Friday 10 March 2023

भाई चारा"

 "भाई चारा"

         कभू कभू कई ठन शब्द बड़ उटपुटांग लागथे जईसे "भाईचारा "। अब ये भाई म चारा के का काम। एक ठन चारा गायगरु जानवर मन बर काम आथे,एक ठन मछरी फंसाय के।मछरी फंसाना घलो एक कला आय।चारा कईसे गुंथना हे,गरी कहां फेंकना हे,कतिक समें फेंकना हे,अऊ सब ले बड़े बात आए ओकर इशारा ल समझना। मछरी मतलब ललचाहा जीव।जिंहा चारा दिखीस खब्ब ले मुहूं म डारिस।थोरकुन मेहनत नी करना चाहे। चारा मतलब फोकट (फ्री) के लालीपाप कही  सकथन।पहिली चारा फंसाय के कला एक समुदाय विशेष कर राहय। अब ऐकर आधिपत्य के दूसर उत्तराधिकारी घलो हो गेहे । जेन मन फोकट के जमगहा चारा फेंकथे। जेकर गरि म जतका फोकट के चारा रहिथे होकर बेड़ा पार हो जथे। अऊ फंसे मछरी दिन-रात पूछी हलात दिन गिनत रहिथे। अब चारा के फेंकईया ले ये उम्मीद नई करें जा सके कि वोहर मछरी ला अपन घर म कांच में पानी डाल के सजा के रखही हैअऊ समे-समे मां पौष्टिक आहार दीही ।फेर देना ही रहितिस त गरि मा चारा कार फेंकतिस।

                  हर मनखे ल अपन घर ल साफ सुथरा रखना चाहि।साफ सफई म झाड़ू के बड़ योगदान हे। कतको झन तो सुत उठ के झाड़ू ल परनाम घलो करथे। जेला झाड़ू के ताकत देखना हे त देश के दिल म जाय बर पड़ही।।इंहा फोकट के जमगरहा चारा अऊ ललचाहा जीव के कांम्बीनेशन ले झाड़ू वाले मन हर सरग के मजा उड़ावत हे। मदिरालय म एक के संग एक फ्री।ऐ हर इंहा के समृद्धी( विकास) के राज आय।पूरा देश के विकास म एकर सब ले बड़े योगदान हे।ऐला हमर देश के अर्थव्यवस्था के 'पीठ के हाड़ा 'घलो कही सकथन। फेर ऐकर विज्ञापन हर 

टीवी, अखबार म 'ढूंढते रह जाओगे '।        लईका मन के कुपोषण बर बारा बिभ्भो योजना चलाथे।वईसने लईका मन बर एक लिटर दूध के संग एक लिटर दूध फ्री के चारा फेंकतिस त का चीन ह हमन ल खुसरा खुसरा आंखी ल देखातिस।

       ये देश ऋषि मुनि गुनि मन के देश आय।इंहा ज्ञान चंद मन तो खरही कस गंजाय हे।जिंहा "भाईचारा "के गोठ आथे ताहन ले ज्ञान चंद मन के दिमाक म किरा कांटथे।देवारी भाईचारा ले मनाव फेर फटाका मत जलाव प्रदूषण के खतरा बाढ़ जथे।

कोन जनी युक्रेन वाला मन बछर भर होगे कईसे झेलत हो ही ।वईसन दशा म तो दिल वाले मन आज ले निपट जतिन। एक दिन के फटाका म उंखर सांसा ऊपर नीचे होवत रहिथे।फेर सिलेंडर चोरों से सावधान कहिके कोनो जगा नइ पढ़ें हन।ये दिल वाले मन बर बहुत बड़े बात आए।

                  ज्ञानचंद मन के दिमाक के बत्ती साल म दू बेर जलथे, एक तो देवारी दूसर होली ।होली मनाए से भाखड़ा नांगल बांध, हीराकुंड बांध के सुखाय के खतरा बढ़ जथे। जेन मनखे मन 'निवृत्तमान संस्था' म सात आठ बाल्टी पानी उरकाथे ,कार म रोज पानी मारथे, गार्डन में पानी डाल के दिल गार्डन गार्डन करथे तेन मन हर ज्ञान पेलथे। इहां पानी बचाय के ठेका तो वो मन ला मिलथे जिंकर शौचालय में दू बाल्टी पानी नी रहा है।

               ज्ञानचंद मन के संगे संग बुद्धिजीवी मन के मुंहूं म मास्क कोरोना के खतरा असन आय।ये समस्या ल देख के गांव के पंचायत म कम दिमाक वाले वैज्ञानिक मन ल दिल्ली के खस्सु कुकर मन ल धर के शोध करें बर "भाईचारा "के नाता युक्रेन भेजे के घला प्रस्ताव पास करे गेहे।

             फकीर प्रसाद साहू

              "फक्कड़ "सुरगी

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