Saturday, 12 July 2025

अभियान ले अभिमान* बियंग (टेचरही)

 अभियान ले अभिमान*


                               बियंग (टेचरही)


           जब तक कोनों काम ला आन्दोलन के रूप देके अभियान मा नइ जोड़बे सफल नइ होवय। कोनो ये कहि देय कि अकेल्ला मँय सब कुछ कर लेथँव। तो यहू सच हे कि अकेला चना भाड़ नइ फोरय। फेर अहं ब्रम्हाष्मि कहइया घलो कतको काम ला आपसी मदद ले निपटाइस। ये अलग बात हे कि इहाँ फलाना हे तौ सब मुमकिन हे। जवाबदेही यहू कथे कि बने मा मुकुट बाँध सकथें तौ गिनहा मा मुँहूँ लुकाना लफरहाही गोठ झन होवय। बचाव हियाव हिफाजत करना अउ पोगरही बर जतन के राखे के जन हित मा लगाय चिरपोटी बंगाला असन होथे। मिठागे तो पेड़ के नाम नइ मिठाइस तौ सील लोढ़ा दोषी। जब सत् बुद्धि सद्विचार बिमार होके खटिया धर लेथे, तब तर्क कुतर्क के चलनी मा अभियान के चासनी भरके आन्दोलन चलाये जाथे। आम अउ खास के अभियान मा ही सफलता जुड़े हे। तब नेकी के सफलता बर अभियान जोड़ना परथे।

एकरे सेती हर हाल मा अभियान ले जुड़ के अभिमान के भान होना चाही।

      उपर वाले के देय  हमर तिर सब कुछ हे, तभो ले हाथ जुच्छा हे। घर बचाव देश बचाव जल जंगल जमीन बचाव अभियान इहाँ तक कि आदमी ले आदमी सँग लड़े से लेके परोसी दुश्मन ले लड़े बर अभियान चलाना परथे। विरोधी राजनीतिक होय चाहे देश के। अभियान सफल होगे तब सफलता के तिहार मनाये बर अभियान चला। माने मनखे जनम ला सफलता के लाल डायरी मा नाम लिखवा के मरना हे तौ कोनों ना कोनों  सफल अभियान ले जुड़। अति अउ खँगती से लेके देखे मा मिले मा जे दुरिहावत हे। सघन अभियान चला अउ जनता ला जागरुक बना। योजना के पोष्टर बनवा अउ भारत भ्रमण कर।  अभियान मा मजबूती लाना हे तौ एकाद महाबली सियासीचंद के नाम के दरी चटाई जठा, अउ परबुधिया जनार्दन मन ला बइठार। विरोधी पक्ष ले जादा सत्ता पक्ष के अभियान मा जुड़े ले जादा फायदा रहिथे। अब ये तोर उपर हे कि सच के सँग चलना हे कि झूठ के बैसाखी मा दँउड़ लगाबे।

        सरकारी फरमान ले चले अभियान मा पंच सरपंच इसकुल के गुरुजी से लेके पटवारी कलेक्टर से लेके महिला मितानान सब के नरी मा अभियान के दफड़ा टाँग के बजवाये जाथे। आखिर अभियान बर जनता ला जगाना घलो तो देश सेवा आय। मानसिक दिब्यांग मन ला अभियान अउ आन्दोलन के गोटानी धराय बर लागथे।

             जब प्रौढ़ शिक्षा अभियान चलिस तब कंडिल के अँजोर मा डोकरी मन डिगरीधारी होगे। ये अलग बात हे कि माटी तेल के टोटा परिस वोकर भरपाई आज ले नइ होइस। बेटी बचाव अभियान ले भ्रूण हत्या कम हे फेर निजि अस्पताल के स्वर्णकाल चलत हे। जे बेटी जीयत हे वो मन रोज बिखहर मोंखला काँटा मा गोभावत लहू मा सनावत हें। जल बचाव जंगल बचाव के नारा ओढ़ के रेंगइया के पाँव तरी जंगल सफाई अभियान चलत हे। काबर कि देश ला क्रिकेट मैदान के जरूरत हे। शुद्ध हवा बर कारखाना वाले मन करिया भट्ठा ले आक्सीजन परोसत हें। पानी ला बोतल मा भरके चल सकथन तौ साफ हवा बर तो नवा बरनी के माँग करत आन्दोलन कर अभियान चलाए जा सकत हे।

        ओइसे भी आज जेला जतके बचाय के जतन करे के जुगत करे जावत हे। वो हर वोतके खँगत हे। जेकर ले दुरिहा होवन कथन वो दुवारी डेहरी सब मा काबिज हे। अति खँगती अउ देखे मिले मा दुर्लभ होवत हे। सुविधा हिसाब ले अभियान के लँगोटी  पहिराके रंगमंच मा उतारे जाथे।

      एक झन पितृ पूजक श्रद्धालू ये माँग पत्र मा हस्ताक्षर अभियान चलाइस कि पीतर पाख मा कउँवा के किल्लत हे। तब कउँवा बचाय बर राष्ट्रीय स्तर मा अभियान चलाए जाय। हमर पितृ देव मन अइसे जीव मा अपन आत्मा के बासा बनाइन जेला साल भर खावत सथरा छोड़ के खेदारे बर परथे। अउ एक दिन बर आ बरा भात खाले कबे तब कहाँ ले आही। एक तो वोकर अवाज ला भावस ना मुहरन ला। कउँवा नँदाए के एक यहू कारण हो सकथे कि आजकल बहरुपिया खादीधारी सफेदपोश कउँवा के बढ़वार जादा हे। कउँवा मन तो नेंगहा खाथें। ये मन तो पेटभरहा खाथें। अउ फेर इँकर काँव काँव ले कान मा ठेठी बोज के चल दिस होहीं दूसर देश। चुकता देश मरी हो गेहे। बड़े बड़े चील गिधान मन चीथे नोचे परे हे। आखिर मा कउँवा बर कुछ तो बचना चाही। तब सरकार जी से अनुरोध हे कि जइसे बघवा भालू बचाव अभियान चलाथव, पशु पक्षी बचाय बर उदिम करथौ। थोरिक कउँवा बचाय के अभियान चलातेव। काबर कि पीतर पाख मा इँकरे पेट ले हमर पुरखा के पेट जुड़े हे। जुन्ना सोच ला नरवा मा विसर्जित करके नवा ज्ञान के गंगा मा नहाके आवत एक झन एक्कइसवीं सदी के विज्ञानवादी परम्परा के घटोतकच्छ किहिस कि ये गली खोर शहर गाँव मा काँव काँव करत फिरत हे, ये मन का कम हे। इन मन खाए के सँग जोर के लेगथें। ये बात छापामार अभियान वाले मन बताथें कि काकर पेट कइसे भरथे। इँकरे खाए ले  मरे तो का जीयत मन के आत्मा संतुष्ट होथे। रहे बात बचाय के तो हम अतका आगू निकलगे हावन कि पीछू के धरोहर आगू बर संजीवनी होही कि  जीव लेवा कहे नइ जा सके।

       देश बचाव धरम बचाव लोकतंत्र बचाव संविधान बचाव के अभियान ले हमर कतेक अभिमान बाढ़त हे खुदे ले पूछ सकत हस। जल जंगल जमीन बेटी बघवा शिक्षा रोजगार कते ला काकर काकर ले कतका अउ कइसे बचाबे। फेर अभियान चलाना तो घलो राज धरम हे। पोगरही सब ला अपन नाम करे के चक्कर मा कउँवा ला घलो कोनों  प्रभावशाली मन बंधक बना लेवत होहीं। विदेशी ताकत के हाथ होही कबो ते वो डहर पीतर पाख नइ होवय। परेतिन के बासा पीपर परसा मा रथे ओइसने इँकरो रतिस तौ रूख मा पानी चघाके साफ हवा बचाय बर रुढ़िवादी ही सही अभियान तो होतिस। सियासत ले जुड़े मनखे मन अपन तिर तखार के कउँवा ले जीव बचाके अइसने भागत हें। देश दुनिया मा चले अभियान जइसे टीकाकरण के कूटनीति ले सफल होगे ओइसने सुशासन तिहार अउ गंगा आरती। जब कूटनीतिक अभियान सफल होथे तब सफलता के तिहार मनाए के अभियान चलथे।

      बिना माँग पत्र के भट्ठी के बढ़वार होगे। अउ चलत इसकुल मा लगाये बर अलीगढ़ ले नवा तारा मँगाये के अभियान  चलत हे। जे मन डिगरी धरे हें वो मन भट्ठी के बाजू चखना सेंटर खोले बर जगा तलासत हें। दारू भट्ठी अउ इसकुल दुनो मोसी बड़ी के रिस्ता ले जुड़े हे। पढ़ लिख के सब चन्द्र यान मा जाहीं तब इहाँ के दारू ला कोन पीही। जादा पढ़े लिखे के अधिकार मिलही तौ पढ़ पढ़के नवा नवा अभियान बर तइयार होहीं। ओकरे सेती अनपढ़ राखके सुशासन तिहार मा जोड़के राखे के अंदरूनी चक्रवर्ती अभियान चालू हे। नशा मुक्ति अभियान ले ये फायदा होइस कि देशी विदेशी सब चउँक चौराहा मा सहज मिलत हे। धान के कटोरा ला दारू के कोटना बनइया सरकार ला जनता के डहर ले धन्यवाद देय के अभियान तो चलाए जा सकत हे। इँहा सफाई के जुगत चलत हे तब कचरा करे के बूता अभियान के रूप मा।

       हमला बहुते अभिमान हे गरब हे कि हम कोनों ना कोनों सफल अभियान ले जुड़े हावन। पेट से लेके पीठ तक, झिपारी से लेके कपाट तक, कुरसी से लेके चौपाल तक, अउ धरती से लेके अगास सुरुज अउ चाँद तक अभिमान ले भरे अभियान के सफलता हिमालय ले ऊँच हे। जे मन अपन जीवन मा एको ठन अभियान ले नइ जुड़िस वोकर मनखे होना बेकार हे। तब--------------।


राजकुमार चौधरी "रौना"

टेड़ेसरा राजनांदगांव।

9755233236


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[7/6, 8:25 AM] +91 75665 79977

: प्रिय राकुमार चौधरी जी

सटीक अऊ सुघ्घर बियंग बर आपला बधाई। ये बियंग हर आंदोलन अऊ योजना के पाछू के हास्यास्पद स्तिथि ल बतावत हे। आनं दिन आंदोलन जईसे काम होथे पर ओखर पाछू एक कुहासा छूट जाथे। सरकार जानथे और अधिकारी मन मानथे के बिना मनखे समाज ल उद्वेलित अऊ आंदोलित करे कोई योजना सफल नई होय। एकर सेती अधिकारी आंदोलन के स्वरूप म अपन काम ल करथे। वो का करथे, हमन करथन, वो हर हमन ल आंदोलित करके छोर देथे। पर एही आंदोलन जब जनता अपन डाहर ले अपन मांग बर करथे त सरकार बर किरकिरी होथे। सरकार हर आन्दोलनजीवी हे अऊ हम मन आंदोलन के नट बोल्ट। बियंग के आखिरी म भट्ठी और स्कूल उपर जेन बियंग लिखे हवे वो हर आज के परिस्थिति के मुंहूं म तमाचा हे। बियंग अऊ धारदार होतिस यदि एमा साक्षरता ऊपर बिस्तार होतिस पर बियांगकार ल कौआ धर लिस, बने होगे के कौआ ह बियांगकार ल स्कूल अऊ भट्ठी के पास म ला के छोड़ दिस। नई त बियंग भटक जातिस। भाखा अऊ शैली बने हे। हमर जिनगी के बियंग-गोठ हवे। बने लिखे बियंग बर बधाई।


डॉ चन्द्र शेखर शर्मा

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