Friday, 18 July 2025

चमचा* "

 " *चमचा* "

     वईसे चम्मच खाय के काम म आथे।लोगन मन हांथ ले घलो खाथे। फेर कुछ खास जगा,खास चीज ल खाय बर चम्मच ल उपयोग म लाथे।जईसे खीर खाय बर चम्मच के उपयोग कर सकथन, फेर दोसा खाय बर हे त हांथ ल काम म लाय ल पड़ही।भले ओकर सांभर चटनी ल खाय बर चम्मच के उपयोग कर सकथन।संत मन कहिथे हांथ ले खाय ले अंग लगथे।हमर पांचों अगंरी म पांच तत्व पानी , धरती, आकाश,हवा,अऊ आगी सघंरे रहिथे। चम्मच ल जीव रक्षक घलो कही सकथन।जब कोनो लईका, जवान, सियान मन खटिया धर लेथे त इही चम्मच म खाना,दवई खवाथन।इहां चम्मच अपन ऊपर गरब कर सकत हे फेर चमचा होव ई बने नोहे। चमचा मन दिमाग चांटे के काम करथे। चमचा अपन मालिक के वफादार होथे। ये मन सफई म गुनवान होथे।ऐ मन ल प्युरीफायर घलो कही सकथन।जईसे एक्वागार्ड पानी ल सफा कर देथे। चमचा नेतामन के घलो हो सकथे, कोनो आम,खास के घलो हो सकथे। कोनो ये मन ल कही दिस के मुरगी के चार टांग होथे ते ये मन साबित करेच के रही।दू ठन मुरगी के अऊ दू ठन ओकर छांव के। भले ओकर हिरदे (अंतस) गवाही झन दे।

        जेन परकार ले खोज पड़ताल (अनुसंधान)करईया मन के अलग-अलग दल होथे वईसने चमचा मन के दल होथे। एक झन चमचा ले छुटथे त दुसर ह लपेटथे , दुसर ले छुटथे त तीसर ह लपेटथे।जईसे एक झन ह संड़क म रेंगईया कांवड़ यात्रा वाले मन ल अऊ सड़क म नमाज पड़ाहईया मन ल एके म सरमेट दिस। इहां हम समझ सकथन चम्मच उपयोग के चीज आय अऊ चमचा प्रयोग करेके।

             चमचा सामाजिक, राजनीतिक,साहित्यिक, अफसर शाही, घलो हो सकथे।ये बात घलो संच आय के सबो चमचा मे एक गुन बरोबर होथे वो हरे सुवारथ।सुवारथ अऊ चमचा नांगर बईला के जोड़ी कस आय।जिहां सुवारथ उहां चमचा,जिहां चमचा उहां सुवारथ बिज्जुल (जरूर)रहिथे। चमचा होय के अरथ (मतलब)हे घर म मटिया पोंसना।ऐकर ले धन लाभ,पद लाभ होय के जुगाड़ (गुंजाइश)बने रहिथे। कोनो कोनो मनखे मन के भाग ये चमचा मन के पलोंदी (सिफारिश)ले घलो खुल जथे। इंकर किरपा कोनो बाबा मन के ताबिज ले कम नी राहय। इंकर आगु म डिगरी धारी मन घलो पानी पियाथे।ये गुन कोनो -कोनो मनखे म मिलथे अऊ ये सब मनखे के बस के बात घलो नो आय।ये मन ल कतनो गारी गल्ला घलो सुने ल पड़थे। इंकर मुड़ म आनी बानी के पागा घलो बांध देथे। जेकर ये मन ह टकराहा घलो पड़ जाय रहिथे। कोनो शबद (शब्द)मे मात्रा के भार कईसे पड़थे इही कर टमरे जा सकत हे। आखिर म हम कही सकत हन चम्मच होवई भाग्य (भाग)हो सकथे फेर चमचा होवई सौभाग्य।

      *फकीर प्रसाद साहू* 

            *फक्कड़*

          *ग्राम -सुरगी* 

        *जिला -राजनांदगांव*

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