Saturday, 12 July 2025

नान्हे लइका मन बर लघु कथा - " रखवार "

 नान्हे लइका मन बर 

लघु कथा -

           " रखवार "

नेवता मिलिस बिहाव के l पुसऊ तैयारी म लग़ गे l अपन अपन कपड़ा लत्ता समान ला झोला बैग म रखे ला कहिस l

पूसऊ के बाई सकून अपन साड़ी चुरी चाकी ल रखे  म 

भिड़ गे l ओकर नान्हे बेटा कइथे -"मैं काला धरंव? " 

पूसऊ कहिस -" अरे बेटा रखवार कहाँ हे l *

"मैं का जानव कहाँ हे? "

सकून कइथे -" तोला तो बता के गे हे का? "

पूसऊ खोजत खोजत कइथे-"

थिर थार कोनो रहय नहींl सबके हाथ गोड़ होगे हे l मुड़ी खजुवात कहिस l 

 "लकर धकर के बेरा म काला खोजत रहिबे " -सकून कहिस l नान्हे लइका कहिस -" मोर बांटी भौरा अउ चश्मा कहाँ हे मम्मी?


" बेटा,ओखरे बर तो 

काहत हँव l"

नान्हे लइका फ़ेर कहिस-"

अभी समझ मे आइस l 

मैं लावत हँव l 

मुसवा अपन बिला म तो नई ले गे होही! देखे हँव l 

ये दे मिलगे 

इही ला काहत हस का गो  -'तारा संग कुची संघरा हे l"

चट ले चेथी ला मार के कहिथे -" बेलबेली मढ़ाथस l "

घर ला इही राखथे l इही रखवार ला खोजत रहेंव   एखरे भरोसा म घर रहिथे l 

पर ऊपर का भरोसा?

रखवार ला छोड़ के बेफिक्री होके  निकलगे  पूसऊ बिहाव के नेवता म l 

     दू दिन के बाद आइस देखिस l रखवार के हाड़ा गोड़ा ला टोर के, मुरकेट के कुढ़ो दे हे l घर के भीतरी म समान ला तीतीर बितिर फेंक के बासी खा के चाय पीके रखवार के बोस मन चल दे रहिन l अपन समझदारी घलो देखा के गेहे l

पिसान म लिख दे हे-

  "नई मिलिस कुछु l" 


                - मुरारी लाल साव

                       कुम्हारी

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