Friday, 18 July 2025

पंडाल के कथा "

 लघु कथा - 

           "  पंडाल के कथा "

      -मुरारी लाल साव


          बहुत भीड़ l पाँव रखे के जघा नइ हे l अतका भीड़ मुड़ीच मुड़ी दिखत हे l पंडाल खचा खच भरा गे देखते देखत l जेन ला जेन मेऱ जघा मिलिस पौगरावत गिस l मंच ले घेरी भेरी  अपील होवत हे " बइठत जाव बइठत जाव "l 

बिसहत अपन बाई ला कहिस "भीड़ बहुत हे संभल के रहिबे सामान ला घलो संभाल के राखबे l"

      " तैं का करबे? देखबे नहीं तहूँ ह l" - बिसनतिन कहिस l

" तोला सबे झीन देखथे बने फक फक ले गोरी हस l गर भर माला पहिने हच l "

" त मोला देखाये बर लाने हच इहाँ l"

" देखाये बर नहीं कथा सुनाये बर लानेहँव  l" देख देख ओती देख महाराज आवत हे l"

बिसनतिन आघू- पाछू,डेरी -जेवनी कोती  डहर देखथे l

ओती देख मंच कोती उहें ले बुलक के आइस l 

" महराज बुलक के? " 

परदा उठा के आइस l

"अतका भीड़ म ओहा आही त कतको अइसने रौंदा जही l तेखर सेती  जानेस l " 

बिसनतिन कहिस-"  बीचो बीच  आतिस त महराज के गोड़ छुके तर जातेंव महूँ ह l " "घोलंड घोलंड के गोड़ धर धर के पाँव परइया के भीड़ l लात मारत निकलत हे तभो नइ बनय l "

"मइनखे झपाए लेथे गोड़ छुवे बर l"बिसहत समझाइस l ओती महराज  अपन आसन ले कथा कहे ला शुरू करिस -

" ये संसार ए l इहाँ सब झन ला कुछु न करे ला पड़थे l जइसन करथे  ओला मत देख अपन ला देख  का फल मिलथे l 

अच्छा करम के फल अच्छा  होही l बुरा करम के फल बुरा होही l संसार बने हे  देखे सुने बर बने हे l मानुस जनम मिले हे बार बार नइ मिलय l कथा सुने ले अंदर अउ बाहिर म उजियारा आथे l आत्म ज्ञान मिलथे बने आनंद मिलथे आत्मा ला l"

बिसनतिन हचकारत - "लदके परत हस गो घुच के राह थोकून  l " दूसर आदमी -" का लदकत 

हँव देख कतका धुरिया म हँव l" " छू मत गो घेरी भेरी l"

" कोन तोला छुवत हे l"

"कथा होवत हे तेती ला देख 

"मोला काबर देखत हस?"

"तोला कोन देखत हे?"

"लबरा, तोर नियत ला देख l "

बिसहत सुन केअपन बाई ला समझाथे -

"ओकर से मत लाग l सुने बर नइ आये हे l"

      ..महराज के प्रवचन चलते रहिस

" संसार म अपन अपन ढंग ले रहे ला पड़थे l भक्ति करो अउ करम करो पुन कमाओ l" 

कथा ला सुन के सब निकलत रहिस l

एती बिसनतिन पंडाल के भीतरी  के कथा ला बाहिर म सुनावत रहिस -" मोर गला ले सोन के चैन ला पुदक के लेगे  l "


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