लघु कथा-
" उत्तराधिकारी "
-मुरारी लाल साव
घऱ के आघू म भीड़ जमा होवत गिस l एक झन कहिथे -" अपन करम के फल ला भोगत रहिस l बाई रहिस तेनो भगागे बीमरहा के कतेक दिन ले सेवा करत रहिबो l ओकर बेटा बहू कमाये खाये ले निकले रहिस मुख ला नइ देखाइस l
न डउकी संग दीस न बेटा संग दीस l"
दूसर आदमी बात ला काटत कहिस - " बने होगे अकेला रहिके,अकेल्ला मरगे l
डउकी ओकर हलाकान करत रहिस l बेटा तौन नालायक निकलगे l मरिस त चैन से l"
तीसर मइनखे कहिथे - "
भागमानी रहिस ओकर कोनो न आघू रोवय्या न पाछू रोवय्या l रहितिस त रोना गाना होतिस l जे आदमी ते ठन गोठ l
बुढ़वा सियान कहिस - " ऊपर वाले जनम देथे अउ मरन ला देथे l करम तो मइनखे करथे l
करम के दंड ला भोगे ला पड़थे l चलो बोहो अब काला देखना l न रिश्ता हे न नाता हे एखर l अपन रिश्ता ला ऊपर कोती बना लीस l'
आखिर म नाउ आथे कहिथे-
" अइसे झन कहव मैं ओकर दाढ़ी मेछा बनावत रहेंव l मुड़ी ला मैं मुड़वाहूँ,मोर धरम बनथे l
मैं आघू म कन्धा दुहूँ कहत लास ल बोह लेथे l" ओला देख पहटिया आथे कहत " मैं रोज देवत रहेंव l" मोरो हक हे l
तीसर म खोरावत आइस l*अरे भाई चोंगी माखूर के संगवारी रहिस l मोला बुलाते रहय आये कर मनसुख कहय l "
फेर आखिर म किराना दुकान वाले आथे " सब समान घर म पहुँचा के देवत रहेंव l मोर बने गराहिक निकल गे l कुछु फिकर नइ रहिस ओला l
"राम नाम सत्त हे सबके इही गत्त हे l' कहत सब झीन
लाई ग़ुलाल छिंचत मरघट लानिस l
चारो मिलके ओकर दाह संस्कार करिस l
-कुम्हारी, जिला दुर्ग छ. ग.
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