Saturday, 12 July 2025

लघु कथा -

 लघु कथा -

     " बने बने भउजी " 

 "नजर लगाये बइठे रहिथे,चौरा बनाये हे एखरे बर l "देवकी बड़बड़ावत बाहिर ले घर भीतरी आइस l 

लता ला देख -देख के जलय l 

खूबसूरत घलो हे अउ पढ़े -लिखे हे l देवकी के पति  कुमार ला भैय्या कहय l आँगन बाड़ी म भर्ती के आवेदन दे रहिस l देवकी के पति कुमार उही ऑफिस म बाबू हे l ओला पूछे बर ओकर आये के रद्दा ला देखय l भउजी के आदत ठीक नई हे भाई ला फोकट म लड़ही l इही सोच के ओकर से बातचीत नई करत रहिस l उरभेट्टा हो जतिस त अतके कही के पूछ लेतीस -"

भउजी बने बने हस l"

देवकी मन के भरम ले ताना  मारत कहितिस -" तै बने हस तेला देख l"

 देवकी अपन घर भीतरी म बड़बड़ावत रहितिस -"मोर एड़ी के धोवन, बने बने भउजी कहिथे l "

एक दिन कुमार समझावत कहिस -" मोर बहिनी अस हे अपन नौकरी के आदेश के बारे म जाने बर l

तै ओला पता नहीं का का कहत रहिथस? 

अपन  काम बूता म लग़ जही तोला देखय घलो नहीं l

दाग लगे ले सब डरथे l 

            - मुरारी लाल साव

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