Saturday, 12 July 2025

जाबे कहाँ छोड़ के? "

 लघु कथा - 

"   जाबे कहाँ छोड़ के? "

        -मुरारी लाल साव


      "  बिहाव होये दू साल होये हे l दू साल ले पति पत्नी अलग अलग रहिस lसुरेश धुरिया म नौकरी करत हे l मौका पाके बीच बीच म आवत रहिस ससुरार म रहतीच l अपन घर म अपन माँ बाप ल कभू कभार देखे बर चल दय l सुनीता अपन ससुरार म रहना नइ  चाहत रहिस l ओकर बाई सुनीता ह बहुत घमंडी अउ अकड़हीन बानी के हे तेखर सेती  l " 

काकर गोठ ला कहत हस बिसाहीन?

बिसाहीन कहिस -ओकर वो, लटियारीन के बेटी दमाद 

के वो l 

परेमीन फ़ेर पूछिस -"का होगे तेमा?

 महिला थाना म जात देखेंव हँव कोरा म नानूक लइका ल धरे अकेला रहिस ओकर बहू ओकर दमाद नइ रहिस का

सँग म l  

  " उही तो बात होवत हेl "

महिला थाना म सुनीता पहुंचीस अपन नान्हे लइका के ला धरे अँचरा म लुकाये l

ओकर ले पहिली सुनीता के पति सुरेश अभिच आके बइठे रहिस l

   एक दूसर ला देखे बर देखिस दूनो फ़ेर अपन बेटा नानूक ला सुरेश नइ देख पाइस l

कौसलिंग के एक मेंबर पूछिस

अच्छा सुनीता , ये तुम्हारे कौन हैं? ओला देखत सुनीता -

"मोर आदमी l "

"लेकिन अभी नोटिस पाकर आई हो ना l "

"हाँ " 

"तुम्हारे आदमी नें तलाक लेने अर्जी लगाया हैं l"

सुरेश ले पूछिस-"क्यों सही है ना? सुरेश जी मेडम l

"आपस मे बात करोगे यहीं l "

दूनो नहीं कहिस l 

ऐसे मे क्या निर्णय लेंगे l सुनीता तुम्हारे बारे मे आरोप है उसके बारे मे l

"ओहर लगाए हे ओकर अधिकार हे l चिक चिक नइ करना हे l"

तो तुम भी तैयार हो? "

सुनीता चुप  रहिस l 

चलो आगे की कार्यवाही बढ़ाओ l फाइल ला बंद करदीस l अभी जाओ l

ऑफिस के बाहिर सुनीता अपन बेटा ला दूधपियाये ला धर लीस l सुरेश अपन मन के हार अउ जीत के फैसला म फंस गे रहिस l सही बात सुरेश तलाक लेये बर नहीं सुनीता के घमंड ला खतम करे बर अर्जी लगाके देखना चाहत रहिस l

सुनीता अपन माइके ला छोड़ना नइ चाहत रहीस l पति पत्नि के रिश्ता अउ जिम्मेदारी जरूरत ला समझना चाहत रहिस l आखिर म  सुरेश अपन नान्हे बेटा के मुँह ला देख के हार जथे l 

 "एखर बाप तो में  हरंव 

बिन बाप के कइसे रेही l 

सुनीता ला पानीपेशाब जाना रहीस l कइथे -" थोकिन बाबू धरव तो l " अनबोलना टूटीस l चुप सुरेश आके अपन हाथ म लेथे बच्छर भर बाद l मति घलो बदल गे l

नानूक घलो ताना मारत मुस्कावत " जाबे कहाँ छोड़ के l"

सुरेश के मन बदल गे  उहाँ ले निकलगे l

 हाथ मुँह धोके सुनीता आथे 

सुरेश नइ दिखीस l पूछिस पाछिस त-कोनो बताइस एक झन अपन हाथ म धरे लइका ला इही डहर जावत देखेन l 

सुनीता उही कोती चिल्लावत भागत जावत रहिस -"जाबे कहाँ मोला छोडके l"

जाबे कहाँ छोडके?


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