Thursday, 17 July 2025

नानूक कथा - " कहानी पूरगे "

 नानूक कथा -

       "  कहानी  पूरगे "


            -मुरारी लाल साव


 ओ दिन अपन आँखी म देखे सुने हँव lतिराहा के घटना हे-

" मय  कुछु ला नइ जानव बाबू मय कुछुछ ला नइ जानव!" 

डोकरी दाई गिड़गिड़ा वत रहिस l जवान पुलिस अपन काम करत रहिस पूछे के l

"तै  बता येला कहाँ  ले लानेस? 

" नइ जानव  बाबू!

एक झन मोला राखे  ला कहिस l देखबे  दाई थोकून  मोर समान ला बस आवत हँव 

कहत  चल  दीस l पानी पौखार लागिस होही ओला l "

"ओ तो अपन काम ला बनालिस, तोर तो होगे?" जवान पुलिस कहिस l 

"अइसने करही कहिके नइ जानत रहेंव l"

"धंधा वाले मन एक दूसर ला जानथे?

" कब ले शुरू करे हस बेचे के धंधा ला?

"केरा बेचे के? 

खिसियावत जवान पुलिस -

ये गाँजा भाँग के?

नइ जानव बाबू  ये ला?

सब जानथस समझे?

बेच डरे केरा?

तोर कहानी पूरगे,सही सही बता l

पुलिस गाड़ी के सायरन बाजत आइस डग्गा म बैठार के ले गे i

कुछ बेरा बाद उही आदमी आइस पूछिस -' केरा वाली दाई ला देखे हव का?

उही मेऱ डिवटी करत जवान पुलिस ओकर घेँच ला धरिस 

 "चल बताहूँ कोन मेऱ हे डोकरी दाई ह !"

तोला केरा लेना रहिस ना?

जवान पुलिस ताना मार के पूछिस l

अकबकहा असन चेहरा बना लीस l

सायरन बाजत फ़ेर गाड़ी आइस उहू ला धर के लेगे l 

न दाई लगत हे न भईया

धंधा के पीछू बड़े रूपय्या l 

चार घंटा के भीतर

केरा वाली दाई आगे ले ओकर जघा म  बैग वाले अंदर होगे

ओकरे बैग मा तीन किलो गाँजा मिलिस l 


केरा वाली दाई बैग वाले मन के ऊपर ले अपन भरोसा ल उठा लीस l


जवान पुलिस अपन निगरानी म जबरदस्त डियूटी करत हे 

ओकर डिवटी ला देख बहुत झन के कहना हे -" ये हा गलत होवत हे l"

 सफ़ेद टोपी गमछा लपेटे दू चार झन "गंजहा मन " गंजावत रहिस l 


      - मुरारी लाल साव

               कुम्हारी

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