Saturday, 12 July 2025

हमर आखर कहिथे का - सुत -सूत -सूंत

 हमर आखर कहिथे का -

     सुत -सूत -सूंत 

(अर्थवैज्ञानिक विवेचना )

सुत माने बेटा या पुत्र होथे l हिंदी संस्कृत ले आये है l अंजनी सुत हनुमान l उमा सुत श्री गणेश l देवकी सुत श्री कृष्ण l कौसिल्या सुत श्री राम l

सुत के प्रयोग धार्मिक कथा के पात्र मन बर होथे l 

छत्तीसगढ़ी म कहिथन - "सुत जा बेटा रात होवत हे l " 

(सोना या सुलाना ) 

हमन कहाँ कहिथन - " जगत सुत पवन कुमार l या मंगलू सुत रमेश l ब्रिंदा सुत धनी राम 

थोकिन अउ आघू बढ़न -

" सूत जगेसर बने सूत l"

जगेसर तो सुतही रात भर जागे हे,बने नींद भर सुतही l 

 देखव सूत  बडे ऊ के मात्रा के प्रभाव  म अर्थ बदल गे l(सूत -सोना)

सू म अनुस्वार बिंदु सूं ले सुंत के मतलब हे धागा l एखरे से बने हे सूंतरी l पतला रस्सी l

मोटा होगे त डोरी अउ मोटा होगे त डोर l

डोरी अउ सूं तरी म अंतर हे l

" पुड़िया ला सूंत मा बांध के ला l " 

बोरा ला सूं तरी म बांधे जाथे l

पैरा ला डोरी मे या रस्सी म बांधे जाथे l

कुंआ ले पानी निकाले बर डोरी या डोर के उपयोग करे जाथे l

"सूजी (सुई)म सूंत (धागा ) बुलकथे l " दर्जी कपड़ा सिथे l

लिखे बोले म मात्रा प्रयोग म शब्द अपन अर्थ ला बदल देथे l

( शब्द के अर्थ वैज्ञानिक अध्ययन )  

                - मुरारी लाल साव

                   कुम्हारी

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