Friday 17 March 2023

विकास के डोंगा##. ब्यंग

 ## विकास के डोंगा##.      ब्यंग 


     पाना पतेरा ला कनिहा मा लपेट के मरजाद ढ़ँकइया मनखे आज अतका उन्नति कर डारे हे कि जतका ढाँकत हे ओतके उघरत हे। ये तो बने हे कि छेरी नइ चगलत हे नइते आजो हम उही आदि मानव ले कम नइ हावन। पैडगरी अउ धरसा के जगा हाईवे अउ फोरलेन बनगे। ओकरो ले आगू मेटरो ट्रेन दँउड़त हे। ठूठी बाहरी के खरीदी आनलाईन होवत हे। तब लाईन मा लगके राशन खरीदना ये सदी के अपमान ही आय। आज हम विकसित ले विकासशील देश के नागरिक हवन। चहुंमुखी विकास के डोंगा बीच धारा मा लहरा के चलत हे। पीपर तरी बइठ के गांव ला आगू बढ़ाय बर सुधारे बर गोठ करे तेन मन डिजिटल बैठक करके मन के गोठ करत हें। एकर ले फायदा यहू हे कि सुन सकथस सुना नइ सकस। पसरा पसरा किंजर के छाँट के बंगाला बिसाने वाला मन आनलाईन मँगाये बर मोबाईल मा एप लोड करत हें। आनलाईन पढ़ई अउ अनुदान अंक ले पास के तालमेल बहुत बढ़िया चलत हे। हर सवाल के जवाब अब गुरुजी मन के जगा गूगल हर देवत हे। तब तो फैल होय के सवाले नइ उठे। विकास के डोंगा हर उथली धार मा घलो सरपट भागत हे। फेर कते डिलवा मा जा के झपाही कहे नइ जा सके। आज आदमी के हाथ मा सब कुछ हे। बजारवाद के जमाना मा बजार ला ही जरूरत समझ गेहन। आत्मनिर्भर होय के शंखनाद हो गेहे। स्वाभिमान अउ अभिमान ले मनखे हम के जगा मँय मँय काहत काहत मयखाना तक चल दिन। एक झन मितान के चिमनी उपर अतका श्रद्धा हे कि ओकर अस्तित्व ला बचाय बर जन जागरण के गीत बनाके गानत हे ये तो उही गोठ होगे कि छत्तीसगढ़ी ला बचाये बर सब झन ला उचकाव अउ घर मा हिन्दी बोलके लइका मन ला अँगरेजी इसकुल मा पढ़ाव। तभोले हम नइ पूछन कि डोंगा मा छेदा खुद विद्वान मन काबर करत  हे। शहर हर गांव ला अतका लदक डारे हे कि भाषा के असर बोलचाल मा देखते बनथे। हम तेरे से कमती हैं क्या? अतके कथे तभे समझ मा आ जाथे कि ये हर खाँटी हे। 

        छै महिना मा सड़क उखड़ जथे। एके बरसत मा नव पुलिया बोहा जथे। ये सब चिंता करे के विषय नोहे। कबर कि येला हम अपन उपलब्धि मान सकत हन। हम सड़क मा रेंगत हावन ये बड़े बात हे। नँदावत जिनिस ला संग्रहालय मा सजा के राखत हन। जीव जिनावर ला विदेश ले मँगावत हवन।  तब पीतर पाख बर भठत कउँवा के माँग सरकार ले तो करि सकथन। भठत नँदावत प्रजाति ला संरक्षण मिल जाही। एकर बहाना मनखे के चेतना हर तो जागही। उवत सुरुज ला पैलगी करके सुखी जीवन जीने वाला आदमी आज भक्ति भावना मा अतका बुड़ गेहे कि डाक पोष्ट ले गंगा जल मँगाके नहाथे तब सीता हरन के चौपाई ला गाथे। जे  मन सबो सुख सुविधा मा हे उही मन चिचियावत हे के डोंडा धारे धार बोहाथे कहिके। हमर देश तकनीक अउ विज्ञान मा अतका आगू बढ़गे हे कि मशीन अउ मिसाइल खुदे बनात हे। ये अलग बात हे कि बीड़ी सिपचाय बर लाइटर चीन ले मँगाथन। 

       डोंगा मा सवार दस होवय कि सौ जब तक ओकर खेवनहार कोनो राजनीतिक दल के नेता नइ रही पार नइ हो सके। समाज सेवा बर कोनो महात्मा गांधी मदर टेरेसा नइ आवय। आहीं तो बिगड़े छबि ला राजनीति के मइलाहा चद्दर मा ढांके प्रतिभा सम्पन्न मनखे हर ही आही। राज्य केन्द्र ले केन्द्र हर विश्व बैंक ले करजा ले ले के विकास के डोंगा ला खेवत हे। जेकर ले देश आत्मनिर्भरता के मोहाटी तक आ गेहे। मोफत के चाँउर अउ मनरेंगा के मजूरी सब मा लाल बत्ती वाले के नजर हे। हमर देश सबके साथ सबके विकास के हाना उपर काम करत हे। एक झन सफेद दाढ़ी चूँदी वाला भीष्म प्रतिज्ञा लेके बइठे हे कि खावँव न खावन देवँव। ओकरे नतीजा आय कि आय दिन ई डी सीडी अउ सी बी आई वाले मन पिछलग्गू दूध के धोवल मन घर छोड़ के परोसी मन घर के छापामारी ले फुरसत नइये। ओती एक झन हर दाढी तो बढ़ावत हे फेर प्रण लेय बर हाना जुमला खोजे नइ पावत हे। 

           विकास सरकार अउ नक्सली दुनो चाहत हे फेर अंतर के सँग डर ये हे कि नक्सलवाद के सिराये ले दुनो अपाहिज हो जाही। राजनीति के दुकान चलाय बर नक्सलवाद के खँचवा ला खँचवा ही रहना जरूरी हे। अउ फेर चुनाव बर मुद्दा खोजे नइ जाय, अपन होके बनाय जाथे। खुद ला पैदा करना पड़थे। विकास के डोंगा ला पार लगाय बर हर छोटे बड़े खादी टोपी वाले मन वचनबद्ध हे। फेर वचन तभे निभथे जब तकनीक तरीका ले कमीशन के आवा जाही होथे। अभी हाल अइसन हे कि नेंव कोनों दुसर धरथे अउ नाँव कोनो दुसर के होथे। तरक्की के हिमालय मा बैसाखी धरके चलइया मन झंडा गड़ियावत हे। नाक रेहे ले साख रथे। इँहा नकटा के नाक कटे ले सवा हाथ अउ बाढ़त हे। मंदिर जाव चाहे मदिरालय आखिर जाना तो मसानेघाट हे। जरूरी नइये कि मरे के ओखी दारू पी के होवय चाहे धरम सम्प्रदाय के दंगा फसाद मा चपका के मरव। चुनाव मतपत्र नहीं मशीन के गोपनीय तंत्र हर जीतत हे। जनता जुमला हाना मा जीयत हे। ओकरे सेती  मनखे धरती ला छोड़ के चंन्द्र मंगल ग्रह मा मरे बर अढ़ई ढीसमिल जगा पोगराय बर दलाल अउ एजेंट खोजे मा लगे हे। गिर के उठना बड़ साहस अउ हिम्मत के बात होथे। फेर जेन स्तर ले रूपिया गिरत हे ओकर ले अतका तो तय हे कि आने वाला समय मा सौ रुपिया के धनिया पान खाये बर निंहीं सुँघे बर ही मिल सकथे। 

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                   राजकुमार चौधरी "रौना" 

                  टेड़ेसरा राजनांदगांव 🙏🏻

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