Monday 26 April 2021

लाकडाउन काल होगे-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

 लाकडाउन काल होगे-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


              अहा का विपत आगे हे, मनखे ल समाजिक प्राणी कथे तभो समाज म नइ उठ बइठ पावत हे। वाह रे कोरोना तोर झट परे रोना। तोर सेती गाँव शहर सबे जघा चमाचम लाकडाउन हे। दुनिया म पइसा कौड़ी के हिसाब ले तीन प्रकार के मनखे हे-अमीर, मध्यम अउ गरीब। अमीर अउ मध्यम वर्गीय मन कइसनो करके अइसन आफत के समय ल घर म रहिके काटत हें, फेर गरीब मन खुदे कटा जावत हे। हमर जनसंख्या के आधा ले जादा परिवार के गुजारा भीड़ ले होथे, फेर शासन प्रशासन के फरमान के बाद, डाकडाउन के बेरा म , अइसन परिवार मनके आय के जरिया सिरागे हे। रोज के रोज कमइया खवइया आज बेबस अउ लाचार हे। कुछ सरकारी अउ प्रायवेट वाले मनके नवकरी चलत हे ,त कुछ ल सरकार घर बैठे पइसा देवत हे, फेर डेली वेज म  कोनो दुकान, होटल या मिल म रोज काम करइया नवकर चाकर मन,होटल, ढाबा, दुकान मिल, फैक्टरी के बन्द होय ले, बिन पइसा के घर म उदास  पड़े हे। कतको मनखे मन तिहार बार अउ समय सीजन के हिसाब ले घलो काम धंधा करथे, उहू मन घर म धँधागे हे।

            जे मन ये भयानक रोग के रोगी हे, तेला अस्पताल के चिन्ता हे, कि रक्तबीज कस बढ़त कोरोना म ओखर इलाज  हो पाही की नही।  अस्पताल वाले ल बेड अउ आक्सीजन सिलेंडर के चिंता हे, कतको विद्यार्थी मन ल अपन पढ़ई लिखई के चिंता हे, कतको नेता मन ला कुर्सी के चिंता हे, व्यपारी मन ल वैपार के चिंता हे, खात पियत आदमी मन ल अपन इम्युनिटी बनाके रखे के चिंता हे, फेर एक तपका अइसनो घलो हे जेला काली का होही, तेखर चिंता हे, ओला पेट भरे बर रोटी के चिंता हे। आँखी सरलग नदिया बरोबर बहत हे, अइसन समय म, उहू मन ल तो कोरोना ले लड़े बर अपन स्वास्थ्य ल धियान म रखना पड़ही। फेर ओखर तो पेटे नइ भरत हे, इम्युनिटी भला कइसे बढ़ही। एकात हप्ता के लाकडाउन ल पानी पसिया पीके, छाती म पथरा लाद के काट घलो सकथे, फेर पाख अउ महीना भर के समय, दुख ल धरे काटे त, कइसे काटे। कोरोना म वोमन जब मरही तब मरही ,फिरहाल तो भुखमरी अउ संसो म मर जावत हे। रोज कमइया खवइया अउ भीड़ जिंखर जीविका के आधार आय, लाकडाउन म उंखर जिनगी असहाय होगे हे। जीविका यापण करे बर कतको मन रोज जाँगर पेरथे त कतको मन कोनो छोटे मोटे काम धंधा करथे। फेर आज सब चीज बन्द हे, ओमन बेबस होके, घर म धँधा गेहे। मदद करइया मन घलो एक दू दिन पेज पसिया पीया सकथे, फेर जादा दिन तक कोन काखर ठेका लेहे।  डाकडाउन के निर्णय कोरोना ले बचे बर सरकारी फरमान हे, त ये तपका के मनखे मनके संसो करना भी सरकार अउ प्रशासन के कर्तव्य हे। बीमारी के रोकथाम होय कहिके कोनो ल तन मन से बीमार करना ठीक नोहे। ये भयानक महामारी के  उपाय यदि लाकडाउन आय, त अइसन मनखे मन ऊपर धियान देना भी जरूरी हे, जेला दू टेम के रोटी नइ मिल पॉवत हे। आखिर ओमन अपन पेट बर लड़े कि स्वास्थ्य बर। पेटे नइ भरही त का शिक्षा अउ स्वास्थ्य। आवन कुछु काम धंधा ऊपर विचार करीं----


*फेरी वाले* ---

कतको मनखे मन अपन जीवका यापन करे बर, कतको किसम के समान ल शहर गांव म घूम घूम के चिल्ला चिल्ला के बेंचथे। जइसे मनियारी समान वाले, लोहा लख्खड़, प्लासटिक के कबाड़ लेवइया, पेपर लेवइया, लइका मनके खिलौना, कपड़ा-लत्ता, साबुन-सोडा, फल, साग-भाजी, दरी-चद्दर, झाड़ू, फूल, गमला, पेड़ पौधा, गुपचुप चाँट, लाड़ू मुर्रा, पॉपकॉर्न,कुल्फी, बरफ, प्लास्टिक समान, डबलरोटी,अंडा, भुट्टा, दार-चाँउर, जूता-चप्पल, बरतन, जइसे कई समान के बेचइया मन घर म बइठे बइठे के दिन रही सकही। एखर संगे संग खेल मदारी,सर्कस वाले, मिक्सी-कुकर बनइया, कैंची धार करइया, सबके घर घूम घूम के काम करइया आदि सबके हाल बेहाल हें। वइसे दूध,डबलरोटी, अंडा अउ साग भाजी ल कुछ समय बर छूट देहे, तभो कतकोन के अभो रोना हे।


*छोटे मोटे दुकान अउ ठेला ठपरी वाले*---


कतको मन दू पइसा के आस म टीन छप्पर छाके  छोटे मोटे दुकान चलावै, उहू मन आज बेबस पड़े हे। जइसे- छोटे छोटे कपड़ा दुकान, बरा भजिया के होटल, पान ठेला, चाय ठेला, जूता चप्पल दुकान, पंखा कूलर बनइया मिस्त्री, स्टूडियो अउ फ़ोटो कॉपी, फल अउ जूस ठेला, हजामत दुकान,फोटू बंधइया, पिसई कुटई वाले हालर मिल, फूल माला वाले, गद्दा वाले, माटी के बरतन वाले, बाँस के समान वाले, लोहा के समान वाले,चाँट गुपचुप वाले, सरबत ठेला, चिकन मटन दुकान, हवा पंचर वाले, बरफ गोला,अंडा रोल,टोस बिस्कुट, आदि कतको धंधा पानी बंद हे, अउ अइसन काम करइया मनखे मनके हालत तंग हे।


*शादी बिहाव अउ कोनो उत्सव म काम करइया*--


कोरोना के सेती शादी बिहाव ह घलो बेंड बराती बिन दुच्छा बुलक जावत हे ,एखर कारण अइसन समय म काम करइया कतको मनखे मन संसो म हे, फूल, साज सज्जा, केटरिंग के नवकर चाकर, बाजा गाजा वाले,नाचे गाये वाले, घोड़ी वाले, गाड़ी वाले, नाचा गम्मत वाले, फोटू वीडियो वाले संग अइसन बेरा म काम करइया बनिहार, भूतिहार सबे बेबस हे।


*ऑटो, टाँगा, रिक्सा वाले*--


कोरोना काल म अवई जवई घूमई फिरई बन्द हे ते पाय के ऑटो, रिक्सा, टॉगा अउ छोटे मोटे सवारी गाड़ी अउ समान ढुलइया गाड़ी चलइया मन घलो शासन प्रशासन के मुँह ताके बर मजबूर होगे हे।


*टूरिज्म*--


 हमर देश के कतको हिस्सा के जीवका के साधन सिर्फ अउ सिर्फ टूरिज्म आय, फेर कोरोना के चलते कोनो घुमइया फिरइया नइ आवत हे, ते पाय के अइसन जघा के मनखे मन घलो आफत भरे समय ह कइसे कटही कहिके चिंतित हे।


*मजदूर अउ अन्य*--


                        येखर आलावा रोज जाँगर खपा के पइसा कमइया कमिया संगी मन घलो कोरोना काल म बेबस घर म पड़े हे, दिहाड़ी मजदूर,लेबर कूली, घरों घर काम करइया बाई अउ नवकर,माली, धोबी, नाई, लोहार, कुम्हार, पेंटर, ड्राइवर, कलाकार,सबके बारा हाल होगे हे। कोरोना के डर में कोनो इंखर ले काम नइ लेवत हे। अउ बिन काम के कोन पइसा दिही। ट्रेन अउ सड़क म घूम घूम ताली बजाके पइसा मंगइया अउ भीख  मंगइया मन घलो करे त का करे। सरकार के दू रुपिया किलो वाले चाँउर ल घलो बिसाये बर कतकोन गरीब तीर पइसा नइहे हे। कतको कमइया मन बड़े बड़े शहर म जाके काम करे, लाकडाउन लगे ले ओमन अपन गांव लहुट गेहे अब उंखर बर अइसन आफत भरे समय ल काटना दूभर होगे हे। कोरोना काल म सब राशन दुकान बंद पड़े हे , येखर कारण रोजमर्रा के समान मन घलो बड़ मंहगा होगे हे। तेल, नून के जुगाड़ कर पाना कतको बर बड़ मुश्किल होगे हे, अइसन म वोमन गरीबी ले लड़े की कोरोना ले। लाकडाउन म मनखे त मनखे पोंसवा जीव जानवर मन घलो दाना पानी बर तड़प जावत हे, मंडी, बाजार होटल ढाबा बंद होय ले कुकुर माकर अउ गाय गरुवा मन भूख मर जावत हे, जेन सज्जन मन दू रोटी गउ माता ल खवाय उहू मन अपन हाथ ल बाँध लेहे। कुछ मनखे मन खुदे दाना पानी बर तरसत हे त ओमन भला जीव जानवर के सेवा कइसे करे। बिना दाना-पानी,काँदी-पेरा के शहर नगर म पइधे गाय-गरुवा मन के मरना होगे हे, उही हाल कुकुर- माकर अउ चिरई- बिलई के घलो हे। उहू एक चिंतनीय पक्ष हे। कोरोना ले बचे बर यदि लाकडाउन कारगर उपाय हे त, लॉकडाउन के सेती प्रभावित जम्मो मनखे अउ जीव जानवर मन ऊपर घलो धियान दे बर पड़ही तभे तो सब मिल के कोरोना ले लड़ पाबों।


जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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