*करम के फर*(नानकुन किसा)
सावन के महीना रहिस संगवारी अउ सावन के महीना मं भोलेनाथ ल पानी चढ़ाय के पुण्य भी अड़बड़ मिलथे,अइसे हमर सियान मन ह कहिथे.इही बिचार से सुखिया ह बड़े बहिनिया सुत-उठ के नहा-धो के पूजा- पाठ करय अउ मंदिर जा के शिवलिंग मं जल चढ़ावय.रोज के पहिली बुता इही राहय.फेर बाद मं घर-कुरिया के बुता ल करय.सुखिया ह मने-मन मं सोचय कि मय बहुतेच भक्तिन हरंव.मोर पूजा-पाठ ले भगवान ह बिक्कट खुस हो जवत होही.सुखिया के बसेरा मं कोनो भी मनखे आतिच त ओहर एक लोटा न पानी देवत रहिस,न चहा बनावत रहिस.सुखिया ह कंजूसनिन रहिस.ओकर घर मं आके मनखे मन भूख-पियास मरत बिदा होवय.मनखे मन के आत्मा ह एक कप चहा बर तको तरस जवत रहिस.सुखिया ल कोनो फरक नइ पड़त रहिस कि ओकर घर ले कोनो मनखे ह दुखी हो के बिदा होवत रहिस.
सतिया ह सुखिया के परोसी रहिस.सतिया ह न मंदिर जावत रहिस,न पूजा करत रहिस.अइसे नइ रहिस कि सतिया के मन मं भगवान नइ रहिस.असल मं सतिया ह मनखे मन मं भगवान के दरसन करत रहिस.मनखे के पीरा ल मिटाय के परयास करय अउ ओकर अंगना ले कोनो भी मनखे ह भूख-पियास मरत बिदा नइ होवत रहिस.सतिया के कुटिया ले कोनो भी मनखे ह दुखी होके बिदा नइ होवत रहिस.सतिया से मिलके सबो मनखे खुस हो जवत रहिस काबर कि सतिया के गोठ से ही मनखे के आधा दरद ह कमती हो जवत रहिस.
सावन के महिना मं एक दिन संझा बेरा पानी ह बिक्कट गिरत रहिस,जइसे पानी गिरत रहिस,वइसे हवा करत रहिस,बिजली तको गरजत रहिस.एक झन मनखे ह अपन गोसइन दुनों सुखिया के गांव ले गुजरत रहिस.पानी गिरत मं फिंज जाबोन सोचके सुखिया के दुवारी मं गाड़ी ल खड़ा करीस फेर सुखिया करन कहिस,दाई हमन ल थोकिन तुहंर घर मं जगा दूहू का?सुखिया ह मन मं गुनिस कि कहूं पानी ह नइ थिरकही त येमन तुहंर घर रतिहा ल पहाबोन कइही,तेकर ले जगा नइ देवंव.सुखिया ह कहिस,मोर घर ह चोरोबोरो हे गा त जगा कहां ले दूहू.फेर दुनों परानी सतिया के घर मं जाके पूछिस कि थोकिन तुंहर घर जगा दूहू का?सतिया ह हव रूक जवव कहिस.सतिया ह रद्दा रेंगइया मन ल चहा-पानी दिस.सतिया ह कहिस कि पानी नइ छोड़ही त हमर कुटिया मं रतिहा ल पहा लेहू.पानी ह छोड़बे नइ करिस रतिहा होगे.सतिया ह भात-साग रांधिस अउ अपन गोसइया संग मं दुनों परानी ल भात-साग परोसिस.तहान अपन खइस.खा के खटिया ल बिछाइस.सबो झन सुख-दुख गोठियावत सुतगे.बिहनिया होइस त पानी ह नइ गिरत रहिस.दुनों परानी ल सतिया ह चहा-पानी दिस फेर दुनों परानी ह सतिया ल कहिथे कि दाई तय ह हमन ल भगवान सरीक मदद करे हस.भगवान ह तोला तोर करम के सुघ्घर फर देवव इही अशीष हे.अइसने कहिके दुनों परानी अपन गांव बर निकलगे.सुखिया ह मने मन खुस होइस कि बने करेंव मय ह येमन ल जगा नइ दे हंव त काबर कि पानी ह छोड़बे नइ करिस,मोला येमन ल रखे बर पड़ जतिच अउ मोला इंकर मन बर साग-भात रांधे बर पड़तिच.
एक दिन सुखिया अउ सतिया के टिकट ह धरती ले कटगे.दुनों परानी ह यमराज के दरबार मं हाजिर होइस.यमराज ह कहिस कि सुखिया ल नरक मिलही अउ सतिया ल सरग मिलही.अतका गोठ ल सुनके सुखिया के जीव ह चिहर के कहिस कि अइसे कइसे हिसाब करत हव यमराज महराज,मय कतका पूजा-पाठ करे हंव,कतका पानी रिकोय हंव भोलेनाथ मं.ये सतिया ह कभू मंदिर नइ गे हे.कभू पूजा नइ करे हे.त ये ल कइसे सरग अउ मोला नरक देवत हव.यमराज ह कहिस कि दाई तय हर पूजा करत रहेस ओकर पुण्य तो मिलही जरूर फेर जेन तय पाप करे हस ओमा काटे के बाद तोर पाप जादा होवत हे काबर कि कोनो मनखे ल भूख-पियास मं मारे हच, ओहर पाप मं गिनाथे.काबर कि कोनो जीव ल तरसाना बहुतेच बड़े पाप हरे.सतिया ह भले पूजा नइ करिस फेर कोनो भी जीव ल भूखन-पियासन नइ रखिस.सबो जीव ल तृप्त करिस.नेक करम ह पूजा हरय अउ ओकर फर भी जादा मिलथे.सुखिया ल समझ मं आगे रहिस कि सबो जीव मं शिव हे अउ शिव ल खुस करना हे त जीव के सेवा करे से भगवान ह खुस होथे.फेर चिरई ह तो खेत ल चुग गे रहिस.पछताय से कोनो मतलब नइ रहिस.
सदानंदनी वर्मा
ग्राम-रिंगनी(सिमगा)
जिला-बलौदाबाजार(छ.ग.)
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