Friday 17 March 2023

बियंग "अनुकंपा "

 बियंग "अनुकंपा "

अनुकंपा के महिमा अपरंपार हे जेखर  ऊपर हो जाए ऊंकर भाग बदल जथे चाहे अनुकंपा भगवान के होए या सरकार के। एक वह बेद्ंरा के भाग देख भगवान के अनुकंपा ले आज दुनिया मां ओखर नाम के शोर उड़त हे जगा जगा ओला हमन पूजत हन।

            अउ अभी के बेंदरा मन ला देख 'छानी मां होरा भूंजत हे' बारी बखरी के धुरा धरा दे है ।अब तो वहुमन वीआईपी टाइप से हो गेहे।खेतखार ह सुहाय नही, हफ्ता लागे ना पंदराही गांव म धावा बोल देथे जाने-माने बफे रखे हे गांव वाले मन ।यहू मन ल सरकारी संरक्षण मिलत हे, सरकार के लाचारी भी हे वोट बैंक के सवाल हे। वइसे भी वन जीव ल मारना कानूनी अपराध हे।वइसे ये ला भी सरकार के अनुकंपा ही कहीं सकथन। सरकार भी अनुकंपा कखरो मुहूं देख के थोड़ी ना देथे, जेन मन भाग में कमाय रहिथे उहिच ल  मिलेथे। हो सकथे ये किरपा उमन ल समोसा म इमली चटनी खाए से मिलीस कि हरा चटनी? भगवान मालिक।

                    जेन बेदरा मन सरकारी किरपा पाय रहिथे  ऊंकर मुंह ललहूं  रहिथे। सरकारी बेदरा मन के एकेच ही फंडा कस के खा अऊ मरत ले पी पाले हस सुरा खोजत हस घी।(बुरी आदत)तरिया पार अऊ सड़क पाई हर ईकर फेवरेट ठऊर आय मानो आत्मिक शांति मिले के एक मात्र ठऊर ।

 सेटिंग घलो न देश व समाज बर बड़ खतरा आए,अऊ अहू  सच आए बगर सेटिंग के कोनो काम नई होय। इकरों सेटिंग बढ़ भयंकर टाइप ले रहीथे। खेत खार  म कुदत हे। तबले धकाधक छुट्टी मेंटनेंस होवत रहिथे। महीना पुरिस ताहन" तुम भी खुश हम भी खुश "अनुकंपा प्राप्त बेदरा मन एक कन जादा अतलंगहा होथे। लंका के हाल का काहवं।इंकर संग म रहवाईया बेदरा मन हलाकान घला हो जथे। इंकर लपेटा म पड़े ले दू चार लमडेना यहू मन ल पड़ जथे,फेर  सच काहंव जादा किरपा जीव के जंजाल घलो होथे जईसे भस्मासुर।

                फकीर प्रसाद साहू

             "फक्कड़ "  सुरगी

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