Saturday, 12 July 2025

होवत हत्या

 होवत हत्या

आजकल छत्तीसगढ़ म बहुत हत्या होवत हावय। कारण खोजे बर जाबे त अनेक कारण मिलथे। आज मनखे अतेक तामसी होगे हावय के बात बात म चाकू निकाल लेथे। ये चाकू आज कहाँ ले आवत हे? हर युवा या आम मनखे बात बात म चाकू निकालत हावय। दोस्त, पत्नी, पति या राहगीर ल गोदत हावय। बहुत पहिली सन सत्तर के दशक म फिल्म मन म चाकूबाजी देखावय। 


खलनायक मन बटन दबा के चाकू लहरावंय। ओ बेरा म जब बहुत चाकूबाजी होइस त पुलिस मन पकड़ना शुरु करिन। बहुत चाकू बरामद करे गीस। ये दौर धीरे धीरे खतम होगे। रिवाल्वर आगे। बात बात म गोली चले ले लगगे। धार दार चाकू, हंसिया, कुल्हाड़ी, हथौड़ा तक खून करे म या फेर हमला करे बर काम म लावत हावंय। 


एक दौर अउ रहिस हे जब घर झोपड़ी जला देंवय। मनखे के ऊपर मिट्टीतेल, पेट्रोल छिड़क के जला देवंय। तंदूर कांड घलो होय रहिस हे। ये सब म बदलाव आवत जात हे। अभी इंदौर ले मेघालय लेजा के पति के हत्या चाकू ले करे गीस। आज छत्तीसगढ़ के राजधानी ये चाकू के कारण खून ले नहावत हे । अचानक आज के युवा चाकू ले के कइसे घूमे ले लगगे। ये चाकू बात बात म निकलत हे। शराब के नशा न, पार्टी म बहस होये ले या फेर रास्ता चलत धक्का लगे म खून होवत हे। पुलिस ल अब चाकू बर भी लायसेंस बनाना जरुरी हावय। ये बात जरुर हंसी ठिठोली कस लागत होही। घर के रसोई ले निकल के चाकू ह युवा मन के जेब म आवत हे। आखिर कोन से असुरक्षा के भावना हे जेखर कारण चाकू ले के चले पर परत हे। आज के फिल्म म तो ये सब नइये। ये कोन से मानसिक असुक्षा के कारण आये जेन हर तरफ बार बार एके समाचार सुने बर मिलथे "चाकू ले गोद डरिस" 


सत्तर के दशक म गुंडागर्दी चलय, युवा मन के गैंग होवय। ये गैंग वार चलय। आज तो कोई गैंग नइये फेर चाकू के जरुरत काबर? आज येला संस्कार के कमी या नैतिकता के कमी कहि सकथन। ये आही कहाँ ले? सीखही कहाँ ले? ये सब परिवार ले आसपास ले अउ शिक्षा ले आथे। आज माँ मोबाइल म लगे हावय। बाप ह अपन काम म या फेर शराब म डुबे हावय। घर म लइका स्कूल ले अइस त ओला भी मोबाइल पकड़ा के बइठा दिस। स्कूली शिक्षा ले नैतिकता गायब हे। गणित बनाओ, हिंदी लिखो,पढ़ो, अँग्रेजी पढ़ो होगे स्कूल के पढ़ाई। एक दिन चुन के शनिवार के कुछ काम सिखाना चाही, सहयोग के भावना विकसित करना चाही।  स्वस्थ मानसिकता के संग आपस म खेलना भी जरुरी हावय। तभे दोस्ती के भावना आपस म एक दूसर ले कइसे व्यवहार करना सिखही। ये चाकू बर कुछ प्रतिबंध होना ही चाही।

सुधा वर्मा, 6/7/2025

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