Saturday 17 April 2021

डरना अउ लड़ना जरूरी हे -चोवाराम वर्मा "बादल"


 

डरना अउ लड़ना जरूरी हे -चोवाराम वर्मा "बादल"


दू अक्षर के शब्द 'डर ' बहुतेच डर-डरावन हे। तभे तो एकर बर जुमला बने हे--"जो डर गया समझो वो मर गया।" विचार करबे त अइसे लागथे के येला उन मनखे मन बर कहे गे होही जेन मन भूँकत अउ दँउड़ावत कुत्ता ल देखके डर म पल्ला भागथें तहाँ ले कुत्ता के हिम्मत बाढ़ जथे अउ वोहा भूँकई ल छोंड़के शेर जइसे दहाड़ के हबक देथे। अइसन समे म मनखे ल सवा शेर बनके, अँड़ियाके ,ठाढ़ होके कुत्ता ल दबकारना चाही तहाँ ले वो दुम दबाके भाग जथे।

   एक बात अउ कहे जाथे--"भय नाम भूत।" एकर मतलब हे-डरे तहाँ ले भूत धर लेथे। भूत धरथे त काय होथे? लोगन के कहना हे के--आदमी घबरा जथे,करिया पछीना छूटे ल धर लेथे, कई झन थरथर- थरथर काँपे ल धर लेथे, बड़बड़ाये ल धर लेथे।कतको झन के घेंच ल भूत ह चपक देथे अउ वो आदमी के जीव छूट जथे।

  वैज्ञानिक मन के कहना हे के-- भूत होबे नइ करय।ये बात सिरतोन लागथे काबर के आज तक कोनो पूरा दावा अउ प्रमाण के संग नइ कहि सकय के मैं ह भूत ल देखे हँव। वो तो जेन जगा डर्राये रहिथे,नहीं ते अँधियारी म, कोनो सुनसान जगा म कुछु चीज ल देखे रहिथे या फेर कोनो अवाज ल सुने रहिथे वोकर ले डर्राके कहि देथे- फलाना जगा म भूत हे। खोजबे त भूत के लँगोटी तक नइ मिलय। आदमी ह फोकटे-फोकट डर्राथे। कभू-कभू उही डर म हार्ट अटेक आके मर घलो जथे।

        डर के कई किसम अउ कारण हे जेमा सब ले बड़े डर मौत के डर हे।कतको डरपोकना मन मरे के डर म मर जाथें। सबला एक दिन मरना हे त अतेक पन का डरना? कई झन घुचपुचिया मन कोनो काम ल करे के पहिली-'दुनिया का कइही' सोंचके अपने-अपन फोकट के डर्रावत रहिथें। अरे! अच्छा काम करे जा, दुनिया भले कुछु काहय। "कुत्ता भूँके हजार, हाथी चले बजार" वाले बात होना चाही।

    कतको झन पानी ले, आगी ले, भींड़ म जाये ले,सभा-समाज ले,ककरो संग गोठियाये ले डर्रावत रहिथें। कई झन तो घर ले निकले म डर्राके घरखुसरा बन जाथें।ये मन सब फोबिया के रोगी आँय। अइसन मन ल डरना नइ चाही भलुक अपन इलाज करवाना चाही। सब ले बड़े इलाज तो इही हे के येमन जेन चीज ले डर्राथें ,उही चीज ल करके देखयँ जेकर ले डर हा भागय। कुछ  अउ खतरनाक डर हें जइसे-- अपन मान सम्मान ल बँचाके अउ बनाके रखे के डर नैतिकता के डर, कलंक लगे के डर, धर्म के डर,जात -पात के डर, पाप के डर, भगवान के डर। ये डर बढ़िया हे ।जरूर डरना चाही फेर जरूरत ले जादा डरना मना हे नहीं ते ब्लड प्रेशर संग हृदय रोगी बनत देर नइ होवय।

   कई झन डरपोकना मन अपने-अपन नाना प्रकार के कल्पना करके अउ दूसर ले अपन तुलना करके हीनभावना के शिकार होके मानसिक रोगी बन जथें।  कतको झन तो मौत ल गला लगा लेथें।

    उपर लिखाय अइसने जम्मों डर बर कहे गे हे--डरना मना हे।

         ये तो होइस आधा बात, सिक्का के एक पहलू। सिक्का के दूसर पहलू ये हे के हमला डरना तको चाही। कोन चीज ले डरना हे अउ कोन ले नइ डरना हे,येला जानना समझदारी आय।कोनो ये कहिके --- मैं आगी ले बिल्कुल नइ डरवँ---आगी म कूद जही त भुँजाके मरबे करही।ये तो भारी मूर्खता आय।अइसन हिम्मत का काम के जेन जीव लेवा होवय।

     मनखे ल बीमारी ले तको डरना चाही।ये डर ह जागरूकता लाथे। अभी कोरोना महामारी के भयानक तांडव माते हे।ये नानचुक वायरस ले सरी दुनिया थर्रागे हावय।गरीब-अमीर,महिला-पुरुष, लइका-जवान ,सियान सब झन ला ये कोरोना ले डरना जरूरी हे।काबर के ये कोरोना ह कोनो ल बड़े ददा, बड़े दाई नइ मानय।कोनो ल नइ छोंड़य।कहूँ हमन मास्क लगाबो,हाथ ल घेरी-बेरी साबुन ले धोबो,साफ-सफाई रखबो, सेनेटाइजर करबो,सोशल डिस्टेंसिंग के पालन करबो,बेमतलब भींड़-भाँड़ म नइ आबो-जाबो त ये कोरोना बैरी खुदे डर्राके भाग जही। अब तो वैक्सीन लगे ल धर लेहे। कोनो अफवाह म नइ आके बिना डरे वेक्सीन लगवाना जरूरी हे।कोरोना ले डरना जरूरी हे ।वोकर ले लड़ना जरूरी हे।


चोवा राम वर्मा 'बादल '

हथबंद, छत्तीसगढ़

2 comments:

  1. अब्बड़ सुग्घर ज्ञान के बात बतायेव गुरुदेव कखरो भड़कौनी मा आके नइ डराना हे फेर सावधानी ला बरतत हुए साव चेती ले ये बिमारी संग लड़ना हे🙏🙏

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  2. अब्बड़ सुग्घर ज्ञान के बात बतायेव गुरुदेव कखरो भड़कौनी मा आके नइ डराना हे फेर सावधानी ला बरतत हुए साव चेती ले ये बिमारी संग लड़ना हे🙏🙏

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