Friday 31 March 2023

नान्हेपन के संस्मरण)

 

        (नान्हेपन के संस्मरण)

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    *बो बखत मैं ह लगभग ११ बच्छर के रहेंव, पांचवीं कक्षा पढ़त रहेंव | अकती तिहार के दिन से खेत म पांच मुठा धान सींच के मुठ लेवत रहेन | जम्मो किसान अपन-अपन खेत म गोबर खातू कुढ़ोवत रहेन | पंचक ल अंतार के (छोड़ के) अपन घर के पटांव या गोर्रा म बारह महीना के पूरती लकड़ी, छेना घलो जतन लेवत रहेन,ताकि चउमास म खाना पकाय बर लकड़ी,छेना के अमिल मत होय*

    *हमर घर लगभग चालीस-पचास ठन गाय,भैंसी,बैला,बछरू रहिस | तेकरे सेती हमर खेत बर गोबर खाद कम से कम चालीस-पचास गाड़ी रहत रहिसे*

    *अकती तिहार के रात से ही घुरूवा के गोबर खाद ल खेत म  कुढ़ोवत रहेन | अकती तिहार के दिन से ही हमन तीन झन कमिया (नौकर) पहटिया (चरवाहा) के काम लगावत रहेन*

   

    *अकती तिहार के ही रात मैं ह एक झन कमिया के संग म भैंसा गाड़ी म लोदर के भरभर गोबर खातू भर के कन्हैया भांठा खेत जावत रहेन | लगभग १२ बजे रात के समय रहिसे, तव रद्दा म दूरिहा एक पेड़ के टीप भाग म अचानक लाल,हरा,नीला-पीला रंग के अनारदाना बरत सहीं दिखीस ! ओला देखेंव,तव  खूब सुग्घर लोभलोभावन दिखीस ! तव मैं एकटक ओहीच पेड़ कोती निहारत रहेंव, फेर कुछ देर बाद दूरिहेच म आने पेड़ म अनारदाना जलाए सहीं दिखीस !*

    *तव हमर कमिया सालिकराम ढीमर ल कहेंव-देख तो गा ओती बर काय बरथे ? तब वोहू देखीस अउ कहिस- अब ओती डहर ल झन निहारबे,नइतो अलहन हो जाही !*

    *मोर जिग्याशा अउ बाढ़ गे | दुबारा पूछेंव- ओ का चीज आय गा ? का अलहन हो जाही?*

    *तव मोर प्रश्न के उत्तर नइ दे के ओ कमिया ह दूनो भैंसा ल जोर-जोर से मारे लागिस! नवछटहा भैंसा मन जोर-जोर से दौड़े लगिन | वो सालिक ह अपन खीसा ले बीड़ी माचिस निकालीस अउ लगातार बीड़ी पीए लागिस !*

   *मैं फेर कहेंव- लगातार अत्तेक बीड़ी काबर पीयत हस?*

    *वो कहिस- पाछू बताहूं, तैं नइ जानस , अभी लईका हस |*

     *मैं कुछ देर फेर चुप हो गयेंव,लेकिन वो कई ठन पेड़ मन म लगातार बदल-बदल के आने-आने पेड़ के तोलंग ऊपर अपने आप रंग-बिरंगी अनारदाना बरतेच रहिसे !*

     *अचानक हमर गाड़ी के सामनेच एक ठन पेड़ ऊपर ओ काय चीज रहिस,तऊन बरे लगिस!!!*

    *तव हमर कमिया वो सालिक राम ह गाड़ी ले कूद के  गाड़ी धूरा ल धरके उंटी बतावत आगू-आगू रेंगे लगिस | मोला कहिस - तैं डेराबे झन, भैंसा ल बने हंकाल | तव मैं ह कोर्रा ल धर के दूनों भैंसा ल जोर-जोर से हंकाले लागेंव, अउ सालिकराम ह अपन खीसा के माचिस काड़ी बार के लगातार बीड़ी पीयत रहिसे !*

     *कुछ देर बाद वो अजीब चीज के अनारदाना सहीं आगी बरना शांत हो गे ! हमन अपन खेत पहुंच के गोबर ला खाली करेन*

    *लहुटती बेरा मैं फेर पूछेंव- वो बरत रहिसे,तेन ह का चीज रहिस गा ? मोला नीक लागत रहिसे,देखते रहौं,तईसे लागत रहिसे*

     *तब सालिकराम ढीमर ह बताईस- "ओ ह बरम बावा आय ! कभू-कभू ए जघा बरथे |*

     *मै ह गाड़ी ले उतर के रद्दा म भैंसा ल लेगे हंव, तव बांच गयेन,नईतो आज वो बरमबावा ह हमला परेशान कर डारतीस!*

     *मोर जिग्याशा अउ बाढ़ गे, मैं पूछेंव- "ये बरम बावा का होथे?*

    *तव बताईस- बाम्हन,बैष्णव मन जऊन लड़का के बरूवां नइ होय रहय अउ जहर पी के,फांसी करके या कुछु भी प्रकार से अकाल मृत्यु हो जाथे ! तऊने मनखे के आत्मा ह भटकत रहिथे अउ बरमबावा बन  जाथे!*

    *जैसे मुसलमान मनखे के अकाल मृत्यु से जीन हो जाथें ! हमर हिन्दू धर्म म बाम्हन,बैष्णव ल छोड़ के आने जात के मनखे जेकर अकाल मृत्यु होथे,तउन ह भूत, प्रेत हो जाथे | तईसनेच बाम्हन बैष्णव जेकर बरूंवा नइ होय रहय अउ अकाल मिरतू हो जाथे,तउने भटकती आत्मा ह बरमबावा कहलाथे ! अईसने सियान मनखे मन कहिथैं, अउ का बात ह कतेक सच हे ? कतेक झूठ हे ? तऊन महूं ल पता नइ हे, लेकिन आज हमर भैंसा मन झझक के कहूं गाड़ा रवंद ल छोड़ के भागतीस,तव हमन भुगत जातेन,तेकरे सेती गाड़ी ले उतर के मैं ह ऊंटी बतावत गाड़ी ल खेत तक लेगे हंव,अउ लगातार बीड़ी पीयत रहेंव,तेकरे सेती हमर तीर म वो बरमबावा नइ आईस | भूत,प्रेत,जीन अउ बरमबावा घलो आगी के तीर म नइ आ सकै,साईंत वोहू मन आगी ल डेराथे | ले चल भईगे, आज बड़का अलहन ले बांच गयेन,अईसे-तईसे गोठियावत -बतियावत हमर घुरूवा तिर हबर गयेन अउ दूसरेया खेपी गोबर खातू भरे लागेन |*

     

    *आज से लगभग ४८ बच्छर पहिली के मोर संस्मरण ल लिखे हौं | कैसे लागिस? तेन संबंध म अपन -अपन प्रतिक्रिया खच्चित लिखिहौ*


    *जै जोहार*


  आपके अपनेच

*गया प्रसाद साहू*

  "रतनपुरिहा"

मुकाम व पोस्ट करगीरोड कोटा जिला बिलासपुर (छ. ग

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