Monday 26 April 2021

विपदा मा धीर कइसे धरन-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

 विपदा मा धीर कइसे धरन-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


                   जिनगानी म सुख अउ दुख लगे रहिथे, मनखे सुख म मतंग हो जथे त दुख म मायूस, फेर असल मनखे उही आय जेन ये दूनो समय अपन धीर ल नइ खोवन दय। आज बेरा आफत हे, कोरोना बइरी के कारण के  चारो मुड़ा त्राहिमाम होवत हे। मनखे रक्तबीज कस बाढ़त कोरोना ल सोच के ही घबरा जावत हे। चारो कोती ले सिरिफ मायूसी के खबर ही आवत हे, चाहे टीवी होय, मोबाइल होय, या फेर कोनो पेपर। कतको आफत भरे बेरा आय, सब धीर लगाके छँट जथे। रात होथे, त दिन घलो होथे, सरलग बादल गरजे न बरसे। अइसने धूप छाँव कस जिनगी घलो आय। मनखे ल सुख म जादा न मटमटाना चाही ,न दुख म घबराना। आज समय सबके परछो लेवत हे, मनखे के धीर ल टटोलत हे।

                    "भय नाम भूत" ये वाक्य ह पहली घलो शास्वत रिहिस हे अउ आजो घलो शास्वत हे। डर भय जीव के काल आय,  जतके जादा डर ततके जादा जर, मनखे ल धरथे। मन के हारे हार अउ मनके जीते जीत, इही  गूढ़ मन्त्र ले मनखे ल जीना चाही। मन ले मनखे ल मजबूत होना चाही। तभे तो कथे मन चंगा त कठौती म गंगा। आज जब कोरोना कोरोना सरी जगत म सुनावत हे त सबले पहली, जइसे भी हो सके एखर ले बचना चाही। जउन दिशा निर्देश जारी होय हे ओखर पालन करत, ये रोग कइसे म हमर तन म नइ हमाही एखर उपाय करना चाही। 

                 कोरोना ह मनखे के सामाजिक प्राणी होय के सूक्त वाक्य ल घलो तोड़ दिस, आज मनखे अपने म या फेर अकेल्ला रहे बर मजबूर होगे हे। फेर एखर ले का घबराना अकेला आये हन अउ अकेल्ला जाना घलो हे। समय जउन कहत हे तेला मानना जरूरी हे, जादा अर्दली पन बने नोहे। कोन काय करत हे तेला लेके माथा पच्ची करे ले बढ़िया हे, अपन आप ल सबले पहली बचा के रखन। 

                   कथे न धीर न खीर हे, वइसने आज धीर धरे के जरूरत हे, संगे सँग अपन जरूरत ल घलो सिरिफ जरूरत के पूर्ती करे के जरूरत हे। आफत के बेरा जेखर ठिहा म पाँव जमाये हे, ओखर सबे चीज ल उजाड़ देहे, ये सब ल देखत साव चेत होवत आन ल घलो साव  चेत करना चाही। अइसन बेरा म कखरो मदद हो सके त जरूर करना चाही, काबर की सबे मनखे के आर्थिक स्थिति  एक जइसे नइ हो सके, कतको बपुरा मन ल दू टेम के रोटी घलो नसीब नइ होवत हे। ये दुख के बदरी ल काटना हे, त मन ल मजबूत करत बिना घबराये, सहज लड़ना पड़ही। मन म पहली ले डर होय ले, बने काम घलो बिगड़ जथे, येखर सेती  ये कोरोना के डर ल मन ले निकाले बर पड़ही। अउ सबले जरूरी बात जेन भी खबर मनखे मन म डर भय पैदा करे ओखर ले बचना पड़ही। जइसे संगत के असर होना स्वाभाविक हे वइसने नकारात्मक समाचार घलो मनखे ल हतास कर देथे। अभो घलो चारो मुड़ा अइसने नकारात्मक खबर चलत हे, वइसे सच ल तो नइ तोपे जा सके फेर, कोनो अनहोनी ल तो रोके जा सकथे। कतको बिन सिर पैर के खबर, सोसल मीडिया म छाये हे, जे सिर्फ अउ सिर्फ भ्रम फैलाये के काम करत हे, ये सब ले हमला सावधान होय बर पड़ही। 

                   कभू कभू जिनगी म अइसन कोनो घटना घटथे, जेखर ले निपटे बर आँखी कान ल बन्द करे बर पड़ जथे, यदि अभो घलो आँखी अउ कान अइसन भ्रामक अउ हतास भरे खबर ले बचे तभो चलही, बसरते मन के आँखी खुले रहय। आफत के बेर म चीज बस के आस नही दृढ़

विश्वास काम आथे, आज घलो अइसने विश्वास रखे के जरूरत हे। डर भय तजके मन म धीर धरके ये आफत के बेरा ल घलो काट  सकथन। त आवन ये प्रण करन की कोरोना के बचाव के जमे बात ल मानत, जेन येखर शिकार हे उनका दिलासना देवन, अउ मन ल विचलित कर देवय,

अइसन कोनो भी समाचार ले खुद बचन अउ आन ल घलो बचावन।                


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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