Saturday, 12 July 2025

पाठ्य पुस्तक बनगे कबाड़

 पाठ्य पुस्तक बनगे कबाड़

पाठ्यपुस्तक कबाड़ी तीर देखे के बाद खलबली मचगे। अभी पिछले शनिवार 14 जून के एक विडियो निकलिस। येमा देखाये गे रहिस हे के सांकरा स्कूल म संकुल समंवयक पूर्णिमा वर्मा ह कबाड़ी मन ल स्कूल म बलाये रहिस हे अउ निःशुल्क बांटने वाला पुस्तक मन ल बेचत रहिस हे। गाँव वाला मन देख लिस अउ तुरंत ओखर विडियो बना लिन। पऊर बछर भी रायपुर ले आये पुस्तक मन ल सिलियारी के एक कारखाना म बेच देय गे रहिस हे। ओला तुरंत सस्पेंड कर देय गिस। शाला विकास समिति अध्यक्ष नोहर वर्मा घलो मौका म पहुंचिस अउ उच्चाधिकारी मन ल ये मामला के शिकायत करिस।


खैरागढ़ म 11 महीना पहिली एक सरकारी स्कूल के प्राचार्य ह अपन  मनमानी करत  स्कूल के 550 किलो किताब ल कबाड़ी ल बेच दिस। बजेस रुपिया किलो म स्कूल के प्राचार्य ह करीब 550 किलो किताब के 11000₹ कमा लिस। मामला जब  आगू म अइस त शिक्षा विभाग ह जांच के आदेश दिस।


जिले के छुईंखदान विकासखंड के ग्राम ठाकुरटोला के शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय म बलदाऊ जंघेल प्राचार्य पद म रहिस हे। ओखर ऊपर आरोप हे के ओ ह छात्र-छात्रा मन बर आये किताब अउ ओखर प्रायोगिक फाइल मन ल रद्दी म बेच दिस।

ये किताब मन के छपाई म लाखों रुपिया हर बछर खर्च होथे। विद्यालय के पुस्तक प्रभारी मनोहर चंदेल ह जिला शिक्षा अधिकारी खैरागढ़ ल किताब बेचे के  शिकायत करिस।

येखर बाद जिला शिक्षा अधिकारी ह गंडई के प्राचार्य ल जांच अधिकारी नियुक्त करके जांच करे के निर्देश देय रहिस हे। जांच अधिकारी ह 24 जुलाई 2024 के दोपहर 12 बजे प्राचार्य ल जांच बर स्कूल म उपस्थित होये बर बोले रहिस हे।


बताय गिस के बेचे किताब मन पिछले सत्र के रहिस हे। यदि पाठ्यक्रम म बदलाव नइ होय हावय त उही पुस्तक ल बांटे जाथे। अइसे म ये किताब मन बहुत झन लइका मन के काम आ सकत रहिस हे।


मई 2023 में भी खैरागढ़ शहर के ही स्वामी आत्मानंद स्कूल के किताब मन ल रद्दी के भाव म बेचे गे रहिस हे। प्राचार्य कमलेश्वर सिंह ह लइका मन ल बांटे के करीब 100 किलो पुस्तक ल कबाड़ी ल बेच दिस। मामला सामने आये के बाद कमलेश्वर सिंह ल प्रभारी प्राचार्य के पद ले हटाके अस्थाई रूप ले शासकीय विद्यालय कांचरी म ट्रांसफर कर देय गिस।


ये मामला म  विभाग जांच नइ करवा पइस।विभागीय लीपापोती आज तक चलत हावय। जांच होवत हे कहिके सब बांच जथें।


सरकार द्वारा करोड़ों रुपिया खर्च करके  किताब मन ल छपवाये जाथे अउ निःशुल्क बांटे जाथे। काबर के आर्थिक रूप ले कमजोर वर्ग के लइका मन ह किताब नइ ले सकंय त पढ़ाई ले वंछित नइ रहि जायें। थोरिक पइसा के लालच म आ के लइका मन के किताब ल  रद्दी के भाव म बेचत हावंय। 

पिछले बार के घटना के तो जांच ह लटके हावय फेर अभी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ह पाठ्यपुस्तक निगम के महाप्रबंधक ल निलंबित कर दे हावय।


कुछ मन विद्या दान परम दान के तहत कापी पुस्तक बांटथें। कुछ मन फीस के पइसा दे देथें। सरकारी नौकरी अउ शिक्षक ह पाठ्यपुस्तक ल बेच के हजार दस हजार रुपिया एक बेर कमा लिही त काये बिल्डिंग बना लिही। आजकल तो तनख्वाह घलो बहुत मिलथे। अतेक पइसा के का कमी हावय।


येला रोके बर किताब के पूरा हिसाब रखवाना चाही। एक रिकार्ड रखना चाही। एक अधिकारी ल येखर जांच करे बर भेजत रहना चाही। किताब जब दो बछर ले पुराना होगे तब ओला बेचे बर आवेदन करना चाही। शिक्षा विभाग के स्कूल मन के ये भ्रष्टाचार ह बाकी के आगू म बहुत बड़े हावय। गरीब बर पुस्तक छापत हावंय अउ ओ ह उंखरे तीर नइ पहुँचय। 


ये बछर ले सरकार ह बारकोड डाले हावय। स्कूल म कतका पुस्तक गे हावय ये बखर कोड ल सँकेन करके डालत हावंय। हर स्कूल के अलग अलग बारकोड हावय। अब कचरा म बेचे पुस्तक होवय या कबाड़ी तीर के पुस्तक होवय तुरंत पता चल जही के ये पुस्तक कहाँ ले आये हावय


आज स्कूल के भवन, स्कूल के शिक्षक, मध्यान्न भोजन सब बर सोचे के जरुरत हे। पुस्तक तो सरकार देवत हावय, स्कूल जाये बर साइकिल घलो मिलत हे। सबले बड़े बात हे शिक्षण विधी अउ संस्कार डालना। आज येखर तरफ भी ध्यान देय के जरुरत हे। छात्र एक शिक्षक ल चोरी करके पुस्तक बेचत देखही तब का होही ओखर उपर का संस्कार परही??

सुधा वर्मा 22/6/2025

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