Monday 26 April 2021

पृथ्वी दिवस- सरला शर्मा

 पृथ्वी दिवस- सरला शर्मा

      अमेरिकन सीनेटर गेलार्ड नेल्सन के विचार ल मान के 22 अप्रेल 1970 ले दुनिया के 195 देश मं विश्व पृथ्वी दिवस मनाए के सुरुआत होइस । हर साल एक नवा उद्देश्य रहिथे त ए साल  के विषय या कहिन उद्देश्य हे पृथ्वी के पुनर्स्थापना । 

गुने बर पर गिस ए उद्देश्य काबर ? एकर बर --के पृथ्वी मं प्रदूषण , प्राकृतिक संसाधन के उत्ता धुर्रा दोहन , जनसंख्या विस्फोट , ओजोन परत के बढ़त छेद , बरसात के कमी अउ जंगल के पेड़ मन के अंधाधुंध कटाई के संसो हर आय । वाजिब संसो आय एकर उपर विचार जरूरी हो गए हे । 

  हमर भारतीय संस्कृति मं पृथ्वी ल माता , महतारी के दर्जा मिले हे काबर के इही हर मनसे-  तनसे , रूख-  राई , जीव - जंतु ,चिरई - चुरगुन सबो के पालन पोषण करथे । सौर मंडल मं नौ ठन ग्रह माने गए हे फेर पृथ्वी ग्रह ल ही माता कहे गए हे , ऋषि कहिथें " पुत्रोSहम् माता पृथिव्या: " माने मैं बेटा अवं पृथ्वी माता आय । 

    संसार के आपद बिपत टारे के बिनती करत , सुख शांति के बिनती करत यजुर्वेद के ऋषि एक ऋचा मं लिखे हंवय ....

" ॐ द्यौ शांतिः , अंतरिक्ष शांतिः , 

 पृथिवी शान्तिरापः , शान्तिरोषधयः शांति 

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 सर्वे शांतिः , शान्तिरेव शांतिः ..। " 

     ध्यान देहे लाइक बात एहर आय के आकाश , अंतरिक्ष , पृथ्वी , जड़ी बूटी ( औषधि ) सबो के शांति बर बिनती करे गए हे काबर के ये सब शांत रहिही तभे मनसे सुख सनात से जिनगी काटे सकही । पृथ्वी जेला हमन धरती , भूमि , भुंइया घलाय तो कहिथन । इही भुंइया मं मनसे जनम लेथे , जनम भर खेलत -कूदत , कमावत-  खात  जिनगी पहाथे फेर सांस सिराथे त इही हर तो मरण भूमि बनथे , माटी के चोला माटी मं मिल जाथे । 

सरग नरक ल तो कोनो देखे नइये ... मनसे जब सुख शांति पाथे त इही हर सरग बन जाथे , दुख बिपत परथे त नरक बन जाथे । अपन धरती के बड़ मया , जन्मभूमि कहिथन ..तभे तो वाल्मीकि रामायण मं राम कहिथें " जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी "  । 

अइसन सरग ले सुंदर , सरग ले जादा गरियस पृथ्वी के  विकास के नांव मं हमन, वैज्ञानिक उन्नति के बहाना मं कोन दसा कर डारेन चिटिकन गुने बर ही ऐसों के पृथ्वी दिवस हर कहत हे । 

सिरतो के जंगल ल काटत जावत हन अउ डामर के पक्की सड़क , सिरमिट कुधरा , लोहा लाखड़ के दस मंजिला , बीस मंजिला बिल्डिंग बनावत हन । हर अंगना मं बोरिंग खन के धरती के छाती मं छत्तीस छेदा करत हन त भूमिजल ल बोहावत हन । हजारों साल मं बने पहाड़ ल खन देवत हन , बड़े बड़े रूख राई मन ल काटत जावत हन त बादर बरसा कइसे करही ? नदिया नरवा  सुछंद बोहाये नइ सकत हें जघा जघा बांध बना देवत हन । 

   धरती माता के खनिज भंडार ल खन खन के खाली करत हन ..ओला पाटही कोन ? कल कारखाना के बढ़ोतरी तो होवत हे फेर ओकर चौहद्दी मं खेत खार तो नंदावत जावत हे । प्रदूषण बढ़त जात हे । अंतरिक्ष डहर ध्यान देई त पाबो के पृथ्वी ल सौर मंडल मं सुरक्षित रखइया ओजोन के घेरा के छेदा हर बढ़त जात हे जेकर सेती सुरुज के पराबैगनी किरण मन पृथ्वी के रहइया सबो जीवधारी मन ल बीमार करत हें , गर्मी बढ़त हे , बरसा कमत जात हे । 

  एक ठन अउ नुकसान डहर ध्यान देहे बर परही के संसार भर के मनसे रसायनिक खातू के उपयोग करत हें , कीट नाशक दवाई के घेरी बेरी छिड़काव करत हें जेकर से धरती बंजर होवत जात हे । सबले बड़े अउ जरूरी बात के जनसंख्या सनसनावत बढ़त हे त आम आदमी के औसत उमर घलाय तो बढ़ गए हे , धरती माता उपर मनसे के बोझा बढ़त जात हे । 

जेन पृथ्वी मं जनमे बर देवता मन तरसथें , मनसे तन धर के जनमथें तेकर हमीं मनसे मन का हाल कर डारे हन ? अभियो ध्यान नइ देबो त अवइया पचास साल मं पृथ्वी के का हाल होही ..सोचे ले झुरझुरी धर लेथे । इही सब ल गुन के सन 2021 के पृथ्वी दिवस के विशेष महत्व हे । मनसे तो आने जीव मन ले बुधियार माने जाथे न ?त मोर बुधियार पृथ्वीवासी भाई बहिनी मन पृथ्वी रसातल मं समा जाही तेकर पहिली सावचेत हो जावव । 

  सरला शर्मा

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