छत्तीसगढ़ के विभूति स्व. पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी िवप्र के जन्म 6 जुलाई 1908 के दिन पं. नान्हूराम तिवारी अउ सिरीमती देवकी तिवारी के घर म होए रहिस। ओहर हिन्दी छत्तीसगढ़ी अउ बिरज भासा म लिखत रहिन। ओकर सिक्छा म्युनिसपल हाईस्कूल (अब के लाल बहादुर शास्त्री उच्चतर माध्यमिक शाला) बिलासपुर म होए रहिस। विप्र जी जब चउथी अंगरेजी मं पहुंचिन तब ओकर किलास के सिक्छक सरयू प्रसाद त्रिपाठी रहिन। सन 1935 म सरयू प्रसाद त्रिपाठी अउ विप्र जी बिलासपुर म भारतेन्दु साहित्य समिति के गठन करे रहिन। भारतेन्दु साहित्य समिति के अधिवेसन म डा. रामकुमार वर्मा, डा. बलदेव प्रसाद मिश्रा, डा. हरिवंश राय बच्चन जैसन नामी साहित्यकार मन पधारे रहिन। सिक्छा के बाद ओहर इंपीरियल बैंक आफ इंडिया रायपुर म नौकरी करलिन। उहां ओकर मन नइ लागिस। आगू ओहर बिलासपुर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर म नौकरी करे लगिन। अपन जोग्यता के चलत ओहर प्रबंधक बन गइन। ओकर पुस्तक कुछुकांही, राम अउ केवट संग्रह, सिव स्तुति, गांधी गीत, गोस्वामी तुलसी दास जीवनी पराकासित होए हवे। विप्र जी के एक ठन रचना ल देखा।
धन धन रे मोर किसान,
धन धन रे मोर किसान।
मय तो ताेला जानेंव तय अस
भुइंया के भगवान।
धमनी के हाट ओकर सिरिंगार
रस के कविता हवे।
कविता के कुछ पंकति ला पढ़ा
तोला देखे रहेंव गा
तोला देखे रहेंव गा।
धमनी के हाट म बोइर तरी।
लकर-लकर आये जोगी
आंखी ला मटकाये।
कइसे जादू करके
मोला सुक्खा म रिझाये।
बिलासपुर म साहित्यिक मनखे मन के ओहर परेरना के सरोत रहिन। स्व. लखन लाल गुप्ता स्व. बाबू लाल सीरिया, स्व. गेंदराम सागर जैसन कवि मन के ओहर साहित्यिक गुरु रहिस। बिलासपुर जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक ले रिटायर्ड होवे के बाद म विप्र जी स्नातक महाविद्यालय (अब के डीपी विप्र महाविद्यालय) म काम करत रहिन। आगू विप्र जी उहां प्रसासनिक समिति के अध्यक्छ चुने गइन। संझा के बेरा म ओहर घांेघा बाबा मंदिर के परांगन म बैठत रहिन। उहां कवि मन के मंडली जमत रहिस। महूं ओ मंडली म सामिल होवत रहेंव। कुछ बेरा ल बिमार रहे के बाद म 2 जनवरी 1982 के दिन ओहर संसार ले विदा हो गइन। विप्र जी मोर बर सयान मनखे रहिन। कई बार ओहर मोर हिम्मत ल बढ़ाये रहिन। छत्तीसगढ़ के महाकवि के रुप म ओहर हमेसा सुरता करे जाही।
सुरता - दैनिक भास्कर
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