Thursday 1 April 2021

संस्मरण एसो के होरी.......

 संस्मरण 


एसो के होरी.......

 

    हमर भारतीय संस्कृति मा होरी तिहार के गजब महत्व हे. ये तिहार हा फागुन के मद मस्त महिना मा मनाय जाथे.फागुन मा प्रकृति के श्रृंगार हा देखथे बनथे. आमा के मउरना, परसा फूल, सरसो फूल, सूरजमुखी के सुघरई, महुवा फूल के महक, कोयलिया के गुरतुर बोली ले मन हा मयूर बन के नाचे ला लगथे. अउ ढोल नँगारा के संग फाग गीत के धुन सुन के खुशी अउ बढ़ जाथे. 

  पर एसो के तिहार मा कोरोना महामारी के असर देखे ला मिलीस. प्रशासन के नियम के सेति गाँव डहर जउन ढोल नँगारा जगह जगह बाजय वोमा छेंका बांधा होगे. एक्का दूक्का जगह उत्साही टोली मन हा फाग गीत गावत रिहिस. 

   होरी तिहार के दिन मोर दिन के शुरुआत नंहवई खोरई से होइस.पूजा पाठ अउ देवी देवता के मूर्ति मन मा रंग लगाय के बाद तुलसी चौरा कर हूम धूप कर,रोटी पीठा चढ़ाके नरियर फोड़ेव. मोर बाई अउ लइका मन मिल जुर के सोंहरी, बरा, भजिया, ठेठरी, खुरमी रांधत रिहिस. इही बीच मा बाई ला रंग लगा के होरी के बधाई देंव. मोरा बेटा अउ बेटी हा मोर अउ अउ अपन माँ ला रंग लगा के 

आशीर्वाद प्राप्त करिस. ये बीच मा हमर पारा डहर लइका मन के टोली हा बिधुन होके रंग खेलत रिहिस. एक दूसरा ला कूदा कूदा के रंग लगाया, पिचकारी मारय अउ बाल्टी मा पानी भर के भिगोय. लइका मन ला घलो होरी के बधाई केहेंव. फेर मेहा दाई, बड़े भइया, भौजी, भतीजा, छोटे भाई मन ला रंग लगाया बर गेंव. एक दूसर के घर आ जाके खाना खायेन. सुग्घर ढंग ले ठेठरी, खुरमी, बरा, सोंहारी, गुलगुल भजिया खायेन. सब्जी मा आलू

चना, रमकलिया, केरा अउ कड़ही खाय ला मिलीस. ये बीच मा सगा संगवारी मन ला होरी तिहार के बधाई संदेश व्हाट्सएप ग्रुप के संगे संग पर्सनल नंबर मा भेजेंव. फेस बुक मा घलो बधाई संदेश पोस्ट करेंव. स्टटस मा जउन फोटो खिंचवाय रेहेन वोला डारेन. गजब अकन संगवारी मन के बधाई संदेश फोन अउ फेस बुक के माध्यम ले मिलिस. कुछेक संगवारी मन ला फोन करके बधाई देंव. बीच बीच मा यू ट्यूब के माध्यम ले फाग गीत अउ एक दू ठक फिल्मी होली गीत सुनेंव. 

   आदरणीय गुरुदेव अरुण कुमार निगम जी द्वारा संचालित व्हाट्सएप ग्रुप छंद के छ कवि गोष्ठी ग्रुप मा रंगझाझर होरी कवि सम्मेलन शुरु हो गे रिहिस. वहू ला 

सुनत रेहेंव. किसम किसम के छंद 

बद्ध गीत कविता के संगे संग मुक्त छंद मा घलो गीत कविता सुन के हिरदे हा सतरंगी बनगे. महू हा छन्न पकैया छंद प्रस्तुत करके अपन भागीदारी निभायेंव. छंद के छ खुला मंच मा घलो कविता ला सेन्ड करेंव.

   तीन बजे के करीब पत्रकार चाचा जी समारु राम दीपक ले फोन ले बात करेंव. खाना खाय बर नेवता देंव. फेर चाचा जी हा हमर घर आके भोजन प्राप्त करिस. फेर महू हा बड़का भइया जी के संग चाचा घर खाना खाय बर गेन. खाना खाय के बाद आधा घंटा ले जादा समय तक सुख दुख के बात गोठियाय के साथ परिवार मन के सोर खबर लेवई चलिस. 

  संझा पांच बजे हमर घर के तीर कर्मा भवन मा लोक कलाकार मन ला फाग गीत गावत सुनेंव. ढोल ,नँगारा ,हारमोनियम, अार्गन, बेंजो ,बांसुरी के धुन मा रंग रंग के फाग गीत झोरत रिहिस. मोरो मन हा खिंचागे अउ जाके पांच -छे ठक फाग गीत सुनेंव. महू हा कोरस मा सहभाही बनेंव .

  इही बीच मा मोर गाँव के संगवारी जशवन्त साहू के आना होइस. फेर घर आके दूनों संगवारी बइठ के रात 7.30 बजे रोटी पीठा अउ खाना खायेन .फेर छंद के छ कवि गोष्ठी ग्रुप मा सेन्ड होय गीत कविता ला सुनेव. यू ट्यूब मा फेर फाग गीत चलायेंव. फेस बुक मा दूसर संगवारी मन के पोस्ट ला देख के लाईक अउ कमेंट्स करेंव . ऊंकर मन के स्टटस ला घलो निहारेंव.ता अइसन ढंग ले मोर एसो के होरी हा बितिस. 


            ओमप्रकाश साहू "अँकुर "

      सुरगी, राजनांदगॉव

1 comment:

  1. बहुत सुग्घर गुरुदेव जी । लिखइया ओमप्रकाश साहू जी बधाई हो

    ReplyDelete