंततोगत्वा डाॅ. अनिल भतपहरी के सचिव पद मा नियुक्ति के बाद छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा एला ग्रंथाकार रूप मा ' *छत्तीसगढी का मानकीकरण : मार्गदर्शिका* ' के नाम से दू भाषा- *छत्तीसगढी* अउ *हिन्दी* मा प्रकाशित करे के बाद 28 नवंबर 2022 के  विमोचित करे गइस। " *वस्तुतः राज्यस्तरीय संगोष्ठी ( 2018 ) के चार बरस बीते के बाद छत्तीसगढ राजभाषा द्वारा दू भाषा  मा प्रकाशित संगोष्ठी के सम्पूर्ण विवरणीयुक्त ये ग्रंथ छत्तीसगढी भाषा बर देवनागरी लिपि के 52 वर्णों के स्वीकार्यता के प्रमाणित दस्तावेज के साथ छत्तीसगढी लेखन मा बदलाव के आधिकारिक प्रस्थान बिन्दु घलो हे।*" 

       ये बात तो सर्वविदित हे कि छत्तीसगढी भाषा के लेखन मा देवनागरी लिपि के 52 वर्ण के प्रयोग काफी पहिली ले कई साहित्यकार  मन करत हें। 


 *छन्द के छ* के माध्यम ले सन् 2016 ले ही अरुण कुमार निगम  के अगुवाई म लेखक मन के बड़े समूह पद्य साहित्य म 52 वर्ण के प्रयोग शुरू कर दिये रहिन। जून  2020 मा छत्तीसगढी गद्य साहित्य के सर्वांगीण विकास अउ प्रचार-प्रसार बर भाषाविद् डाॅ. सुधीर कुमार शर्मा द्वारा *छत्तीसगढी लोकाक्षर* वाट्सएप समूह के स्थापना कर छत्तीसगढी के साहित्यकार मन ला समूह मा जोड़िन अउ ये समूह के एडमिन अरुण कुमार निगम ला बनाइन। कई बड़े साहित्यकार मन समूह ले हट गिन अउ दूरी बना लिन, फेर सरला शर्मा, सुधा वर्मा, सत्यभामा आडिल, डाॅ. विनोद कुमार वर्मा, अरुण कुमार निगम, रामनाथ साहू, चोवाराम बादल, जीतेन्द्र वर्मा खैरझिटिया, पोखनलाल जायसवाल, अजय अमृतांशु जइसन अनेक साहित्यकार मन के सक्रिय मार्गदर्शन मा अनेक नवा साहित्यकार मन के लेखन परिमार्जित होइस अउ ओमन के लेखन मा धार अइस। समय-समय मा ये समूह ला भाषाविद् डाॅ सत्यभामा आडिल, डाॅ पीसीलाल यादव जइसन वरिष्ठ साहित्यकार मन के आशीर्वाद मिलिस अउ छत्तीसगढी गद्य साहित्य अपन प्रस्थान बिन्दु कोती बहुत तेजी ले आगे बढ़िस अउ देखते-देखत ये समूह छत्तीसगढी गद्य लेखन के प्रतिनिधि समूह बन गे। सबसे खास बात ये रहिस कि ये समूह म छत्तीसगढी लेखन बर देवनागरी लिपि के 52 वर्ण के प्रयोग ला मान्य किये गइस, फेर तब तक छत्तीसगढ राजभाषा आयोग द्वारा  आधिकारिक रूप ले देवनागरी लिपि के 52 वर्ण के छत्तीसगढी लेखन मा स्वीकार्यता बाबत् कोई भी दस्तावेज प्रकाशित नइ करे रहिन। छत्तीसगढ राजभाषा आयोग द्वारा सद्यः प्रकाशित  *छत्तीसगढी का मानकीकरण :  मार्गदर्शिका ( नवंबर 2022 )* पहिली आधिकारिक दस्तावेज हे जेमा छत्तीसगढी लेखन मा देवनागरी के 52 वर्ण ला मान्य करे के उल्लेख हे। ये ग्रंथ मा प्रस्ताव अउ अभिमत-पत्र के साथ जेन विषय-विशेषज्ञ वक्ता मन के व्याख्यान दू भाषा मा संग्रहित हे ओमा डाॅ विनय कुमार पाठक, डाॅ. चित्तरंजन कर, डाॅ. विजय कुमार सिन्हा, डाॅ सोमनाथ यादव, अरुण कुमार निगम, शकुन्तला शर्मा, सरला शर्मा, डाॅ शैल चंद्रा, डाॅ विनोद कुमार वर्मा,डाॅ बलदाऊ प्रसाद निर्मलकर, डाॅ जगदीश कुलदीप, नरेन्द्र वर्मा अउ नरेन्द्र कौशिक 'अमसेनवी' शामिल हें। ये ग्रंथ के मुख्य संपादक डाॅ. विनोद कुमार वर्मा हें। छत्तीसगढ़ी लिखइया अउ पढ़इया साहित्यकार मन बर ये ग्रंथ ह मार्गदर्शक के बूता करही अउ छत्तीसगढी भाषा ला पोठ्ठ करही-   एमा दू राय नइहे।


     छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग ला ये ग्रंथ के प्रचार अउ प्रसार करना चाही ताकि छत्तीसगढ़ी भाषा म आन भाषा मन के आगत शब्द-मन ला तोड़-मरोड़ के छत्तीसगढी बनाय के या अपभ्रंश-लेखन के परिपाटी खतम हो। अनेक समाचार पत्र-पत्रिका मन साप्ताहिक छत्तीसगढी पृष्ठ छापथें। ओमन ला घलो ये बात के उपर ध्यान देना चाही। पुराना व्याकरण मा देवनागरी लिपि के  *श, ष, क्ष, त्र, ज्ञ,ण, व, श्र* जइसन अनेक वर्ण मन ला छत्तीसगढी लेखन मा मान्य नइ करे के कारण अउ आन भाषा के आगत शब्द मन ला तोड़-मरोड़ के मनमाने छत्तीसगढ़ीकरण करे के आत्मघाती कोशिश ह  छत्तीसगढ़ी भाषा ला रसातल मा पहुँचा देत रिहिस।  शर्मा ला सर्मा, शुक्ला ला सुक्ला, शाला ला साला, प्रकृति ला परकिरीति, प्रकाशन ला परकासन, राष्ट्रपति ला रास्टरपति, प्रधानमंत्री ला परधानमंतरी, शासन ला सासन लिखे मा का छत्तीसगढी भाषा बाँचही ? भाषा ला अपभ्रंश भाषा बनाय मा तो ओहा नंदा जाही- खतम हो जाही! अपभ्रंश लेखन छत्तीसगढ़ी भाषा बर आत्मघाती हे- एला छोड़े के अलावा अउ कोई विकल्प नइहे। 


समीक्षक 


*अरुण कुमार निगम*

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