Sunday 5 March 2023

राजनीतिक संतों के बीच म संत के राजनीति

 राजनीतिक संतों के बीच म संत के राजनीति


कभू सोंचे नइ रिहिस के वोहा राजनीति म जाहि । लोगन राजनीति म पाय बर आथे । कोन्हो ला पद ... कोन्हो ला पइसा त कोन्हो ला मान सन्मान के भूख अऊ आस दुनों रहिथे । फेर जेकर तिर बहुत पइसा हे .. जे बड़का पद म बइठे हे अऊ जेकर तिर मान सन्मान के कोन्हो कमी नइहे ... तेमन काकरो आगू म मुड़ नवावत हे तेला काय चीज के लालच ... । 

खो जाय के फितरत जेकर म होथे तिही संत आय । कभू ईश्वर के भक्ति म त कभू जनता जनार्दन के सेवा म । घिसे पिटे चुसाये लुटाये जनता के दरद अऊ घाव ला बहुत तिर ले देखे अऊ महसूस करे रिहिस सुखदेव धर दीवान के पुत्र पवन दीवान हा । एक कोति मन हा भगवान अऊ अध्यात्म डहर भागे त दूसर कोति तन जनता के सेवा बर बेताब रहय । एक दिन रद्दा निकल अइस । इमर्जेंसी हा उँकर बर राजनीति के कपाट ला भंग भंग ले उघार दिस । ओमन राजनीति म राजनीति करे बर नइ खुसरे रिहिस । ओमन तो केवल इही बताये बर आय रिहिन के राजनीति कइसे करना चाहि । फेर दलदल तो दलदल होथे । ओहा काकरो चेहरा नइ चिन्हय  न कोन्हो ला अपन ले अलगियान देवय  । तभो ले चिखला म खिले छतराये कमल कस रिहिस ओमन । चिखला म रिहिन फेर सनाये नइ रिहिन । ये अलग बात आय के वहू मन .. जिनगी भर दलदल ले बाहिर नइ निकल सकिन ।   

एक बेर विधायक . सांसद . केबिनेट मंत्री के दर्जा मिले राजनीतिज्ञ हा ... न केवल अपन बर बल्कि अवइया  अपन सातों पीढ़ी बर धन दोगानी सकेल डरथे । फेर केऊ बेर पद झोंके के पाछू घला सरपंच के बरोबर जमा नइ कर सकिन । कोन्हो उनला आफर नइ करिन होही का ...... । का अपन बुता करवाये के एवज म कोन्हो उनला भेंट पूजा नइ देवत रिहिन का .... । उँकर ले कोन्हो बुता नइ होवत रिहिस  का ... । काकरो बुता करे म उनला रूचि नइ रिहिस का ... । 

अरे भई ... ओमन तो बुता करे बर आय रिहिन ...  बुता करिन घला । फेर उँकर बुता के श्रेय कोन्हो दूसर ले गिन । उनला घला आफर मिलिस ... फेर आफर दूसर के हाथ म रेंग देवय । उँकर जाय के पाछू उँकर तिर नानुक फार्म हाउस अऊ करिया रंग के गाड़ी के अलावा कुछ सम्पत्ति नइ पाये गिस । वाजिम म ओमन केवल संत रिहिन जेला राजनीति के संत मन अइसे पटक के राखे रिहिन के ओमन न तो उठ पावत रिहिन ... न बइठ पावत रिहिन । उँकर नाव ले कतको झन खा डरिन अऊ आखिर तक खात रिहिन । कतको झन फर्जी चेला मन उँकर भेंट पूजा म न केवल हाथ मारिन बल्कि उँकर संग रहिके सरकार म जुड़िन अऊ जुड़े के रद्दा अपन नाव म पेटेंट करा  डरिन । उँकर नाव ला भुनावत कतको झन अपन नाव ला उजागर करवा डरिन । 

ओमन राजनीति के मैदान के कमजोर खिलाड़ी नइ रिहिन फेर ओकरे संग म रहवइया हा ओकरे गोड़ ला ईंचही त ओमन कैच ला कइसे पकड़ सकतिस । ओमन कभू क्रिकेट खेलिस .. कभू हाकी ... कभू खो खो म दिखिन त कभू खुडवा म । कुछ दिन म फेर बैटिग करत क्रिकेट म दिख जाय । हाँ एक बात जरूर रिहिस के ... जे खेलय तिही म जम जावय । क्रिकेट म धुँआधार रन बनाये बर धरिन त अम्पायर ला बोलके ओकरे संगवारी मन उनला एल.बी.डब्ल्यू. आऊट करवा दिन । सबो ला इही लगिस के इही ला मैन आफ दी मैच मिल जही अऊ अवइया मैच म कप्तानी ... तेकर ले एला आउट करवाय म भलाई देखिन संगवारी मन । कबड्डी म उतर गिन ... उहाँ रेडर ला धरे के पहिली इही ला फाउल करार करवा दिन । हाकी म गोल मारत समय सीटी बजवाके खेल समाप्त करवा दिन । कुल मिलाके इही बात के ... जीत के कोन्हो प्रयास म इँकर नाव नइ होना चाहि । इनला बऊरे के सामान बना दिन । मैच पाछू  पुछइया के अभाव घला पैदा कर देवत रिहिन संगवारी मन । 

ससहत्तर म खूब खेलिन । प्रदेश के सबले बड़का आदमी ला क्लीन बोल्ड कर दिन फेर मैं आफ दी मैच कोन्हो अऊ लेगे । अस्सी म अपन हाकी टीम कोति ले गोल करत समय ... संगवारी मन  समय समाप्ति के सीटी बजवा दिन । बियासी म कबड्डी म हाथ आजमाइन  । ओकरे संगवारी मन उनला फाऊल करवा दिन । भोपाल ले आके गुरूजी कहत पाँव परइया मन खेल म रहिके ... नइ खेले के वचन तको ले डरय । मैदान म डटे रेहे बर इँकर मान मनुव्वल घला कर डरय फेर खेलन नइ देवय । 

छत्तीसगढ़ बने के पाछू ये मैदान ले ओ मैदान अंदर बाहिर होइन ... अंतिम एकादश म इँकर नाव लिखवा दिन । फेर बैटिंग अऊ बालिंग दुनो करन नइ दिन । बपरा हा फकत फील्डिंग करत रिहिन फेर कैच झोंके के बेर धकिया दिन । कबड्डी म रेड करे के मौका नइ दिन । इनला टीम म राखना तो हर कोई चाहिन फेर खेलाना कोन्हो नइ चाहिन । मैच चलत ले इनला मैदान के दू चार चक्कर लगवाके ... अपन स्वार्थ पूरा करइया मन ... अपन अपन बनौकी बना डरिन । 

वाजिम म राजनीति हा इनला साहित्य के नाव धरके उपेक्षित करिन ... त साहित्य हा प्रवचन समझ अनदेखा करिन ... अऊ ते अऊ  प्रवचन हा इनला राजनीति समझ बदनाम तको करिन । येमन सबो के रिहिन ... फेर इँकर कोई नइ रिहिस । इही तिर म फेल रिहिन येमन । संत राजनीति नइ कर सकय .... येकर ले बड़का उदाहरण शायदे मिलही । 

इँकर खासियत रिहिस ... अऊ दूसर संत कस खो जाय के । अपन बुता म खो जाय फेर डूबे निही । इँकर अनेक शुभचिंतक रिहिन जेमन राजनीति के दलदल म इनला खिले नइ रहन देना चाहय फेर अतेक गहरा दलदल रिहिस के ओमा ले बाहिर निकल सकना सम्भव नइ हो पइस । इनला निकाले के हरेक प्रयास असफल हो गिस । इकहत्तर बछर के पवन नाव के कमल के ताजगी देखते बनय ... फेर भितरे भितर जनता के पीरा के घुटन हा उनला खोखला कर चुके रिहिस । भगवान ले कोन्हो बात कहाँ छुपे रइहि ... उन हकीकत जानत रिहिस तभे तो मुरझाये के पहिली कमल ला अपने हा टोर के परम धाम लेगे ।

उँकर नाव .... आजो कतको ला रोटी देवाये के ताकत रखथे ... तभे चलत हे । फेर जइसे अन्याय उँकर संग जियत ले होइस तइसे जाय के पाछू घला होवथे । अतेक ऊँच संत के नाव ला जीवित राखे बर .... नानुक स्कूल के नामकरण करके उँकर नाव के राजनीतिक रोटी सेंकत लोगन के बुद्धि के बीच संत के राजनीति बुड़ गिस । राजनीतिक संत के बीच म संत के राजनीति न तब चलिस न आज चलय ... । आज उन नइ खोइन ... हम खो डरेन । हमला उबारत पहिली बेर बुड़िन ... अऊ अइसे बुड़िन के निकलिन निही । अमर संत तुँहर जय होवय ... नमन हे तुमला ... नमन हे । 

हरिशंकर गजानंद देवांगन . छुरा

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