नानुक कथा -
"आँसू के बँटवारा"
बेरा अपन बेरा म निकलीस l
भरत अपन परिवार के भार ला अपने मुड़ी मा बोहे रहिस l बेरा के ऊवे के अगोरा करतिस l
साईकिल मा टिफिन अउ पानी के बोतल रख के निकल गे अपन काम म l
भरत के परिवार म छै झन हे l ओकर दाई -ददा ओकर पत्नि सतिया अउ 14 बरस के नोनी कुंती,9 बरस के बाबू करन l
भरत के जादा आमदनी नई हे,बस गुजर बसर कर्रे के पुरता l जइसे तइसे परिवार चलय l
ओकर दाई ददा मन पसरा लगाके साग भाजी बेंचय l सतिया पालिका के कचरा गाड़ी के सफाई मितानिन रहिस l
अल्हन कब अउ कइसे आ जही कोनो जानय नहीं l
आथे बिपत त कुछु सूझय नहीं l सियान के हाँथ कटागे हंसिया म l उहीच दिन भरत के दाई ला गोल्लर हुमेल दीस l कलहरत बइठे रहिन दूनो l सतिया ला मलेरिया बुखार आगे ओहा खटिया म सुते काँपत रहिस l
नोनी कुंती अउ करन उंकर तीर म रहिस l
सँझा कुन भरत काम करके आइस l आज ओकर घर म सन्नाटा अउ लाचारी पसर के बइठ गे रहिस l बताये के जरूरत नई पड़ीस ताड़ गे l
अल्हन समाये हे सब ला चुप कराके l
भरत के आँखी ले आँसू डबक के निकले ला धरिस lओला देखके ओकर दाई दाई ददा के आँखी ले आँसू बोहाये ला धर लीस l सतिया के आँखी के धार ला कुंती अउ करन पोंछत रहिस l पहिली बार दिखे ला मिलिस आँसू के बँट वारा होवत l
करन पूछथे -बाबू! तोर आँखी ले आँसू निकलत देख हमर सबके आँखी ले आँसू काबर निकले ला धर लीस?
आँखी ल देख आँखी आँसू के बँटवारा कर दीस बेटा!
एके झन जादा काबर रोवय?
मिल बाँट के आँसू ला घलो पोछे तो हन l करन के दादा कहिस l
- मुरारी लाल साव
कुम्हारी
No comments:
Post a Comment