Friday 31 March 2023

संस्मरण* *परीक्षा देवाय के खुशी*

 *संस्मरण*



*परीक्षा देवाय के खुशी*



गाँव वाले मन पुलिस थाना ले अब्बड़ डेराथे।लइकई मा मोर संगी मन बतावय कि पुलिस वाला मन कोनो आदमी ला उठा के लेग जाथे अउ थाना मा बंद कर देथें तेकरे सेती खेले के बेरा कोनो पुलिस वाला ला देख डारन ता लुका जावन अउ तभे बाहिर निकलन जब कोनो बतावय कि पुलिस वाला अबड़े दुरिहा चले गय हे।


                       बात वो बेरा के आय जब मैं हा सातवीं कक्षा मा अउ मोर बाद के बहिनी हा छठवीं पढ़त रहिस हे।कन्या मिडिल स्कूल फरसगाँव के वार्षिक परीक्षा चलत रहिस ।हमर परीक्षा के समय हा संझा तीन बजे ले रहिस।काबर कि मंझनिया के बेरा मा आठवीं बोर्ड के परीक्षा गियारा बजे ले होवय। हमर स्कूल मा परीक्षा केन्द्र नहीं रहिस ता लड़की मन लगभग दू किलोमीटर दूरिहा हाईस्कूल मा आठवीं के परीक्षा केंद्र रहिस तिहाँ परीक्षा देवाय जावयं।हमर स्कूल के सर मैडम मन के वीक्षक ड्यूटी  उँहा लागे राहय ता उहा ले आके  घरेलू परीक्षा ला निपटावँय।वो दिन बिहनिया ले बादर करे रहय मोर  पिताजी घलौ अपन स्कूल चले गयँ राहयँ। पढ़त पढ़त अचानक नजर हा घड़ी मा परिस ता बिहनिया बिहनिया अलार्म बजा के हमन ला उठवइया एके ठन टेबल घडी़ हा बंद परे  राहय ।आजे बिहनिया तो अलार्म बाजे रहिस फेर येला का होगिस मने मन मा मै हा गुनत रहेंव।दीदी मोला लागथे टाइम हो गिस हावय ये घडी़ हा तो दस बजे ले बंद हावय मोर बहिनी हर कहिस आज ओखरो परीक्षा रहिस।महूँ ला लागत हे चल जल्दी नहीं ता परीक्षा नहीं देवाय  पाबो डर के मारे मै हा कहेंव।लकर धकर तियार होके परीक्षा देवाय जाय बर दुनो बहिनी निकल गेन ।बाहिर मा थोरथार बूँदाबाँदी होय बर धर लेहे राहय ता एक ठन बड़का छाता ला दुनों बहिनी ओढ़ लेहेन।थोरिक दूरिहा गय ले पानी हा जादा गिरे लागिस।


 हवा घलौ चले लागिस दुनों बहिनी एक दूसर ला पोटारे जावत रहन ।हमन जे रद्दा ले रेंगत रहेन तेकर जेवनी कोती पुलिस क्वार्टर मन रहय अउ डेरी कोती पुलिस थाना के पिछोत रहय जल्दी पहुँचे बर हमन डामर रोड ला छोड़ के इही रद्दा ले स्कूल जावन ।जोर जोर के हवा चले लागिस तहाँ ले हमर छाता घलौ पलट गे। परीक्षा नही दे पाबो सोच के दुख मा मोर बहिनी रोय लागिस मोरो आँखी ले आँसू बोहाय लागिस।हवा हा तेज तेज चलत राहय तेकर संग झेलाय कस हम दुनो बहिनी थाना के पिछोत दरवाजा जेहर खुला रहिस ले थाना भीतरी कइसे पहुँच गेन पता नइ चलिस। डर के मारे दुनो बहिनी काँपे लगेन हमन ला लागत रहय पुलिस वाला मन हमन ला थाना मा बंद कर दिही कहिके ।येती कुँआ ओती खाई कस हमर स्थिति राहाय।काबर बाहिर मा पानी अउ ब़ाढ़गे राहय।तभे एक झिन पुलिस वाला जेकर उमर  तीस पैतीस साल के रहिस होही हमर कोती आवत दिखिस डर के मारे हमर आँखी मुँदा गिस अउ मुँह हा सुक्खा परगे।आराम से कुर्सी में बैठ जाओ बरामदा मा पड़े कुर्सी ला देखात पुलिस वाला हा किहिस।जी अंकल अतके मुँह ले निकलिस अउ दुनो बहिनी कुर्सी मा बइठ गयेन ।हमर मुँह ले बोल नइ फूटत रहय।घंटा भर रझरझ रझरझ पानी गिरे के बाद पानी रुक गे।कतका देर ले थाना मा बइठे रहे ले हमर डर थोरिक कम हो गय रहय हमन देखेन पुलिस अंकल दूसर कुरिया मा अपन काम बुता मा बिधुन रहय हमन चुपचाप निकल गेन परीक्षा शुरू हो गय होही हमन ला सर मैडम मन भगा देही के चिंता रहिस फेर स्कूल जाय बिना लहुँट जाय ले घर मा मार खाय के जादा चिंता रहिस।ता स्कूल कोती चल देहेन रद्दा मा पेड़ के डारा टूट टूट के गिरे रहय अब्बड़ कच्चा कच्चा आमा घलौ गिरे रहय।लइकुसहा लालच मा आमा ला बिन के छाता मा डारेन अउ स्कूल चल देहेन ।अब सरकार सर के झड़ी सुरता आय लागिस।जानत रहेन परीक्षा नहीं देवाय पाबोन कहिके ।औरजल्दी घर से नहीं निकल सकते थे कहिके सरकार सर हा मारहिं घलौ सोचत डर हा बाढ़ गे राहय पोटा हा काँपत राहय ।सरकार सर गणित के सर रहिन अउ हमर स्कूल के एके झिन सर रहिन अउ मैडम मन रहिन।सरकार सर ले हम जम्मो लड़की मन अब्बड़ डेरावन।तभो ले डेरात डेरात स्कूल पहुँचेन ता का देखथन अभीच्चे कक्षा मा बइठे के घंटी बाजिस हे अउ लड़की मन अपन अपन जघा मा बइठत राहयँ। हम दुनो बहिनी के खुशी के ठिकाना नई रहिस लकर धकर अपन अपन जघा मा बइठ गयेन अउ परीक्षा देवाय लगेन। वो समय के हमर परीक्षा देवाय सके के खुशी ला हमीच दुनों जान सकथन।घर आके सब बात माँ पिताजी ला बतायेन मोर पिताजी समझ गिस घडी़ बंद होय ले हमन समय ले काफी पहिली निकल गे रहेन तभे एक डेढ़ घंटा बादर पानी मा छेकाय के बावजूद समय मा परीक्षा हाल मा पहुँच गेन हम दुनो तो परीक्षा देवायेन फेल नई होवन कहिके  खुश रहेन।पुलिस अंकल के बारे मा घलौ बतायेन ता माँ हमन ला सीखोइस ये दुनिया मा अच्छा अउ बुरा दुनो तरह के मनखे सबो जघा रहिथे।पुलिस मन घलौ मनखे आयँ ता उँखरो अंदर मानवता रहिथे।अब मोर मन ले बेवजह के पुलिस वाला मन बर डर हा भाग गे ।हाँ स्कूल आवत जावत भेंट हो जाय मा वो पुलिस अंकल ला नमस्ते करे बर हम दुनो बहिनी नई भुलात रहेन अउ उहूँ अंकल मुस्कुरा के हमर नमस्ते के जवाब नमस्ते ले देवय।आज वो दिन ला सुरता जब भी करथवँ वो पुलिस अंकल बर श्रद्धा बाढ़ जाथे।




चित्रा श्रीवास

बिलासपुर

छत्तीसगढ़

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