Friday 31 March 2023

संस्मरण* *अपन अपन होथे*

 *संस्मरण*


*अपन अपन होथे*


नवा घर कहिथे बनाके देख अउ बिहाव कहिथे करके देख | ये गोठ ला सियान मन कहे हे तेन कतका सही हे अपन अनुभव ले जाने बर मिलिस |नवा घर जब जनवरी दू हजार बाइस(जनवरी 2022मा बनवाएव) ता कब खर्चा हा 20 लाख ले बाढ़त-बाढ़त 30 लाख पहुँचगे पता नई चलिस |एक बेर बनवाना हे इहु कर लेथन उहु लगवा लेतेन करत-करत कब घर के खर्चा बाढ़गे पता नई चलिस कर्जा मूड़ी मा चढ़गे रहिसे | रोज रतिहा जब  सोवव ता कर्जा के आंकड़ा मन लेनदार मन आँखी मा झूलय |का करहू कइसे करहू अइसन लगे | लइका कतको बड़ हो जावय दाई बाबू बर  सदा नान्हे अउ मयारू रहिथे |मैं घर के चार भाई मन मा सबले नान्हे आवव मोर मया कतका होही समझ सकत होहू |जब भी थक जथँव माँ के कोरा मा जाके सुत जथव |अइसे लगथे जइसे अब सब सुग्घर हो जाहि |एकदिन जाके माँ होरा खावत बरवट मा बइठे रहय मैं जाके ओखर कोरा मा मूड़ी रखके ढलँग गेंव |फेर दाई-दाई होथे मोर चिंता भरे मुह ला देखके समझगे बिन बोले सबगोठ ला जनामना जानगे मोर मुहू ला देखके पूछिस-कस बेटा का सोंचत हस ,अड़बड़ चिंता मा दिखत हस बेटा | मैं कहेव माँ एकझन लागादार के पैसा लागत हव |मोला तगादा के आदत नइहे माँ |इस्कूल के जम्मों तनखा किश्ती पटाये मा अउ घर परिवार बाई लइका के तबियत पानी सब मा खर्चा हो जथे एकझन लेनदार के सत्तर हजार कर्जा के ब्याज हा 2% के हिसाब ले 14 महीना के बीस हजार होगेहे का करव तइसे लगथे का मोर जीवन कर्जा मा निकल जही| ये वाले घर जब मा तुँहर संग रहेंव ता कोनो चिंता फिकर नइ रहिसे फेर एक समय आथे जब  हम चाहन नही तेनो बूता काम ला करे ला परथे तुम्हर अशीष ले अउ आदेश ले अलग नवा घर बनवाएव ताकि चार बरतन मा आवाज झन होवय  फेर अब ये कर्जा चैन नींद लूट लेहे संसो होवत रहिथे |मां के कलेजा कतका बड़ होथे काबर मां ला देवता ले बड़े कहे गेहे केवल कविता मा लिखत रहेंव ओ दिन अनुभव करेंव |माँ कहीस बेटा जेन करजा दे हवै तेन मनखे के आदत ला जानत हव दे के बेरा मीठ मीठ पाछू अड़बड़ पेरथे | माँ(दाई)कहिस मैं सकेल-सकेल के सत्तर हजार धरे हव बेटा जेन तूमन बेटा मन तोर बाबू धराय रहिथव तेला| जब कहेव 90 हजार हवै थोर बहुत नइहे ता मोर ले बड़े भाई (तीसर नम्बर)के अनिल भैया कहीस तोर फोन पे नम्बर ला बता भाई रे मैं बांकी 20 हजार  ला डारत हव |कल जा देके लेनदार ला सुख पा |मैं दूनो के गोठ ला सुनके रोय के मन तो होइस फेर आंसू ला रोक लेव आज अड़बड़ हरूहव | सिरतोन कहे हे अपन अपनेच होथे|आज मोर भाई औ माँ जेन मोर बर करीस परिवार उहीला कहिथे जेन दुख मा खड़े होवय सुख मा संग रहे |मोर भाग आवय जेन अइसन परिवार मिलेहे |मैं बजरंगबली ले सब बर अइसने विनती करथव| भगबान मोर भाई मां बाप परिवार ला मोर उमर ला देवय अइसन विनती मन ले निकलथे |


सुनिल शर्मा नील

थान खम्हरिया

जिला बेमेतरा

No comments:

Post a Comment