Friday 31 March 2023

1 अप्रैल - दाऊ मंदराजी के 112 वीं जयंती मा विशेष

 


हमर पुरखा 


1 अप्रैल - दाऊ मंदराजी  के 112 वीं जयंती मा विशेष 




नाचा के  पुरोधा – मंदराजी दाऊ 




धान के कटोरा छत्तीसगढ़ के लोक कला अउ संस्कृति के अलग पहचान हवय । हमर प्रदेश के लोकनाट्य नाचा, पंथी नृत्य, पण्डवानी, भरथरी, चन्देनी के संगे संग आदिवासी नृत्य के सोर हमर देश के साथ विश्व मा घलो अलगे छाप छोड़िस हे। पंथी नर्तक स्व. देवदास बंजारे ,पण्डवानी गायक झाड़ू राम देवांगन, तीजन बाई, ऋतु वर्मा, भरथरी गायिका सुरुज बाई खांडे जइसन कला साधक मन हा छत्तीसगढ़ अउ भारत के नाम ला दुनिया भर मा बगराइस हवय. रंगकर्मी हबीब तनवीर के माध्यम ले जिहां छत्तीसगढ़ के नाचा कलाकार लालू राम (बिसाहू साहू),भुलवा राम, मदन निषाद, गोविन्द राम निर्मलकर, फिदा बाई  मरकाम, माला बाई मरकाम हा अपन अभिनय क्षमता के लोहा मनवाइस. ये नाचा के नामी कलाकार मन हा एक समय नाचा के सियान मंदराजी दाऊ के अगुवाई मा काम करे रिहिन ।मंदराजी दाऊ हा नाचा के पितृ पुरुष हरय. वो हा एक अइसन तपस्वी कलाकार रिहिस जउन हा नाचा के खातिर अपन संपत्ति ला सरबस दांव मा लगा दिस ।


   जीवन परिचय 


    नाचा के पुरोधा  दाऊ मंदराजी के जन्म संस्कारधानी शहर राजनांदगांव ले 5  किलोमीटर दूरिहा रवेली गांव मा एक माल गुजार परिवार मा  1 अप्रैल 1911 मा होय रिहिन. उंकर ददा के नांव दाऊ रामाधीन साव रिहिन.  मंदरा जी के सही नांव दुलार सिंह साव रिहिन । वोकर नाना जी हा वोला मंदराजी कहिके बुलाय तब ले वोकर इही नांव के सोर बगरगे.


1922 मा ओकर प्राथमिक शिक्षा हा पूरा होइस।दुलार सिंह के मन पढ़ई लिखई मा नई लगत रिहिन । ओकर धियान नाचा - पेखा डहर जादा राहय । रवेली अउ आस पास गांव मा जब नाचा होवय तब बालक दुलार सिंह हा रात रात भर जाग के नाचा देखय ।एकर ले 

ओकर मन मा घलो चिकारा, तबला बजाय के धुन सवार होगे. वो समय रवेली गांव मा थोरकिन लोक कला के जानकार कलाकार रिहिस । ऊंकर मन ले मंदराजी हा 

चिकारा, तबला बजाय के संग गाना गाये  ला घलो सीख गे ।


    नाचा दल के गठन करिन 


 अब मंदरा जी हा ये काम मा पूरा रमगे ।वो समय नाचा के कोई बढ़िया से संगठित पार्टी नइ रिहिस । नाचा के प्रस्तुति मा घलो मनोरंजन के नाम मा द्विअर्थी संवाद बोले जाय ।येकर ले बालक दुलार के मन ला गजब ठेस पहुंचे ।वोहा अपन गांव के लोक कलाकार मन ला लेके 1928-29 मा रवेली नाचा पार्टी के गठन करिन ।ये दल हा छत्तीसगढ़ मा नाचा के पहिली संगठित दल बनगे ।वो समय खड़े साज चलय । कलाकार मन अपन साज बाज ला कनिहा मा बांधके अउ नरी मा लटका के नाचा ला प्रस्तुत करय ।

 मंदराजी के नाचा डहर नशा अब्बड़ लगाव ला देखके वोकर पिता जी हा अब्बड़ डांट फटकार करय ।अउ चिन्ता करे लगगे कि दुलार हा अइसने करत रहि ता ओकर जिनगी के गाड़ी कइसे चल पाही । अउ एकर सेती ओकर बिहाव 14 बरस के उमर मा दुर्ग जिले के भोथली गांव (तिरगा) के राम्हिन बाई के साथ कर दिस ।बिहाव होय के बाद घलो नाचा के प्रति ओकर रुचि मा कोनो कमी नइ आइस ।शुरु मा ओकर गोसइन हा घलो एकर विरोध करिन कि सिरिफ नाचा ले जिनगी कइसे चलही पर बाद मा 

वोकर साधना मा बाधा पड़ना ठीक नइ समझिस ।अब वोकर गोसइन हा घलो वोकर काम मा सहयोग करे लगिन अउ उंकर घर अवइया कलाकार मन के खाना बेवस्था मा सहयोग करे लगिन ।


खड़े साज के जगह बैठक साज 


 सन् 1932 के बात हरय ।वो समय नाचा के गम्मत कलाकार 

सुकलू ठाकुर (लोहारा -भर्रीटोला) अउ नोहर दास मानिकपुरी (अछोली, खेरथा) रिहिस ।कन्हारपुरी के माल गुजार हा सुकलू ठाकुर अउ नोहर मानिकपुरी के कार्यक्रम अपन गांव मा रखिस ।ये कार्यक्रम मा मंदरा जी दाऊ जी हा चिकारा बजाइन ।ये कार्यक्रम ले खुश होके दाऊ जी हा सुकलू

अउ नोहर मानिकपुरी ला शामिल करके रवेली नाचा पार्टी के ऐतिहासिक गठन करिस ।अब खड़े साज के जगह सबो वादक कलाकार बइठ के बाजा बजाय लागिस ।


कलकत्ता ले हारमोनियम खरीदिस अउ टाटानगर मा सीखिस 


सन् 1933-34 मा मंदराजी दाऊ अपन मौसा टीकमनाथ साव ( लोक संगीतकार स्व. खुमाम साव के पिताजी )अउ अपन मामा नीलकंठ साहू के संग हारमोनियम खरीदे बर कलकत्ता गिस ।ये समय वोमन 8 दिन टाटानगर मा  घलो रुके रिहिस ।इही 8 दिन मा ये तीनों टाटानगर के एक हारमोनियम वादक ले हारमोनियम बजाय ला सीखिस ।बाद मा अपन मिहनत ले दाऊजी हा हारमोनियम बजाय मा बने पारंगत होगे । अब नाचा मा चिकारा के जगह हारमोनियम बजे ला लगिस ।सन् 1939-40 तक रवेली नाचा दल हमर छत्तीसगढ़ के सबले प्रसिद्ध दल बन गे रिहिस ।


नामी कलाकार मन ले सजगे रवेली नाचा पार्टी


   सन् 1941-42 तक कुरुद (राजिम) मा एक बढ़िया नाचा दल गठित होगे रिहिस ।ये मंडली मा बिसाहू राम (लालू राम) साहू जइसे गजब के परी नर्तक रिहिन। 1943-44 मा लालू राम साहू हा कुरुद पार्टी ला छोड़के रवेली नाचा पार्टी मा शामिल होगे ।इही साल हारमोनियम वादक अउ लोक संगीतकार खुमान साव जी 14 बरस के उमर मा मंदराजी दाऊ के नाचा दल ले जुड़गे ।खुमान जी हा वोकर मौसी के बेटा रिहिन ।इही साल गजब के गम्तिहा कलाकार मदन निषाद (गुंगेरी नवागांव), पुसूराम यादव अउ जगन्नाथ निर्मलकर मन घलो दाऊजी के दल मा आगे ।अब ये प्रकार ले अब रवेली नाचा दल हा लालू राम साहू, मदन लाल निषाद, खुमान लाल साव, नोहर दास मानिकपुरी, पंचराम देवदास, जगन्नाथ निर्मलकर, गोविन्द निर्मलकर, रुप राम साहू, गुलाब चन्द जैन, श्रीमती फिदा मरकाम, श्रीमती माला मरकाम जइसे नाचा के बड़का कलाकार मन ले सजगे । 1936 के आस -पास रवेली नाचा पार्टी मा मशाल के जगह पेट्रोमेक्स के उपयोग चालू होइस.


 जब अंग्रेज सरकार नाचा के प्रदर्शन ले

घबराइस 


   नाचा के माध्यम ले दाऊ मंदराजी हा समाज मा फइले बुराई छुआछूत, बाल बिहाव के विरुद्ध लड़ाई लड़िन अउ लोगन मन ला जागरुक करे के काम करिन ।नाचा प्रदर्शन के समय कलाकार मन हा जोश मा आके अंग्रेज सरकार के विरोध मा संवाद घलो बोलके देश प्रेम के परिचय देवय ।अइसने आमदी (दुर्ग) मा मंदराजी के नाचा कार्यक्रम ला रोके बर अंग्रेज सरकार के पुलिस पहुंच गे रिहिन। 


वोहर मेहतरीन, पोंगा पंडित गम्मत के माध्यम ले छुअाछूत दूर करे के उदिम, ईरानी गम्मत मा हिन्दू मुसलमान मा एकता स्थापित करे के प्रयास, बुढ़वा बिहाव के माध्यम ले बाल बिहाव अउ बेमेल बिहाव ला रोकना, अउ मरानिन गम्मत के माध्यम ले देवर अउ भौजी के पवित्र रिश्ता के रुप मा सामने लाके समाज मा जन जागृति फैलाय के काम करिस ।


1940 से 1952 तक तक रवेली नाचा दल के भारी धूम रिहिन ।


कलाकार मन के बिखराव 


 सन् 1952 मा फरवरी मा मंड़ई के अवसर मा पिनकापार (बालोद )वाले दाऊ रामचंद्र देशमुख हा रवेली अउ रिंगनी नाचा दल के प्रमुख कलाकार मन ला नाचा कार्यक्रम बर नेवता दिस । पर ये दूनो दल के संचालक नइ रिहिन। अइसने 1953 मा घलो होइस ।ये सब परिस्थिति मा रवेली अउ रिंगनी (भिलाई) हा एके मा शामिल (विलय) होगे ।एकर संचालक लालू राम साहू बनिस ।मंदराजी दाऊ येमा सिरिफ वादक कलाकार के रुप मा शामिल करे गिस । अउ इन्चे ले रवेली अउ रिंगनी दल के किस्मत खराब होय लगिस ।रवेली अउ रिंगनी के सब बने बने कलाकार दाऊ रामचंद्र देशमुख द्वारा संचालित छत्तीसगढ़ देहाती कला विकास मंडल मा शामिल होगे ।पर कुछ समय बाद ही छत्तीसगढ़ देहाती कला विकास मंडल के कार्यक्रम सप्रे स्कूल रायपुर मा होत रिहिस।ये कार्यक्रम हा गजब सफल होइस ।ये कार्यक्रम ला देखे बर प्रसिद्ध रंगककर्मी हबीब तनवीर हा आय रिहिन ।वोहर उदिम करके रिंगनी रवेली के कलाकार लालू राम साहू, मदन लाल निषाद, ठाकुर राम, बापू दास, भुलऊ राम, शिवदयाल मन ला नया थियेटर दिल्ली मा शामिल कर लिस ।ये कलाकार मन हा दुनिया भर मा अपन अभिनय ले नाम घलो कमाइस अउ छत्तीसगढ़ के लोकनाट्य नाचा के सोर बगराइस । पर इंकर मन के जमगरहा नेंव रवेली अउ रिंगनी दल मा बने रिहिन ।


घर  मा बंटवारा


  एती मंदरा जी दाऊ के घर भाई बंटवारा होगे ।वोहर अब्बड़ संपन्न रिहिन ।वोहर अपन संपत्ति ला नाचा अउ नाचा के कलाकार मन के आव -भगत मा सिरा दिस ।वोहा कलाकार मन ला आर्थिक सहयोग घलो करय. तीन सौ ले अधिक एकड़ के जमींदार के अंत मा अइसे दशा होगे कि खुद ला आर्थिक मदद के जरूरत पड़े लागिस. 

दाऊ जी हा अपन कलाकारी के सउक ला पूरा करे खातिर छोटे -छोटे नाचा पार्टी मा जाय के शुरु कर दिस । धन -दउलत कम होय के बाद संगी - साथी मन घलो छूटत गिस । वोकर दूसर गांव बागनदी के जमींदारी हा घलो छिनागे ।स्वाभिमानी मंदरा जी कोनो ले कुछ नइ काहय । अपन साथी कलाकार मन ले धोखा खाके दाऊजी अंदर ले टूटगे!


 बीएसपी द्वारा सम्मानित 


मंदराजी दाऊ ला नाचा मा वोकर अमूल्य योगदान खातिर  जीवन के आखिरी समय मा भिलाई स्पात संयंत्र के सामुदायिक विकास विभाग द्वारा मई 1984 मा सम्मानित करिस । अंदर ले टूट चुके दाऊ जी सम्मान पाके भाव विभोर होगे ।


 सम्मानित होय के बाद सितंबर 1984 मा अपन दूसर गांव बागनदी के नवापारा( नवाटोला) मा पंडवानी कार्यक्रम मा गिस । इहां वोकर तबियत खराब होगे ।वोला रवेली लाय गिस । 24 सितंबर 1984 मा नाचा के पुरोधा हां  अपन नश्वर शरीर ला छोड़के स्वर्गवासी बनगे. 


स्व. मंदरा जी दाऊ हा एक गीत गावय – “


 दौलत तो कमाती है दुनिया पर नाम कमाना मुश्किल है “.दाऊ जी हा अपन दउलत गंवा के नांव कमाइन ।

 मंदराजी के जन्म दिवस 1 अप्रैल के दिन हर साल 1993 से लगातार मंदरा जी महोत्सव आयोजित करे जाथे ।1992 मा ये कार्यक्रम हा कन्हारपुरी मा होय रिहिस ।जन्मभूमि रवेली के संगे संग कन्हारपुरी मा घलो मंदराजी दाऊ के मूर्ति स्थापित करे गेहे ।वोकर सम्मान मा छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लोक कला के क्षेत्र मा उल्लेखीन काम करइया लोक कलाकार ला हर साल राज्योत्सव मा मंदराजी सम्मान ले सम्मानित करे जाथे ।  वोकर जीवनी ला लेके सार्वा ब्रदर्स हा छत्तीसगढ़ी के पहिली बायोपिक फिल्म बनाइस . फिल्म अब्बड़ चलिस अउ ये फिल्म के माध्यम ले नाचा में उंकर योगदान अउ आखिरी समय मा उंकर संघर्ष के जानकारी छत्तीसगढ़िया मन ला होइस. 

मंदराजी के ये परंपरा ला दाऊ रामचंद्र देशमुख,दाऊ महासिंह चंद्राकर, लक्ष्मण चंद्राकर, झुमुक दास बघेल- निहाईक दास मानिकपुरी, पद्मश्री डोमार सिंह कुंवर,दीपक चंद्राकर सहित कई ठक  सांस्कृतिक दल अउ नाचा दल हा बढ़ाय के काम करिन. 



 नाचा के भीष्म पितामह ला उंकर 112 वीं जयंती मा शत् शत् नमन हे। 


    🙏🙏🙏💐💐💐

          

                      ओमप्रकाश साहू” अंकुर “

ग्राम + पोष्ट – सुरगी (हाई स्कूल के पास) 

तहसील + जिला – राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) 

मो. न.  7974666840

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