Friday 31 March 2023

संस्मरण... बीए अंतिम अउ मोर बिहाव

 संस्मरण...


बीए  अंतिम  अउ मोर बिहाव



जब कोनो लड़का बेरोजगार हे अउ बिहाव करे बर लड़की ढूंढे ता येहा कोनो एवरेस्ट चढ़ाईं ले कम नइ‌ हे. अइसने दशा मोरो रीहिस. निश्चिंत होके बीए अंतिम साल के पढ़ाई करत राहंव. सपना मा नइ सोचे रेहेंव तइसे घटना घट गे. घर मा स्थिति परिस्थिति अइसे बन के कि मेहा बीए फाइनल इयर म राहव अउ मोर बिहाव के चर्चा शुरू होगे. मेहा अकबका गेंव. मोर सबो सपना हा सर्री- दर्री होके बिखरत राहय. मेहा तो दिग्विजय कालेज म स्नातकोत्तर तक नियमित पढ़ाई करहूं कहिके सोचे राहंव.पर  कइसे दशा निर्मित होगे!


      मेहा जोर देके केहेव कि अभी तीन बरस तक बिहाव नइ करंव! पर ये का मोर घर वाले मन तो मोर छोटे भाई ल बिहाव करे बर राजी कर लिस. मेहा फेर अकचका गेंव! मेहा सोचे रेहेंव जब मेहा नइ‌ कहूं तहां ले कम से कम तीन साल तक बिहाव के बात हा घिरिया जाही! पर होगे उल्टा?


   अब मोर छोटे भाई बर लड़की देखे के चालू होगे. अउ भाई बर बहू घलो मिलगे. भाई के सगाई होगे. ये बीच मा मोर उपर बिहाव के फेर दबाव चले के शुरू होइस! परिवार अउ दू चार -झन सियान मन ला मोला मनाय बर काम सौंपे गिस. तरह तरह के तर्क- वितर्क के चक्रव्यूह मा अइसे फंसाय गिस जेमे ले मेहा नइ बोचक पायेंव! एक दू साल बाद आखिर शादी तो करेच ला पड़ही. घर वाले बर ये दुब्बर ला दू आषाढ़ ले कम नइ रही! ये सब ला सुनके मोर मन: स्थिति हा बदल गे अउ महू हा मोर बिहाव के लड्डू खाय बर राजी हो गेंव?


    पर यहू जगह मेंहा घर वाले मन ला जोर देके केहेंव कि देख छोटे भाई के सगाई होगे हे येकर मतलब ये मत समझहू कि मेहा  फट ले शादी कर लेहूं. तोर बर लड़की खोजथन. तोला पसंद आही तभे शादी करबे . खोजत खोजत बिहाव के सीजन हा निकल जाही ता तोर छोटे भाई के ही बिहाव होही. फिकर मत कर! अउ मेंहा फिकर मा पड़ गेंव! बेरोजगार अउ बिहाव!


      लड़की देखे ल गेन ता वो तमाम सवाल के सामना करे ला मिलिस जउन एक बेरोजगार ला सुने ला पड़थे. 

खेती खार, भाई बहिनी के पूछ परख के बाद बिहाव के बाद योजना के सवाल मा सकपका जांव. लड़की देखई चलत गिस. कुछ जगह लड़की

 मोला पसंद नइ आइस अउ कुछ जगह मेंहा रिजेक्ट होयेंव! 


      अइसे तइसे करके दू जगह के लड़की हा पसंद आइस. एक रुपाकाठी

अउ दूसरा सिंघोला के . जेमा सबले जादा रूपाकाठी के लड़की पसंद रिहिस पर उंकर तरफ ले घर देखे के हरी झंडी नइ मिल पात रिहिस? फेर हमन सिंघोला गेन अउ घर देखे बर लड़की वाले मन ला बुलायेन कि तुंहर मर्जी होही ते आ जाहू. लड़की वाले तइयार होगे. 


  पर ये का जनउ दिन सिंघोला वाले मन अवइया रिहिस उही दिन बिना खबर के लड़की के पिताजी हा हमर गांव पहुंच गे अउ अपन पहचान के लोगन मन ला पूछ पाछ के हमर गांव के एक भैया जी के साथ हमर घर पहुंच गे. याने कि जिंहा के लड़की मोला जादा पसंद रिहिस उही मन हा पहुंच गे. तमाम चर्चा-  परिचर्चा के बाद

ये बात मा सहमति बनगे कि रुपाकाठी  के लड़की तय. सिंघोला वाले नइ आइस या कहें जाये देरी कर दिस! 


इहि ला कहिथे -  शादी उहां होथे जिहां किस्मत रहिथे. अउ मोर किस्मत रुपाकाठी मा रिहिस. 


  पर रुपाकाठी वाले मन ये शर्त राखिस

कि हमन इही शर्त मा बिहाव करबोन कि एक साल बाद गौना करबोन!

मोर जीजा अउ दूसरा मन हा किहिस कि बने मिलत हे तोला जी! काबर कि अभी तेहा शादी बर तइयार नइ रेहेस!


 महू तैयार होगेंव  . शादी होगे. शादी ले पहिली राजनांदगांव जांव अउ बाद म घलो जांव पर मोर साइकिल के कैरियर मा पुस्तक कापी के जगह खाना के टिफिन राहय अउ मोर नियमित पढ़ाई रुपी कैरियर उपर ब्रेक लग गे. मेहा नून- तेल -लकड़ी के चक्कर मा एक प्राइवेट कंपनी मा काम चालू करेंव अउ अपन जिनगी रूपी गाड़ी ला खींचे बर संघर्ष चालू कर देंव. ये सब बात हा सन 1997 के हरे. 


                          ओमप्रकाश साहू अंकुर

   सुरगी, राजनांदगांव


  मो.  7974666840

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