Friday 31 March 2023

एक लोटा जल ------।"

 "एक लोटा जल ------।"

             फिरतू  गली म फिरत रिहिस में पूछेंव कस जी फिरतू कोनो काम बुता  नई हे  गली गली म फिरत हस ।कथे मे तो सुबे ले नहा धो के काम कर डारेव। मे पूछेंव का काम जी एक लोटा जल चढ़ा डरेंव ।सब कहिथे "एक लोटा जल सब समस्या के हल "त अऊ का कमाना धमाना। अवईया चुनाव म घोषणापत्र म फिरतू (बेरोजगार)मन ल एक लोटा जल दे के वादा कर दीही त कतका मजा आही ।मोर असन कतको फिरतू गली गली मे दिखही (नजर आही)।  एक लोटा जल सब समस्या के हल, एक लोटा जल सब समस्या के हल , में कहेंव तै गुणत होबे  फिरतू ऐहा दूनों सदन म सुम्मत ले पास हो जही ,गलत ।ऊंहां ऊंकर मन के जेवर बाड़हे के प्रस्ताव ह सुम्मत ले पास हो सकथे। जईसे कौंवा कुकुर मन मरी खाए बर जुरिया जथे ।अऊ कहूं दे के शुरू कर दीही त वो मन खुदे फिरतू बन जही।

                फिरतू कथे बेरोजगारी भत्ता के पईसा जनधन खाता म चक्र विधी ब्याज करले (सहित) दिनों दिन बढ़त हो ही ना भईया ?हां फिरतू भाई भत्ता के पईसा ले जनधन खाता के पन्ना घेरी बेरी भर जथे। अवईया समे म ऐला स्विस बैंक म जोड़ें के प्रस्ताव जरूर पास कर सकथे, ताकि तूहर भत्ता के पईसा कतिक अकन हे कोनो जान मत सके।

              फिरतू कथे सब समस्या के हल हो जही त भईया ये दवई बूटई, अस्पताल वाले मन के का हो ही ।मे कहेंव झोला धरके डोंगरगढ़ के पहाड़ी मां ध्यान लगा ही ।इंकर उच्च बिचार ले तो हमर धनहा डोली घलो बिक जथे। ऊंकर किरपा बरसथे त मरे मुरदा ल घलो छु नी पान ।दरसन नोहर हो जथे ।कई बेर इंकर 'शुभ हस्त 'ले जान तो बच जथे, फेर जान नि राहय। मरे ले जियई भारी लागथे 'खस्सु खजरी दाद मूड़ ले जादा ब्याज।'

                    फिरतू कथे तहु मन अधरतिया जाग-जाग के का का लिखथो फेर कोनो हा तूमन ल समाज सेवक नी काहय अऊ नशा पानी बेचईया  मन के नाम कहूं-कहूं पोस्टर म समाज सेवक फलाना प्रसाद लिखाय रहिथे ।मे केहेंव फिरतू भाई उंकरे किरपा ले घर बईठे जुआ खेले बर मिलथे, दारु पानी गांजा उंजा ल घर तिर म लान के देथे। तेखरे सेती ऐमन ल समाज सेवक कहिथे। इही समाज सेवा से परसन् होके लक्ष्मीदाई अपन घड़ा ल उड़ेल देथे।

            अब जादा झन पूछ फिरतू भाई एक लोटा जल ले सब समस्या मिटा जाही त संसार के बढ़वार रुक जाही ।ए संसार म सब कमाएच बर तो बईठे हे। सब  माया के जंजाल हे।बिना माया के तो भगवान के पूजा घलो नी होय। थोकिन माया के कमी ले गाड़ा उल्ला होय ल धरथे। ज्ञान के नदिया म तउंरना हे त धन बांध के गेट ल खोलेल पड़ही।

किलो म मिलथे इंहा भांजी,मुनगा,जाम,

जगा जगा बेचावत हे ज्ञान,

लगे हे चक्का जाम।

माया के सब खेल हे संगी

        आनलाईन दरसन पाना हे,

वी आई पी मनखे मन बर

              वी आई पी गेट के धंधा चलाना हे।  

नाचत हे पंडाल म

                बनके श्याम दिवानी

गली के गरवा चारा बर तरसे

       पंडाल म मिलथे चारा दानी।

                    फिरतू भाई जेनदिन दीया बारत रेहेन,थारी पीटत रेहेन तेन दिन ये जल जीवन मिशन वाले मन का हड़ताल म  रिहिस। इंकर तीसर आंखी ल खोले बर पठान के हीरोइन ह तो नी नाचीस  हो ही ।हो सकथे कामदेव अऊ रति ह एप्लीकेशन दे दे रिहिस होही अचानक बूता आए के सेती छुट्टी दे किरपा करहू। आप मन के बात रखईया (आज्ञाकारी।)

                       फकीर         

                    प्रसाद साहू         

                  ‌    "फक्कड़ "

                  ग्राम -सुरगी

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