Monday 26 April 2021

विपदा म धीर कइसे धरन- श्री सुखदेव सिंह"अहिलेश्वर"

 विपदा म धीर कइसे धरन- श्री सुखदेव सिंह"अहिलेश्वर"



विपदा जब जब आय हे ओहा जिनगी ल सताय हे अउ सताना ओखर कामेच ए। हॉंसत खेलत आघू बाढ़त रेंगत धॉंवत जिनगी ल भरऑंखी न देखे ए न देखे सकय ए विपदा ह, अब ल देख के तब ल पॉंव ल पीछु खींचेच के काम करे हे आज तक..रेंगत पॉंव के विरोध करे के कारण लगथे एहर विपदा नॉंव ल कमाय हे। 

बेरा के का हे? ओला तो सुट ले बुलकनेच हे, दिन अउ रात ओसरी पारी होनेच हे,फेर हॉं इही दिन अउ रात के बीच म रोवत हॉंसत धन दोगानी के चिंता अउ चिंतन करत खटत रहिथे मनखे के जीवट जिनगानी धरे ऑंखी अउ अंतस म पानी। 

                     सुख के बेरा ह कउखन सुट ले नाहक जथे पते नइ चलय फेर दुख अउ विपदा के बेरा ह मानो मंझोत म खड़े खड़े पाहरा देवत रहिथे, परछो तो लेबे करथे परीक्षा घलो लेवत रहिथे, पल पल परसानी आनी बानी कई परोसा, जोमिया के बइठ जथे टरबे नइ करय.. अजीरन हो जथे पहार हो जथे पहाबे नइ करय। अउ तब मनखे के चतुर्री चक्कर खा जथे जॉंगर थके ल धर लेथे, बुद्धि के शुद्धि होय ल धर लेथे बुद्धि बड़बड़ाय लगथे, बिश्वास डगमग डगमग डोले लगथे मनखे थथमथा जथे, चेत कउवाय अउ मति भकुवाय ल धर लेथे धड़कन के धकधकी घलो बाढ़ जथे।  इही ओ खास समे होथे जे समय म हमला सुरता करना चाही अपन पुरखा मनके अपन महापुरुष मनके अउ उॅंखर जिनगी के अनुभव के जे हमर बीच मुहावरा हाना लोकोक्ति कहावत कथा कहानी कविता सिखौनी आदि के रूप म हमर बीच उपस्थित हे। सैंकड़ों विपदा ले लड़त भिड़त जीतत वर्तमान के दुवारी म उन हमला ला के छोड़े हें, अब पारी हमार हे मुड़ी म घर परिवार के भार हे संकट अपार हे कमी कमजोरी भले हजार हे पर घबराय के काम नइहे हमरो मेर उही संस्कार हे, उत्तम व्यवहार हे अउ सबले बड़े हमर साथ हमर सरकार हे।

              विपदा ले का डर्राना अउ का थर्राना, ओखर ले जुझना तो हेच अउ जीतना घलो हे, अपन पुरखा मनले प्रेरणा लेवन अपन बुद्धि विवेक ज्ञान ध्यान विज्ञान के प्रयोग करन, गुणी ज्ञानी जानकार मनके सलाह सुझाव सावधानी ल मानन धरन अउ धीरज से काम लेवन, विपदा आय हे त विपदा जाही घलो। सियान मन कहे हें.. जिनगी म सुख होवय के दुख जीत होवय के हार दुलार होवय के दुत्कार संबंध होवय के तकरार पहुनाई होवय के लड़ाई, बेरा चाहे अनुकूल होय चाहे प्रतिकूल कुछू होय मनखे ल अपन धीरज ल बना के रखना चाही। सियान मनके अनमोल उपयोगी सियानी सीख जिनगी के करू मीठ अनुभव के ऑंच म तपे तरासे जॉंचे परखे खरा खरा नवा पीढ़ी ल मिले हे, जेहा हरहाल म जीत देवाके रइही। विपदा आजे आय हे अइसे बात नइहे विपदा पहिली घलो कइठन आय हे अउ ओ विपदा के आघू हमर पुरखा मन के धीरज हिम्मत साहस सूझ-बूझ अनुशासन बोली बानी दवई-पानी मन बड़ सरतियन काम करिन। ओखरे परिणाम आय आज हम वर्तमान समय के संग खॉंध जोरे खड़े हन...। का होगे? आज सामने विपदा खड़े हे, लागत घलो हे कि बहुत बड़े हे फेर तनिक सोचन तनिक ध्यान देवन.. आज हम अपन पुरखा मनले जादा सशक्त हन जादा समृद्ध हन जादा सुविधा-संपन्न हन आज हमर पास पैसा के आघू कइठन पराभिट अउ सरकारी अस्पताल हे पहिली ले ठीक-ठाक हमर मनके हाल हे, जघा जघा मेडिकल हे दवाई हे अलग अलग कमरा अलग चारपाई हे, नून हे तेल हे चाउर हे दार हे गोहार सुने बर मीडिया अउ सरकार हे..अतकेच नहीं बल्कि अउ कइठन आधार हे, बस हमला धीरज राखना हे। 

              कोरोना रूपी विपदा ले दुरिहा रहे के जम्मो बताय गे जरूरी निर्देश के कटाकट पालन करना हे, खासकर मास्क हर मुंह बर हे जरूरी अउ मनखे ले मनखे के बीच दो गज के दूरी बना के रखना हे, हाथ ला साबुन अउ साफ पानी ले खेवन खेवन धोना हे, ये नइ कहना हे के अभी तो जेवन नइ करत हॅंव राहन दे बाद म धो लेहूं। बाहिर ले आय के बाद हाथ गोड़ धो के ही घर भीतर जाना हे चप्पल जूता ल बाहिरे उतारना वइसे भी ए जम्मो आदत हमर संस्कारे म हे।अपन पढ़ाई लिखाई शिक्षा दीक्षा के सदुपयोग करना हे कोरोना ले जुड़े अनगिनत भ्रामक अफवाह मनके मुरुवा ल पकड़ के रोकना हे। जागरुकता के जड़ी जनता ल स्वादानुसार पियाना हे। हिम्मत साहस विश्वास अउ सॉंस बढ़ाय वाले गोठ बात ल बउरना हे अउ सुख के दिन ल सॅंउरना हे, तहां फेर का...उही सुख के दिन बादर होही उही बुता-काम अउ उही जॉंगर होही। 



-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''

गोरखपुर कबीरधाम(छ.ग.)

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