नानूक कथा -
" कहानी पूरगे "
-मुरारी लाल साव
ओ दिन अपन आँखी म देखे सुने हँव lतिराहा के घटना हे-
" मय कुछु ला नइ जानव बाबू मय कुछुछ ला नइ जानव!"
डोकरी दाई गिड़गिड़ा वत रहिस l जवान पुलिस अपन काम करत रहिस पूछे के l
"तै बता येला कहाँ ले लानेस?
" नइ जानव बाबू!
एक झन मोला राखे ला कहिस l देखबे दाई थोकून मोर समान ला बस आवत हँव
कहत चल दीस l पानी पौखार लागिस होही ओला l "
"ओ तो अपन काम ला बनालिस, तोर तो होगे?" जवान पुलिस कहिस l
"अइसने करही कहिके नइ जानत रहेंव l"
"धंधा वाले मन एक दूसर ला जानथे?
" कब ले शुरू करे हस बेचे के धंधा ला?
"केरा बेचे के?
खिसियावत जवान पुलिस -
ये गाँजा भाँग के?
नइ जानव बाबू ये ला?
सब जानथस समझे?
बेच डरे केरा?
तोर कहानी पूरगे,सही सही बता l
पुलिस गाड़ी के सायरन बाजत आइस डग्गा म बैठार के ले गे i
कुछ बेरा बाद उही आदमी आइस पूछिस -' केरा वाली दाई ला देखे हव का?
उही मेऱ डिवटी करत जवान पुलिस ओकर घेँच ला धरिस
"चल बताहूँ कोन मेऱ हे डोकरी दाई ह !"
तोला केरा लेना रहिस ना?
जवान पुलिस ताना मार के पूछिस l
अकबकहा असन चेहरा बना लीस l
सायरन बाजत फ़ेर गाड़ी आइस उहू ला धर के लेगे l
न दाई लगत हे न भईया
धंधा के पीछू बड़े रूपय्या l
चार घंटा के भीतर
केरा वाली दाई आगे ले ओकर जघा म बैग वाले अंदर होगे
ओकरे बैग मा तीन किलो गाँजा मिलिस l
केरा वाली दाई बैग वाले मन के ऊपर ले अपन भरोसा ल उठा लीस l
जवान पुलिस अपन निगरानी म जबरदस्त डियूटी करत हे
ओकर डिवटी ला देख बहुत झन के कहना हे -" ये हा गलत होवत हे l"
सफ़ेद टोपी गमछा लपेटे दू चार झन "गंजहा मन " गंजावत रहिस l
- मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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