Friday 9 April 2021

चुनावी घोसना पत्र -हरिशंकर गजानंद देवांगन ,

 चुनावी घोसना पत्र -हरिशंकर गजानंद देवांगन , 

                    हमर देश म जतेक खबसूरत चीज हे तेमा , चुनावी घोसना पत्र के नाव पहिली नम्बर म गिने जाथे । एकर खबसूरती अतेक के , येमा कोन नी मोहाये । सुन्दर ले सुन्दर अऊ जवान ले जवान हीरोइन ला , येकर आगू म खड़ा करा दव । हीरोइन ले जादा ले जादा मोहाइच जही त .... जवान मन ..... या पइसा वाला सियान मन ...... या नाव वाला अधेड़ मन । फेर भगवान घला , का गड़हन के बनइस होही , बइरी चुनावी घोसना पत्र के थोथना ला , का लइका का सियान , का मजदूर का किसान , का अमीर का गरीब , का कर्मचारी का अधिकारी , का दानी का भिखारी , का चोट्टा का डाकू , का लबरा का कबरा , का अंधरा का कनवा .............. जम्मो मोहा के झपा जथे । 

                    घोसना पत्र के अतेक बखान सुनके , मोला घोसना पत्र सकेले के सऊंक उमिहागे । जतका अकन सकलइस तेला , कन्हो अऊ झिन नंगाले सोंचके , संदूक म भर के , थाथी राख देंव । तीजा पोरा म मइके जाये बर , हमर बई हा उही संदूक के सरी समान ला उलदके , अपन लुगरा पाटा जोरत रहय , तिही समे घर म , मोर खुसरती होगे । धकर लकर ओकर तिर पहुंचके , घोसना पत्र ला धरे बर हाथ लमायेंव तइसने म , मोर बई हा ओला जुन्ना काकरो प्रेम पत्र होही कहिके , न धरन दिस न देखन दिस । भलुक एको अक्षर नी पढ़हे रिहीस फेर , मोर आंखी के चमक म , ओला घोसना पत्र म कुछ अऊ दिखगे । अपन दई ददा के कसम खाके बतायेंव के , तोर हाथ के कागज हा , बीते चुनाव के , चुनावी घोसना पत्र आये कहिके , तब , ले दे के बिसवास करिस अऊ पूछे लगिस – बीते चुनाव के घोसना पत्र ला काये करहू तेमा .? मे मजाक करत बतायेंव – येला देखथंव त येकर सुंदरता म मोर छाती जुड़ाथे या । अपन बई के आगू म काकरो बड़ई करके देख , पता चलिच जही । कागज ला चिरे बर धरिस अऊ केहे लगिस – अई , येहा कागज के फकत लोंदा आय अऊ येला सुन्दर किथव तूमन । इही घोसना पत्र ला देख देख के , ओकरे कस मोटागे हव तहूं मन । में खी खी खी खी , हाँसे लगेंव । ओहा फेर किथे – येकर काये काम हे तेमा , का जारी करइया ले हिसाब लेहूं कहिथव ? कती मनखे अभू तक , सही सही हिसाब दिस तेमा । अतेक पइसा तुंहर खाता म जमा होही केहे रिहीस , चरन्नी नी अइस । पइसा आही तहन , नौ लखा हार के लालच दे रेहेव , का होइस ओकर ? फेंकव येला , निही ते , आगी बारत हंव येला । ये कती तिर सुंदर हे तेमा , छाती म लगाये बर मरत हव । इही बैरी हा , लबरा मनला जिता दिस अऊ तूमन येकरे गुन गाथव । में मजाके मजाक म कहि पारेंव – तहूं तो बिहाव के पहिली , अइसनेच सुंदर रेहे या , जइसे चुनाव के पहिली , ये घोसना पत्र ... । ओहा तुनकगे , अऊ तुरते बाहिर म किंजरत , रद्दी बेंचइया ला बला डरिस अऊ जुन्ना अखबार म मिलाके , बेंचे बर निकाल दिस । 

                    रद्दी बिसइया हा , घोसना पत्र ला अलग कर के , अखबार ला तउल दिस । घोसना पत्र ला , अलग बाजू म मढ़हावत देखिस त , मोर बई किथे – अई यहू ला तउलना गा । वो किथे – येला काये करबो भऊजी , येकर कोई किमत निये , येला कंन्हो नी राखय । ये उही मनला फबथे अऊ किमत देथे भऊजी , जेमन येला जारी करथे । तोर हमर बर , येकर का किमत अऊ का मतलब ? में अपन बई कोती निहार नी सकेंव । मोर बई किथे – फोकट म लेग जा बाबू , झिन देबे कुछू । रद्दी वाला किथे – येहा फोकट म , तभो महंगा रिहीस , जब चुनाव नी होय रिहीस । अभू तो चुनाव निपट चुके हे अब तो येला कुकुर तक नी सूंघय । रद्दी वाला पूछथे - कोन तूमन ला , अइसन चीज ला सकेल के , राखे बर किहीस होही या भऊजी ? मोर कोती , मोर बई एकदमेच , हिकारत ले देखिस । गड़ियाये गड़ियाये मोर घेंच पिरागे । गारी बखाना करे बर , में मने मन तलासे लगेंव , अइसन लिखइया पेन अऊ अइसन बोलइया मुहुं ल , जे मन , घोसना पत्र के सुन्दरता के , बखान करे रिहीस हे । मोर सोंचत ले , घोसना पत्र ला चुलहा म फूंक , बई मइके चल दिस । चुनाव फेर आगे । रंग बिरंग के घोसना पत्र , येती वोती , फर फर फेर उड़ियाये लगिस । झिन मोहावंव सोंचथंव , फेर को जनी , येकर सुन्दरता के मोहो ले , चुनाव तक बांच पाहूं के निही । 

 हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

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