Saturday, 12 July 2025

फैसला* *(छत्तीसगढ़ी लघुकथा)*

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                      *फैसला*

            *(छत्तीसगढ़ी लघुकथा)*



       चउक - चौराहा म चारों रस्ता मिलिन अउ गोठियाय लॉगिन।

"मैं उत्ती ले आवत हंव।"एकझन कहिस।

"अऊ मंय उत्ती कोती जात हंव।"वोकर आगु म अड़े रस्ता कहिस।

"मंय तो समझ नई पात अंव कि मंय कोन कोती ले आत हंव या कोन कोती जात हंव..."वो दुनों रस्ता मन ल आढ़ा काटने वाला एकझन आन रस्ता कहिस।

"अरे चुपव भी !हमन न कनहुँ कोती ले न आत हन न कनहुँ कोती जात हन। हमन तो बस अपन ठउर म डट के जमे भर हावन ।जाने आने वाला तो आदमी आय।हमन नहीं..."छेवर बांचे रस्ता हर, तब वो सब मन ल डपटत  फैसला सुनात कहे रहिस वोतकी बेर ।


*रामनाथ साहू*


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