Friday 2 April 2021

छत्तीसगढ़ी भाषा म उपन्यास परम्परा



छत्तीसगढ़ी भाषा म उपन्यास-परंपरा - श्री रामनाथ साहू

 छत्तीसगढ़ राज्य के छवि बाहर म एकठन आदिवासी राज्य के रूप में बन गए हे । छत्तीसगढ़ के उत्तर और दक्षिणी भाग हर निश्चित रूप से नैसर्गिक वन संपदा मन ल भरे अउ आदिवासी संस्कृति ले ओतप्रोत हे, फिर  एकर छोड़ एकठन अउ आन मैदानी  छत्तीसगढ़ घलव हे जउन हर पूर्व में रायगढ़ ल  लेके पश्चिम में डोंगरगढ़ तक बगरे हे ।  ये छत्तीसगढ़ के रहन-सहन, रीति- रिवाज, परंपरा अउ संस्कृति हर समग्र  भारत के जउन प्राण तत्व हे ,वोकर ले ही सिरझें हें । ये संस्कृति, रीति- रिवाज, परंपरा मन एकदम अलग बिल्कुल भी नइये ,शेष भारत ले मिलत जुलत हे ।  हर जुग हर काल हर समय म  छत्तीसगढ़ हर राष्ट्रीय चेतना और राष्ट्र के मुख्यधारा ले बहुत गहराई ले जुड़े हावे । बहुत दूरिहा तक जाकर के इतिहास के  विवेचना करई हर अभी  हमर विषय नई होइस  , तभो ले भक्ति- कालीन रचनाधर्मिता हमन ल धनी धरमदास जइसन सन्त वाणी म मिल जाथे ।


        सन 1857 के हमर देश के पहिली स्वतंत्रता संग्राम के गूंज हर हमरो ए जगहा म गुंजत रहिस । 'सोनाखान के बघवा ' शहीद वीर नारायण सिंह और तत्कालीन संबलपुर स्टेट के राजा सुरेंद्र साय के अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह ,संघर्ष अउ शहादत हर काकरो से छिपे नई ये ।अईसन हमर सांस्कृतिक चेतना हर सन 1908  म माधवराव सप्रे जी के द्वारा  'केसरी ' के प्रकाशन , 1920 में जूझे कंडेल नहर सत्याग्रह, 1922 के मॉडम सिल्ली के जंगल सत्याग्रह ,1920 के राजनांदगांव कपड़ा मिल  मजदूर मन के  हड़ताल , पंडित सुंदरलाल शर्मा के  अछूतोद्धार , बस्तर के विद्रोह ये सब रूप म हमर आगु आथें । यह सब मन  उदाहरण आँय कि छत्तीसगढ़ हर  राष्ट्रीय मुख्यधारा ले कभु भी अलग नई रहे ये , साथ में रहे हे ।


           हिंदी साहित्य म 20 अउ 30 के दशक  हर बहुत महत्वपूर्ण रहीस । ये समय म हिंदी के संगे- संग अउ आन भारतीय भाषा में म रचे जात रचना  मन  म प्रेम, करुणा, वेदना, सामाजिक  रूढ़ि म के घोर विरोध, स्वतंत्रता  बर  म्नखे के तड़प,   मनखे के मनखे के रूप म  पहचान मन साहित्य के विषय बनिन ।  बापू देवकीनंदन खत्री के 'चंद्रकांता संतति' जइसन अय्यारी - तिलस्मी उपन्यास के जगह म भारतीय परिदृश्य के यथार्थ गाथा के उद्गाता के रूप म  1918 के आसपास मुंशी प्रेमचंद जी के अवतरण होइस । अउ  उपन्यास हर साहित्य के जम्मो विधा मन ले सबसे ज्यादा विश्वसनीय और महत्वपूर्ण दस्तावेज बन गय ।  स्वतंत्रता के कामना, मनखे के इच्छा के अभिव्यक्ति , जमीदारी -सामंती प्रवृत्ति के विरोध, सरकारी कर्मचारी मन द्वारा   जनता के शोषण,  छुआछूत ये सब मन के ऊपर म मनखे के गरिमा जईसन विषय मन ल लेके यथार्थवादी अउ प्रामाणिक साहित्य रचे जाय लगिस । 


              फेर जब हम अपन छत्तीसगढ़ी -परिदृश्य में देखथन तब हमन ल  कतेक न कतेक सुखद आश्चर्य  होथे,  जब हमन अपन छत्तीसगढ़ी के  पहिली उपन्यास 'हीरू के कहिनी ' ल पाथन । पांडे बंशीधर शर्मा जी हर सन 1926 में छत्तीसगढ़ी के  ये पहिली उपन्यास' हीरू की कहिनी'  दिन । नाम भले ही  'हीरू के कहिनी ' ये  फेर बिना किसी विवाद के एहर छत्तीसगढ़ी के पहली उपन्यास  होइस । राजा के ये कथन   कि एक वर्ष के भीतर म मंय 'पूर्ण स्वराज्य प्रदान करके हर्षित होहुँ ' ,  येहर राष्ट्रीय जागरण के शंखनाद आय । शिक्षा  के जरूरत, मनखे के स्वाधीनता,  समाज के पुनर्निर्माण के संकल्प , ये सब मन छोटे कलेवर वाले  ये महान उपन्यास म गुंथाय हें ।  एक अउ बात हे , छत्तीसगढ़ी के उपन्यास यात्रा हर भले ही रुक- रुक के चले  हे पर सदानीरा महानदी असन अबाध- गति ले आज तक बहत हे । अभी तक प्रकाशित कुछ उपन्यास मन के संक्षिप्त परिचय  प्रस्तुत हे :



1. हीरू के कहिनी (1926 ):पाण्डेय बंशीधर शर्मा -

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छत्तीसगढ़ के पहिली उपन्यास  जउन म राष्ट्रीय भावना  अउ तत्कालीन परिस्थिति मन के सशक्त अभिव्यक्ति  होय हावे ।


2. दियना के अंजोर( 1964): शिवशंकर शुक्ल- 

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लेखक के 'भाभी का मंदिर (हिंदी ) के छत्तीसगढ़ी रूपांतरण आय । देवर -भौजाई के पवित्र प्रेम के सामाजिक कथा हर ये उपन्यास के  कथावस्तु  ये । 


3. मोंगरा( 1964 ): शिवशंकर शुक्ल -

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'मोंगरा' नामक नायिका के चारों कोती बगरे सामाजिक उपन्यास म नारी के स्वच्छन्दतावाद अउ आजादी के गाथा हे । मदिरापान जइसन खराब आदत के दुष्परिणाम ल बताय गय हे ।


4. चंदा अमरित बरसाइस ( 1965 ): लखन लाल गुप्त

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छत्तीसगढ़ के रीति -रिवाज परंपरा मन के बहुतेच सुघर मनोहारी वर्णन करईया

 दु भई मन के सामाजिक उपन्यास ये ।


5. फुटहा करम( 1971 ): ठाकुर हृदय सिंह चौहान

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विधवा राधा के करुण -कथा हे । विधवा विवाह के वकालत हे, फेर वोहर घटित नई ये ।


6. कुल के मरजाद( 1980 ): केयूर भूषण

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राजघराना मन के जीवन शैली ,वोमन के खोखलापन , नैतिक अवमूल्यन बहुत खुलेपन के साथ प्रस्तुत करे गय

 हे ।


7. छेरछेरा (1983 ): पं. कृष्ण कुमार शर्मा

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 सन्त विनोबा दर्शन ले अनुप्राणित उपन्यास ये , जउन म महिला मन ऊपर होवइया बड़खा अत्याचार 'टोनही कहे के प्रथा ' के खोझ -खभर हे ।


8. उढरिया ( 1999 ): डॉ. जे.आर. सोनी

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सनातन ब्राह्मण परिवार के गरीबी अउ वोकर ले उपजे अंतर्द्वंद हर कहानी के विषयवस्तु ये ।अंतरजातीय विवाह के सुगबुगाहट मौजूद हे ।


9. कहाँ बिलागे मोर धान के कटोरा  ( 2000 ) : केयूर भूषण

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शीर्षक असन छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी अस्मिता बर चिंता अउ चिंतन दुनों हे ये उपन्यास म ।


10. दिन बहुरिस  (2001): अशोक सिंह ठाकुर-

सामाजिक विषय वस्तु समेटे कथानक अउ उम्मीद के किरण तलाशत उपन्यास ये ।


11. आवा( 2002 ): डॉ. परदेशी राम वर्मा

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छत्तीसगढ़ म घलव स्वतंत्रता आंदोलन अउ गांधी जी के प्रभाव के चर्चा करथे ये उपन्यास हर अउ छुआछूत , हिन्दू मुस्लिम ऐक्य ल बतावत आगु बढ़े हे ।


12. लोक लाज( 2002 ) : केयूर भूषण

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धर्म अउ नैतिकता ले भटके मनखे के गाथा ये । जैन धर्म अउ सनातन धर्म के तंतु मन ले कथानक हर बुनाय हे । चंद्रपुर के पशुबलि प्रथा के भी अनुगूंज हे ये उपन्यास म ।


13. कका के घर( 2003  ) :रामनाथ साहू

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खाप पंचायत अउ जाति सरदार मन के अलोकतांत्रिक अउ तानाशाही फैसला मन के मुखाफलत करत ये उपन्यास हर    अपन नावा शैली अउ  शिल्प के लिए जाने जाथे ।


14. चन्द्रकला ( 2005 ) :डॉ. जे.आर.सोनी

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 येहर दलित विमर्श  के उपन्यास आय ।  तथाकथित बड़े मनखे के 'बड़प्पन(?)' के मीमांसा करथे ये उपन्यास हर ।


15. भाग जबर करनी मा दिखाये  (2005  ) : संतोष कुमार चौबे

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कर्म के भाग्य ऊपर विजय दर्शावत अपन ललित वर्णन के जाने जाथे ।येकर कथानक के बुनावट सघन हे ।


16. माटी के मितान ( 2006 ): सरला शर्मा

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बड़े महराज के निस्वार्थ निष्कलुष के आड़ म उपन्यासकार गांव -गंवई के गोठ बगरावत कर्मयोग के ही उपदेश देय हावे । नारी अस्मिता के बात करत अउ नव छत्तीसगढ़ के मॉडल असन कथानक ले येहर सिरझे हे । 


17. बनके चंदैनी( 2007): सुधा वर्मा

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येहर सामाजिक पारिवारिक पृष्ठभूमि म  सुधा वर्मा के सुघर लघु -उपन्यास  ये ।


18.  भुइयाँ ( 2009 ):रामनाथ साहू

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ये उपन्यास हर येकम होवत  कृषि -भूमि के समस्या, अनियंत्रित अउ अनियोजित उद्योग मन के स्थापना अउ जबरिया भूमि अधिग्रहण मन के पड़ताल करत हे ।  लेखक हर ये उपन्यास के हिंदी अनुवाद 'भूमि ' अउ अंग्रेजी अनुवाद ' दी कूल लैंड ' नाम ले करे हे । येहर पहिली हिंदी अउ अंग्रेजी अनुदित छत्तीसगढ़ी उपन्यास ये । 


19. समे के बलिहारी ( 2012 ):  केयूर भूषण


20. मोर गाँव (2010 ): जनार्दन पाण्डेय


 21. रजनीगंधा (2010 ): डॉ. बलदाऊ प्रसाद पाण्डेय पावन


22. विक्रम कोट के तिलिस्म( 2010 ): डॉ. बलदाऊ प्रसाद पाण्डेय पावन


23. तुंहर जाए ले गियाँ  ( 2012 ): कामेश्वर पाण्डेय 

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अनियोजित उद्योग धंधा मन के स्थापना अउ भूमि समस्या ल ये उपन्यास हर घलव बहुत सशक्त ढंग ले उठात हे ।


24. जुराव (2014 ): कामेश्वर पाण्डेय


25. करौंदा ( 2015  ) :परमानंद वर्मा राम


26. पुरखा के भुइयॉं ( 2014  ): डॉ.मणी महेश्‍वर 'ध्‍येय'


27. डिंगई( 2015 ): लोक बाबू


28. केरवंछ (2013 ): मुकुन्द कौशल

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अंधियार पुर के कथा के आड़ म कतेक न कतेक  विमर्श मन एमे भरे गय हें ।


29.माटी के बरतन ( 2017 ): रामनाथ साहू

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बेहतर जिंदगी के तलाश म अपन पारम्परिक धंधा ल छोड़ के शहर जाय के बाद खोय -पाय के लेखा- जोखा हे । 

धर्मांतरण के बाद फेर' घर वापसी (मूल धर्म ) म आय के उपक्रम हे ।


30.जानकी ( 2019 ) :रामनाथ साहू

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मंद- मतवारी म पीढ़ी दर पीढ़ी ऊभ -चुभ होवत परिवार अउ मतवार पुरूष के अत्याचार  सहत घरों- घर बगरे 'जानकी' के  करुण गाथा ये । दारू ले लड़े बर जानकी हर एकल सेनानी ये ।


31.बहु हाथ के पानी( 2020  ) :दुर्गा प्रसाद पारकर

अतका  मन के छोड़ ये तरी लिखाय उपन्यास मन के भी नाम आथे -

केंवट कुंदरा (दुर्गा प्रसाद पार्कर ), पठौनी  (ठाकुर बलदेव सिंह चौहान ),

 हाथ भर चूरी ( ठाकुर बलदेव सिंह चौहान , बीता भर पेट( ठाकुर बलदेव सिंह चौहान ), सुहागी  (शिव शंकर शुक्ल ), परबतिया( हेमनाथ यदु )

चंदा चंदैनी ( हेमनाथ यदु )

मानवता के कछेरी मा ( ठाकुर बलदेव सिंह चौहान ), कुल के अंजोर ( अशोक सेमसन ), इन्दरावती के बेटी ( सुधा वर्मा ), बनपांखी ( शकुन्तला तरार ),बड़का दाई (डॉ. रामनिवास साहू ),मोर दुलरुवा(डॉ. रामनिवास साहू ) आदि ।


          छत्तीसगढ़ी उपन्यास के यात्रा हर अनवरत जारी हे । येहर मनखे के सुख- दुख, हर्ष -विषाद अउ जीवन दर्शन के सबले सुंदर साहित्यिक अवतार आय ।


*रामनाथ साहू*

*देवरघटा (डभरा )*

*जिला- जांजगीर चाम्पा* 

*( छ. ग. ) -495688*

मो-09977362668

email -rnsahu2005@gmail.com


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7 comments:

  1. छत्तीसगढ़ी उपन्यासों की बेहतर जानकारी उपलब्ध है उनकी संक्षिप्त कथावस्तु के साथ । यह जानकर खुशी हो रही है कि छत्तीसगढ़ी उपन्यास के हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद भी हो रहे हैं। लेखक रामनाथ साहू के 'भुइँया 'का हिंदी अनुवाद 'भूमि' और अंग्रेजी अनुवाद 'दी कूल लैंड' के टाइटल से उपलब्ध है।

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  2. छत्तीसगढ़ी उपन्यासों की संपूर्ण जानकारी ।

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  3. चदा अमरित बरसाइस म मुरारी के चरित्र चित्रण

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  5. छत्तीसगढ़ी उपन्यास 'जानकी ' का हिंदी अनुवाद -'मनोकामना' व अंग्रेजी अनुवाद - The Clay Doll के नाम से प्रकाशित हो चुकी है।

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  6. अब्बड़ सुघ्घर जानकारी सर जी

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